आलसी लोमड़ी |

आलसी लोमड़ी गर्मियों का मौसम चल रहा था |बारिश ना होने की वजह से जंगल के सारे नदी तालाब सूख गए थे, इसलिए सभी | जानवर परेशान थे | प्यास के कारण उनकी हालत ख़राब हो रही थी | वे सभी जानवर पानी कि तलाश में निकल पड़े | काफ़ी ढूंढ़ने के बाद उन्हें एक नदी मिली | लेकिन वह नदी इतनी ज़्यादा बड़ी नहीं थीं कि उसमे से सारे जानवर पानी पी सकें | इसलिए सभी जानवरो ने फैसला किया कि वे सभी मिलकर उस नदी को ओर गहरा खोदेगें ताकि उसे बड़ा किया जा सकें और सभी जानवर उस नदी से पानी पी सकें |

आलसी लोमड़ी | लोमड़ी की कहानी

सभी जानवर एक साथ नदी खोदने के लिए तैयार थे, लेकिन एक लोमड़ी थी जो बड़ी आलसी थी | उसने नदी खोदने के लिए साफ मना कर दिया था | उसके मना करने पर सभी जानवरो ने कहा कि लोमड़ी को नदी से पानी नहीं पीने दिया जाएगा,क्योंकि उसने नदी खुदवाने से मना कर दिया है |फिर नदी की रखवाली के लिए कुछ जानवर लगा दिए गए, ताकि वे लोमड़ी को वहां आने से रोक सकें | काम करने के बाद सभी जानवर अपने घरों को चले गए | एक खरगोश को नदी की रखवाली के लिए छोड़ दिया गया था |

लोमड़ी सभी जानवरों के जाने के इंतज़ार में थी |जैसे ही सभी जानवर वहां से गए, वह नदी के पास पहुँच गयी | उसने खरगोश को “हाय “बोला और अपनी जेब से शहद के छत्ते का एक टुकड़ा निकल लिया |फिर वह बड़े मज़े से शहद खाने लगा |उसको शहद खाता देख खरगोश के मुँह में पानी आ गया |लोमड़ी बोली,”यह शहद तो पानी पीने से कहीं बेहतर है |अगर इसे खा लो, तो प्यास ही नही लगती |”यह सुनकर खरगोश लोमड़ी के पास जाकर बोलता है,”क्या मैं भी यह शहद खा सकता हूँ, जिसे खाकर प्यास ही नही लगती है?” लोमड़ी बोली, “हाँ -हाँ! क्यों नहीं, तुम भी खाओ |”यह कहकर लोमड़ी ने खरगोश को शहद के छत्ते का टुकड़ा चखाया |खरगोश को शहद का स्वाद बहुत अच्छा लगा |इसके बाद खरगोश उससे और शहद मांगने लगा |

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बच्चो के लिए हिन्दी कहानी

लोमड़ी बोली,”तुम अपने पंजे पीछे की ओर बाँध कर ज़मीन पर लेट जाओ | मैं शहद को तुम्हारे मुँह में टपका दूंगा |” खरगोश शहद खाना चाहता था, इसलिए उसने ऐसा ही किया | जैसे ही खरगोश नीचे लेटा, लोमड़ी उसी समय नदी के पास गयी और भरपेट पानी पी कर भाग गया |जब दूसरे जानवर वहां आये, तो उन्होंने देखा कि खरगोश ज़मीन पर लेटा हुआ है और उसके पंजे पीछे की ओर बंधे हैँ | उसकी हालत देख कर सब चौंक गए |उसने सबको बताया कि लोमड़ी कैसे उसे बेवक़ूफ़ बना कर पानी पी कर भाग गया |

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यह सुनकर जानवरों को गुस्सा आ गया | उन्होंने खरगोश को खूब डांटा, “तुम उस चालाक लोमड़ी की बातो में कैसे आ गए?” वह शहद का लालच देकर तुम्हे बेवक़ूफ़ बना गई | “अब से तुम रखवाली नहीं करोगे, ये काम हम किसी और जानवरों को देंगे |” इसके बाद रखवाली का काम एक बन्दर को सौंपा गया |लोमड़ी में उसे भी अपनी बातो में फंसा लिया, और फिर से पानी पी कर भाग गया |जब जानवर  वापस आये,तो उन्हें पता चला कि लोमड़ी दूसरी बार भी नदी से पानी पी कर भाग गई और बन्दर को बेवकूफ बना दिया, तो उन्होंने रखवाली का काम एम कछुए को दिया |

रखवाली के लिए चुना गया कछुआ

जब लोमड़ी नदी के पास आयी, तो उसने देखा कि आज रखवाली के लिए कछुआ बैठा हुआ था | लोमड़ी कछुए को इधर उधर की बाते सुनाने लगा |कछुए को बातें सुनने में मज़ा आ रहा था |लोमड़ी जानती थी कि कछुए को कहानी सुनते सुनते सोने की आदत है |इसलिए वह उसे कहानी सुनाने लगा |कछुआ कहानी सुनने में मगन हो गया और थोड़ी ही देर में सो गया |जैसे ही कछुआ सोया, लोमड़ी नदी की ओर पानी पीने के लिए भागी | जैसे ही वह भागी, कछुए ने लोमड़ी की टांग अपने मुँह में दबा ली |

दरअसल कछुआ सोया नहीं था वह सोने का नाटक कर रहा था | तभी सारे जानवर वहां आ गए |सबने मिलकर लोमड़ी कि खूब पिटाई की | लेकिन बाद में एक दयालु मैना के कहने पर लोमड़ी को माफ़ कर दिया गया |लोमड़ी ने सभी से माफ़ी मांगी और मेहनत करने की कसम खायी |अब वह आलसी नहीं रह गई थी |

भालू ने केसे सभी जानवरों को हंसाया |

एक जंगल में बहुत सारे जानवर हाथी, बन्दर, खरगोश, हिरन, भालू, शेर, बारह सिंघा, चीता आदि बहुत सारे जानवर हंसी ख़ुशी रहते थे | सभी जानवर एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे |उस जंगल का राजा शेर था |सभी लोग शेर की बात मानते थे |एक बार की बात है जंगल में कुछ शिकारी शिकार करने के लिए आये |शिकारियो ने दो बन्दर और तीन खरगोश का शिकार किया और उन्हें मारकर अपने साथ ले गए | इस घटना से सारे जानवर घबरा गए |उस दिन से सारे जानवर डर गए और उदास रहने लगे |

उनको यह डर लगने लगा की कहीं शिकारी उन सब को भी ना मार कर अपने साथ ले जाये |इस बात को लेकर वे सब इतने उदास रहने लगे की मुस्कुराना ही भूल गए |कई दिन बीत गए लेकिन हिरन, बन्दर, बारह सिंघा आदि जानवरो के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं आयी |सभी जानवरो को उदास देख जंगल का राजा शेर चिंतित रहने लगा |वह सभी जानवरो से बहुत प्यार करता था और उन सभी को खुश देखना चाहता था |

भालू ने केसे सभी जानवरों को हंसाया |

शेर ने सभी जानवरो को बहुत सारे चुटकुले सुनाये, उन्हें हर तरह से हंसाने की कोशिश की लेकिन जानवर इतने डरे हुए थे की कोई भी नहीं हंसा |शेर उन सब को हंसाने की रोज़ कोशिश करता लेकिन कोई फायदा ना होता |एक दिन शेर को पता चला कि पास वाले दूसरे जंगल में एक भालू रहता है, और वह भालू जंगल के जानवरो को हंसाने में उसकी मदद कर सकता है |शेर उस भालू से मिलने के लिए दूसरे जंगल में जाता है और भालू से मिलकर उसे सारी बात बताता है कि कैसे उसके जंगल के सभी जानवर उदास रहते हैँ |

भालू की कहानी

भालू ने शेर कि सारी बात सुनी और कहा, आप फ़िक्र ना करें शेर महाराज! मैं कल आपके जंगल आकर आपके जंगल के सभी जानवरो को हंसाउँगा |यह सुनकर शेर पूछता है, लेकिन कैसे? भालू कहता है, वो आप मुझ पर छोड़ दीजिये, अब सभी जानवरो को हँसाना मेरा काम है |शेर भालू की बात मानकर वहां से चला जाता है |अगले दिन भालू एक बोतल लेकर जंगल में जाता है |जंगल में जाकर वह देखता है कि सभी जानवर बहुत उदास और डरे हुए हैं |

जैसे ही वह बोतल का ढक्कन खोलता है, अचानक से सभी जानवर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं |हँसते हँसते सभी जानवर लोट पोट हो जाते हैं |बहुत देर तक सभी जानवर हँसते रहते हैं |शेर भी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है |जब सभी का हँसते हँसते पेट दुखने लगता है तो शेर भालू से कहता है कि हमारे पेट में हँसते हँसते दर्द हो गया है |इस बोतल में ऐसा क्या था? भालू ने बोतल का ढक्कन बंद किया ढक्कन के बंद होते ही सभी कि हसीं थोड़ी कम हो गयी लेकिन अब सभी जानवर उदास नहीं थे |अब वे सब खुश थे |

शेर ने भालू से पूछा कि तुमने कैसे सब को हंसाया? भालू ने बताया शेर महाराज! मैं एक वैज्ञानिक हूं |और इस बोतल मे नितरस ऑक्साइड गैस थी जिसे लाफिंग गैस यानि हंसाने वाली गैस भी कहते हैं |इसी गैस से आप सभी को इतनी ज़्यादा हंसी आयी |आप के मित्रो को हँसाने के लिए मैंने इसी गैस का इस्तेमाल किया |भालू कि बात सुनकर शेर ने भालू को धन्यवाद कहा और उसे इनाम भी दिया |इस तरह बुद्धिमान भालू ने सभी जानवरो को हंसा दिया |

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कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी |

कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी

एक कबूतर मस्ती से अपने लिए दाना तलाश कर रहा था |दाना ढूंढते ढूंढते वह थक गया और बैठ कर आराम करने लगा |तभी उसे एक लोमड़ी के आने की आहट हुई |वह एकदम उड़ कर पेड़ की डाली पर बैठ गया |अब लोमड़ी उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकती थी |लोमड़ी  अपने शिकार कबूतर को देख कर मुस्कुराई और बोली, कबूतर भाई! मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है |पेड़ से नीचे उतरो मैं तुम्हे वो अच्छी खबर सुनाता हूँ |

कबूतर जानता था कि वह लोमड़ी उसका शिकार करके उसको खाना चाहती है |वह लोमड़ी से बोला, मैं जानता हूँ तुम मीठी मीठी बाते करके मुझे अपना शिकार बनाना चाहते हो |जैसे ही मै पेड़ से नीचे आऊंगा तुम मुझे पकड़ कर कहा जाओगे |मुझे तुम पर यकीन नहीं है, चालक लोमड़ी! मुझे यही से बताओ कि क्या खुशखबरी है? मैं पेड़ से नहीं उतरूँगा | कबूतर ने पेड़ पर बैठे बैठे ही कहा |लोमड़ी बोली, अच्छी खबर ये है कि कबूतर और लोमड़ी अब से दोस्त बन कर रहेंगे, अब कोई भी लोमड़ी किसी कबूतर को मार कर नहीं खाया करेगी |

अब बताओ क्या ये अच्छी खबर नहीं है |अब तो नीचे आ जाओ कबूतर दोस्त | कबूतर बोला,” लोमड़ी दीदी!मैं बेवक़ूफ़ नहीं हूँ |ऐसा किसने और कब बोला है? जिसने भी यह बोला है पहले तुम उसे अपने साथ लेकर आओ |तब ही मैं तुम्हारी बात मानूंगा |लोमड़ी बोली, “कबूतर भाई, तुम तो मुझे झूठा समझ रहे हो |मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ |तुम चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो |कबूतर को अब पक्का यकीन हो गया था कि लोमड़ी उसका शिकार करके उसको खाना चाहती है |

कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी |

वह बोला, ऐसा कोई समझौता शेर के साथ भी हुआ है क्या कि अब से लोमड़ी और शेर दोस्त बन कर रहेंगे? शेर का नाम सुनकर लोमड़ी डर के मारे काँपने लगती है |वह कहती है,”शेर के साथ? अरे नहीं!शेर के साथ ये समझौता नहीं हुआ है |लेकिन तुम शेर का नाम क्यों ले रहे हो? लोमड़ी डरती हुई बोली |कबूतर बोला, “अच्छा!लेकिन मुझे तो तुम्हारे पीछे शेर आता हुआ दिखाई दे रहा है |शायद वह तुमसे मिलने के लिए आ रहा है”| यह सुनकर लोमड़ी हड़बड़ा कर बोलती है,”कहाँ है शेर? कहाँ है शेर? मुझे तो शेर नहीं दिखाई दे रहा है “|

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कबूतर ने कहा, तुम नीचे खड़ी हो ना, इसलिए तुम शेर को नहीं देख पा रही हो |मैं पेड़ के ऊपर बैठा हूँ इसलिए मुझे शेर आता दिखाया दे रहा है | अरे बाप रे! एक शेर नहीं ये तो बहुत सारे शेर हैँ |शेर के पीछे और भी बहुत सारे शेर हैँ | ये कहकर कबूतर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा | ये सुनकर कि बहुत सारे शेर लोमड़ी के पास आ रहे हैँ, लोमड़ी दुम दबाकर वहां से भाग जाती है | कबूतर को उस पापी लोमड़ी से छुटकारा मिल गया और लोमड़ी को अच्छा सबक मिला |

अब कबूतर आराम से पेड़ से नीचे उतरा और अपने लिए दाना तलाश करने लगा | बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे कैसी भी मुश्किल आ जाये हमें घबराना और डरना नहीं चाहिए | अपनी सूझ बूझ से उस मुश्किल का हल ढूंढ़ना चाहिए |अगर वह कबूतर उस लोमड़ी कि बात मान लेता तो वह लोमड़ी कबूतर को अपना भोजन बना कर खा जाती |

गरीब बच्ची और परी की कहानी


गरीब बच्ची और परी की कहानी | एक 10 साल की बच्ची थी |उसका नाम था मारिया |मारिया अपने पिता के साथ रहती थी |मारिया की माँ बचपन में ही गुज़र गयी थी |उसके पिता कि तबियत भी ठीक नहीं रहती थी | मारिया और उसके पिता बहुत गरीब थे |पिता कि तबियत ठीक ना होने की वजह से मारिया को काम करना पड़ता था |वह छोटी बच्ची लांटेन बेचकर घर का गुज़ारा करती थी |

रोज़ कि तरह एक दिन  जब वह लांटेन बेचने निकली तो पूरा दिन बीत गया लेकिन उसकी एक भी लांटेन नहीं बिकी | पूरा दिन गुज़र गया और रात हो गयी |बेचारी मारिया उदास हो गयी |उसे चिंता हो रही थी कि अब वह अपने पिता के लिए क्या लेकर जाएगी क्योंकि आज तो उसका एक भी लांटेन नहीं बिक पाया है | य सोचते सोचते वह एक पेड़ के नीचे आ बैठी और उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे |उसके आंसू जो ही ज़मीन पर जा कर गिरे, अचानक एक परी उसके सामने प्रकट हुई |वह अपने सामने परी को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी |

परी ने उसकी और देखा, परी मुस्कुराई और बोली, “क्या बात है ?” तुम उदास क्यों हो? मारिया पहले तो उस परी को देखती रही फिर मायूस होकर बोली, “आज मेरा एक भी लांटेन नहीं बिका है “अब मैं अपने पिता जी के लिए क्या लेकर जाउंगी? यह सुनकर परी बोली, मगर तुम तो इतनी छोटी हो, तुम लांटेन क्यों बेचती हो? तुम्हारे पिता क्या करते हैँ? मारिया की आँखों से आंसू गिर पड़े, वह बोली, मेरे पिता जी बीमार हैँ इसलिए मुझे लांटेन बेचकर पैसे कमाने पड़ते हैँ |

गरीब बच्ची और परी की कहानी

यह सुनकर परी भी उदास हो गयी लेकिन परी ने हँसते हुए मारिया का हौसला बढ़ाया और उसे शाबासी दी की वह इतनी काम उम्र मे अपने पिता के लिए लांटेन बेचकर अपना घर चलाती है |यह सुनकर मारिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी | परी ने मारिया से पूछा, मारिया स्वादिष्ट खाना खाओगी? मारिया ने हामी भरकर सर हिला दिया |परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और देखते ही देखते मारिया के सामने स्वादिष्ट पकवान आ गए |मारिया ने इतना सारा खाना पहले कभी नहीं देखा था |परी ने कहा, मारिया जी भर कर खाना खाओ |मारिया ने भरपेट खाना खाया | खाना खाने के बाद मारिया बोली, मैंने तो खाना कहा लिया लेकिन घर ओर मेरे पिता नर कुछ भी नहीं खाया होगा |

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परी मुस्कुराते हुए बोली, चिंता मत करो मारिया मैं तुम्हे तुम्हारे घर भी छोड़कर आउंगी और तुम्हारे पिता को भी स्वादिष्ट भोजन खिलाऊंगी |ये कहकर परी ने मारिया को अपने जादुई कद्दू मैं बैठाया और वो दोनों मारिया के घर पहुँच गए |परी ने मारिया के पिता को भी अच्छा अच्छा खाना खिलाया और छड़ी घुमाकर उनके पुराने टूटे फूटे घर को एक पक्के घर में बदल दिया | घर को अच्छा होते देख मारिया और उसके पिता बहुत खुश हुए |परी ने अपने जादू से खाने पीने का सामान भी मारिया को दिया ताकि उसको लांटेन ना बेचने पड़े| परी ने अपने जादू से रुपयों से भरा एक बड़ा थैला भी मारिया के पिता को दिया |

परी ने मारिया के सर पर प्यार से हाथ फेरा और मारिया की आँखों से ओझल हो गयी |मारिया अब बहुत खुश थी | अब उसे लांटेन बेचने के लिए और अपने पिता के इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था |

बेवकूफ राजा की कहानी | Hindi story for kids

बेवकूफ राजा की कहानी | Hindi story for kids

बेवकूफ राजा की कहानी | Hindi story for kids

बच्चो के लिए हिन्दी कहानी

कुछ साल पुरानी बात है|एक राजा को अच्छे अच्छे और नये नये कपडे पहनने का बहुत शौक था |वह अपने राज्य का सारा धन अपने कपड़ो पर ही खर्च कर देता था| वह  रोज़ रोज़ नए कपडे पहनता था |कपड़ो के आगे उसे अपनी प्रजा की भी कोई परवाह नहीं थी | एक दिन दो चालक आदमी राजा के दरबार में आये| उनका कहना था कि वो दोनों बहुत खास तरह के कपडे बनाते हैँ|उनके  द्वारा बनाये गए कपडे उनके द्वारा बनाये गए कपडे केवल बुद्धिमान लोगो को ही दिखाई देते हैँ |

बेवकूफ लोग उनके द्वारा बनाये गए कपडे नहीं देख सकते हैँ| राजा को उन  दोनों के बारे में पता चला तो राजा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा| उसने सोचा अब तो मैं ऐसी पोशाक पहनूंगा जो सिर्फ बुद्धिमान लोगो को ही दिखाई दे |इस तरह मुझे बुद्धिमान और बेवकूफ लोगो को छाँटने में आसानी होंगी |

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राजा की कहानी

अगले दिन राजा ने उन दोनों कपडे बनाने वाले आदमियों को अपने महल में बुलावाया और कहा कि मेरे लिए अच्छे से अच्छे कपडे बना कर दो |यह कहकर राजा ने उन  दोनों को अशरफियों कि थैली, कपडे तैयार करने का सामान, सुई, कैंची, रेशम आदि दिया |  दोनों कपडे बनाने वाले आदमी सामान लेकर वहां से चले गए | कपडे बनाने वाले राजा के लिए सुन्दर कपडे बनाने में जुट गए | इसी तरह कई दिन और हफ्ते गुज़र गए |

लगभग एक महीने बाद कपडे बनाने वालो ने घोषणा की कि राजा के कपडे बनकर तैयार हैँ |राजा के महल में पहुंचकर दोनों ने राजा को अपने बनाये हुए कपडे दिखाए |पर यह क्या? राजा को तो कपडे दिखाई ही नहीं दे रहे थे |राजा ने सोचा अगर में ये कहूंगा कि मुझे कपडे दिखाई नहीं दे रहे हैँ तो सारी प्रजा मेरा मज़ाक उड़ाएगी कि राजा बेवक़ूफ़ है, क्योंकि राजा को कपडे दिखाई नहीं दे रहे हैँ |

बेवकूफ राजा की कहानी | Hindi story for kids

बेवक़ूफ़ कहलाये जाने के डर से राजा ने कहा, अरे वाह! क्या पोशाक बनायीं है |कितनी सुन्दर है! इसका रंग कितना अच्छा है, इस पर कितनी अच्छी कलाकारी कि गयी है |राजा ने उन्हें सोने कि अशरफियाँ दी और वो दोनों वहां से चले गए |दरअसल, वो दोनों लोग बहुत चालक थे उन्होंने राजा को बेवक़ूफ़ बना कर राजा से इनाम भी ले लिया और राजा को कोई कपडे भी बना कर नहीं दिए | उनकी बेवक़ूफ़ और बुद्धिमान वाली बात झूठी थी |वे कोई कपडे नहीं बनाते थे |सारे राज्य मे शोर मचा हुआ था कि आज राजा ने ऐसे कपडे पहने जो केवल बुद्धिमान लोग ही देख सकेंगे, बेवक़ूफो को राजा के कपडे नहीं दिखाई देंगे |

सारे दरबारी, सेवक राजा के आने का इंतज़ार करने लगे |जैसे ही राजा बाहर आया सभी लोग दंग रह गए, क्योंकि किसी को भी राजा के कपडे दिखाई नही दे रहे थे| लेकिन बेवक़ूफ़ कहलाये जाने के डर से किसी की ये बोलने कि हिम्मत नहीं हुई कि उसको राजा के कपडे दिखाई नहीं दे रहे हैँ |सारे दरबारी एक एक करके राजा के कपड़ो कि तारीफ करने लगे |

जनता और राजा का डर

अरे वाह राजा जी!”कितने सुन्दर कपडे हैँ आपके”,एक बोला | दूसरा बोला, “कपड़ो का डिज़ाइन तो देखो”,कितना अच्छा है|  उनमे से कोई भी नहीं चाहता था कि वह ये कहकर कि उसे कपडे दिखाई नहीं दे रहे हैँ, बेवक़ूफ़ कहलाये,क्योंकि कपडे बनाने वालो ने कहा था कि ये कपडे सिर्फ बुद्धिमान लोग ही देख सकते है |

तभी एक छोटी लड़की ज़ोर से चिल्लायी, अरे!!!आप सब किन कपड़ो कि तारीफ कर रहे हैँ |राजा ने तो कुछ भी नहीं पहना हुआ है |यह सुनते ही राजा शर्मिंदा हो गया और सभी लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे |राजा को बहुत गुस्सा आया, उसने उन दोनों लोगो को ढूंढ़ने के लिए अपने सैनिको को भेजा |तब से राजा ने प्रण लिया कि वो ऐसे ही किसी कि बात में नहीं आएगा और अपने कपड़ो से ज़्यादा अपनी प्रजा का ध्यान रखेगा |

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छोटा तीरंदाज़ | बच्चो के लिए हिन्दी कहानी |

छोटा तीरंदाज़ | बच्चो के लिए हिन्दी कहानी |

एक व्यक्ति था जो बहुत बुद्धिमान और गज़ब का तीरंदाज़ था लेकिन वह हमेशा इस बात को लेकर परेशान रहता था की राजा की सेना मे उसे भर्ती नही किया जायेगा क्यूंकि उसका कद बहुत छोटा था | लेकिन इसका हल भी उसने खोज निकाला – उसने सोचा मुझे कोई ऐसा आदमी का साथ चाहिए जो बहुत ताकतवर हो | मे उसे राजा की सेना मे भर्ती होने के लिए कहूँगा फिर उसके साथ लड़ने जाया करूंगा |

एक दिन उसकी खोज पूरी हुई और उसको एक ताकतवर इन्सान मिल गया| उसने देखा एक ताकतवर इन्सान मजदूरी कर रहा है वह बहुत लम्बा चोडा पहलवान जेसा इन्सान था | नाटा आदमी उसके पास गया और बोला सुनो अगर तुम राजा के महल मे काम करने लगो तो केसा रहेगा | पहलवान बोला लेकिन मुझे तो कुछ काम नहीआता राजा मुझे अपने यहाँ नोकरी क्योँ देगा |

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नाटा आदमी बोला मे बहुत अच्छा तीरंदाज़ हूँ लेकिन मेरे नाटे कद की वजह से शायद राजा मुझे अपने सनिको मे भर्ती नही होने देगा | लेकिन तुम्हारे कद काठी की वजह से राजा तुम्हारी भर्ती कर लेगा मे तुम्हारे साथ तुम्हारी ढाल बनकर रहूँगा | और तुम्हे जो वेतन मिलेगा उसका हम आधा आधा कर लेंगे |

पहलवान को यह सुझाव अच्छा लगा | उसने सोचा मुझे मजदूरी भी नही करनी पड़ेगी और काम भी उस नाटे तीरंदाज़ को करना होगा मुझे तो मुफ्त मे आधी तनख्वा मिल जाएगी | वह राज़ी हो गया और दोनों राजा के पास गए और उस आदमी ने राजा से अपनी सेना मे उसे शामिल करने की अर्जी की | राजा भी इतने ताकतवर व्यक्ति को देख कर खुश हो गया और उसको अपनी सेना मे भर्ती कर लिया |

छोटा तीरंदाज़ | बच्चो के लिए हिन्दी कहानी |

जब कभी कोई बाहरी शत्रु राजा के राज्य मे घुसने की कोशिश करता या राजा कोई मुसीबत देखता तो उस पहलवान को भेज देता | नाटा तीरंदाज़ भी उसके साथ जाता | जेसे की नाटा व्यक्ति तीरंदाजी मे बहुत अच्छा था वह हर बार अपने तीरंदाजी से शत्रु पर तीरों की बारिश करके उनको मार देता | राजा बहुत खुश होता था लेकिन उसको यह लगता था यह काम पहलवान करता है | वह पहलवान की तारीफ करता और उसको इनाम भी देता था |

इससे पहलवान को यह लगने लगा उसको तीरंदाज़ की ज़रूरत नही है उसको अपना इनाम और वेतन तीरंदाज़ से बाटने की ज़रूरत नही है | इसलिए अब वह तीरंदाज़ से गुस्सा रहने लगा | लेकिन एक दिन एक बड़ी मुसीबत सामने आ गई | राजा के राज्य मे दुसरे राजा ने धावा बोल दिया | उसकी सेना बहुत बड़ी थी | राजा को लगता था पहलवान बहुत बाहुदर है इसलिए उसको सबसे आगे भेजा गया |

पहलवान बहुत घबरा गया था लेकिन तीरंदाज़ बोला तुम्हे घबराने की ज़रूरत नही है मे तुम्हारे पीछे रहूँगा और शत्रु को खतम कर दूंगा | जेसे ही वह मेदन मे गए वहां दूसरे राजा की सेना देख कर पहलवान बहुत डर गया और कूद कर वहां से भाग गया | लेकिन तीरंदाज़ वही रहा यही सही समय था उसको अपनी तीरंदाजी दिखाने का | उसने शत्रु की सेना पर बाड़ो की वर्षा कर दी जिससे घबरा कर दुश्मन मैदान छोड़ कर भाग खड़े हुए |

फिर वह जीत का परचम लहराता हुआ राजा के महल मे गया अब राजा जान चुका था असली बाहदुर कोन है उसने तीरंदाज़ को इनाम दिया और अपने महल मे बड़ा सेनापति बना लिया | अगर आप काबिल हैं तो आपको अपनी काबिलयत के हिसाब से स्थान ज़रूर मिलता है बस उसके लिए थोडा इंतज़ार करना पड़ता है |

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केसे बने कुत्ता बिल्ली दुश्मन | हिन्दी कहानियां |

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कुत्ता बिल्ली केसे बने दुश्मन | बच्चो के लिए हिन्दी कहानी |

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक पति पत्नी रहते थे वह हमेशा खुश रहते थे | उन्होंने दो जानवर कुत्ता और बिल्ली पाल रखे थे | उनके घर में एक हीरा था जोकि एक लक्की (किस्मत वाला ) हीरा था जिसके वजह से उनके घर में हमेशा खुशियाँ रहती थी और उसकी वजह से ही उनको कभी खाने पिने की कमी नही रहती थी | हालंकि उनको इसकी जानकारी नही थी की वह हीरा उनके लिए कितना लक्की है | (Hindi story for kids -और कहानी पढने के लिए क्लिक करें )

एक दिन उस आदमी की पत्नी अचानक बड़ी बीमार हो गयी जिसकी वजह से उनको बहुत सारे पैसो की ज़रूरत पड़ गयी | उस आदमी ने वह लकी हीरा बेचकर पैसे इकठ्ठा कर लिए और कुछ दिन बाद उसकी पत्नी ठीक हो गयी | लेकिन उस लकी हीरे के जाने की वजह से घर में बड़ी तंगी आ गयी | उनके पास खाने तक के पैसे नही बचे | अब दोनों जानवर कुत्ता और बिल्ली को भी खाने के लिए कुछ नही मिलता था | दिन बड़े परेशानी में गुज़र रहे थे |

हिन्दी कहानियाँ | कुत्ते बिल्ली की कहानी |

दोनों जानवरों कुत्ता और बिल्ली को पता चल गया यह सब उस लकी हीरे के जाने की वजह से हुआ है | उन्होंने तय किया वह उस हीरे को वापस लायेंगे | कुत्ते को एक idea आया | वह बिल्ली से बोला तुम अपने दोस्त चूहे को बोलो वह हमारी मदद करे | चूहा उस लकड़ी की अलमारी को कुतर दे जिसमे वह हीरा रखा है और वह हीरा लाकर हमे देदे | वह बहुत छोटा होता है किसी को पता भी नही चलेगा साथ ही उसके दांत कुतरने के लिए बहुत तेज़ होते हैं |

बिल्ली को यह idea बहुत पसंद आया उसने अपने दोस्त चूहे को यह योजना बताई चूहा अपनी दोस्त की मदद करने के लिए तेयार हो गया | तीनो जिस घर में वह खरीदार रहता था उस घर की तरफ चल दिए | रस्ते में एक नदी आई | लेकिन बिल्ली और चूहे को तेरना नही आता था लेकिन कुत्ते को तेरना आता था उसने दोनों को अपनी पीठ पर बैठा कर आराम से नदी पार करा दी |

खरीदार के घर पर पहुचने के बाद बिल्ली ने चूहे को बोला हम दोनों बाहर खड़े हैं तुम जाओ और जल्दी से अपना काम करो और हीरा लेकर आ जाओ | चूहा गया और अलमारी में छेद करके वह हीरा निकाल लाया और अपनी दोस्त बिल्ली को वह हीरा दे दिया | बिल्ली ने वह हीरा अपने पास रख लिया |

केसे बने कुत्ता बिल्ली दुश्मन | बच्चो के लिए हिन्दी कहानियां |

फिर तीनो नदी पार करके अपने मालिक के घर की तरफ आने लगे | लेकिन कुत्ता नदी पर करने की वजह से बड़ा थक गया था उसने बोला बिल्ली क्योँ न हम थोड़ी देर आराम कर लें उसके बाद मालिक को जा कर यह हीरा दे आयेंगे में बहुत थक गया हूँ | बिल्ली ने बोला ठीक है वह दोनों वहाँ आराम करने लगे चूहा अपने घर चला गया |कुत्ता थका होने की वजह से सो गया लेकिन बिल्ली जाग रही थी उसकी दिमाग में एक चुतराई आई उसने सोचा क्योँ न में जाकर यह हीरा मालिक को दे दूँ इससे मुझे ज्यादा शाबाशी मिलेगी | यह सोचते हुए बिल्ली उठी और अपने मालिक के घर की तरफ चल पढ़ी उसने घर पहुंच कर अपने मालिक को बताया केसे वह हीरा उनके लिए लकी है |

दोनों पति पत्नी बड़े खुश हुए और सोचने लगे बिल्ली हमसे कितना प्यार करती है वह उसको शाबाशी देने लगे और बहुत प्यार करने लगे | तभी कुत्ता भी हांफता हुआ वहां आ गया दोनों उसको देख कर बड़ा गुस्सा हुए और बोले यह नाकारा कुत्ता किसी काम का नही है इसने हीरा वापस लाने के बारे में सोचा भी नही | उन्होंने कुत्ते को घर से बाहर निकाल दिया |कुत्ते को बिल्ली पर बहुत गुस्सा आया क्यूंकि उसने मालिक को नही बताया यह सब उसकी योजना थी | तभी से कुत्ते और बिल्ली में दुश्मनी हो गयी वह जहाँ भी एक दुसरे को देखते हैं लड़ पड़ते हैं |

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बिल्ली की कहानी – हिन्दी कहानियां

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बिल्ली की कहानी – Hindi story | छोटे बच्चो के लिए दिलचस्प बिल्ली की कहानी केसे बिल्ली जंगल छोड़ कर हमारे साथ रहती है | यह हिन्दी story छोटे बच्चो के लिए बनाई गयी है आपको पसंद आये तो निचे कमेन्ट ज़रूर करें | साथ ही इस website पर आपको ढेर सारी बच्चो की कहानी पोएम सब मिल जाएँगी | चलिए कहानी शरू करते हैं –

बिल्ली की कहानी -हिन्दी कहानी

बहुत समय पहले की बात है | किसी जंगल में एक बिल्ली अपने भाई चीते (टाइगर ) के साथ रहती थी उसका भाई जंगल का राजा था बिल्ली को यह बात बहुत अच्छी लगती थी के उसका भाई जंगल का राजा है वह सबका ख्याल रखेगा सबको खुश रखेगा |

लेकिन असल में ऐसा नही था टाइगर को बस अपने दोस्तों की परवाह थी वह अपनी बहन का भी ख्याल नही रखता था वह मजे से अपना शिकार करता और बचा हुआ खाना अपने दोस्तों में बाँट देता था | उसके दोस्त सियार और लोमड उसके साथ मजे से रहते थे | बेचारी बिल्ली को कुछ भी खाने को नही मिलता था | टाइगर को अपने दोस्त पसंद थे वो हमेशा उनके साथ रहता था |

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बिल्ली बिचारी चूहे , मेंडक , आदि खा कर अपना पेट भरती थी | उसने काफी बार अपने भाई को समझाना चाहा लेकिन उसका भाई टाइगर उसकी नही सुनता था | टाइगर हमेशा गुस्से में रहता था उसकी बहन जब भी उससे कुछ कहना चाहती वो उसको डांट कर भगा देता था |

एक बार टाइगर की तबियत खराब हो गयी | उसके दोस्त उसका हाल पूछने उसके पास आये टाइगर ने अपनी बहन बिल्ली से बोला मेरे दोस्त आये हैं इनके लिए कुछ खाने के लिए लाओ | बिल्ली के पास तो खुद कुछ खाने के लिए नही होता था उसने टाइगर से बोला घर में तो कुछ है ही नही में कहाँ से कुछ लाऊं |

यह सुनकर टाइगर को गुस्सा आ गया वो बिल्ली को डांटते हुए बोला जंगल के बाहर लोगो का घर है तुम वहां से कुछ लेकर आओ | बिल्ली लोगो के घर की तरफ चल पड़ी | उसको गुस्सा आ रहा था उसका भाई उसको डांटता है और खाने के लिए भी कुछ नही देता है |

Billi ki kahani | बच्चो के लिए हिन्दी कहानी |

रास्ते में उसे बच्चे मिले उन्होंने बिल्ली को पकड़ लिया | बच्चो को बिल्ली बहुत अच्छी लगी वह उसको दुलारने पुचकारने लगे | बिल्ली भी बच्चो के साथ बहुत अच्छा महसूस कर रही थी उसको इतना प्यार जो मिल रहा था |

इस खेल और प्यार में बिल्ली की टाइगर की बात भूल गयी | टाइगर बिल्ली की इंतज़ार कर रहा था जब बहुत देर हो गयी टाइगर को बहुत गुस्सा आया उसने दहाड़ते हुए जोर से आवाज़ की बिल्ली को अपने भाई टाइगर की आवाज़ आई वो भाग कर अपने भाई के पास सामान लेकर पहुंची |

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टाइगर को बिल्ली पर बहुत गुस्सा आया क्यूंकि उसके दोस्त चले गये थे उसने बिल्ली को गुस्से में बहुत डांटा और ऐसे पंजा ऊपर किया जेसे वो बिल्ली को मार देगा | बिल्ली जान बचा कर वहां से भाग गयी और जंगल के बाहर लोगो के घर में रहने लगी |

वहां बच्चे उसको बहुत प्यार करते थे | उसके लिए दूध रोटी लाते थे | बिल्ली को वहां बहुत प्यार मिल रहा था बिल्ली ने तय कर लिया अब वह जंगल नही जाएगी | तब से वह हमारे साथ हमारे घरो में रहने लगी | इसलिए वह जंगल में नही रहती हैं |

Billi ki kahani

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बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

एक भेड़िये ने गाँव में कबूतरों के बाड़े के पास नीचे खुदाई करके अपने लिए रास्ता बना रखा था | वह रोज़ रात को चोरी से कबूतरों के बाड़े में जाता और कबूतर खाकर अपना पेट भरकर वापस आ जाता |उसकी इस हरकत के बारे में किसी को पता नहीं चलता था | बाड़े में बहुत सारे कबूतर थे इसलिए किसान को उसकी हरकत के बारे में पता ही नहीं चला|
एक दिन भेड़िया कबूतर खा कर बाहर आ रहा था कि उसे बिल्ली ने देख लिया | बिल्ली ने पूछा तुम कहाँ से आ रहे हो ? भेड़िया बोला – “मैं तो दावत उड़ा कर आ रहा हूँ | तुम भी दावत उड़ाना चाहती हो तो मेरे साथ आ सकती हो | अन्दर बहुत ही स्वादिष्ट कबूतर हैं |”

बिल्ली घर में क्योँ रहती हैं – बिल्ली की कहानी बच्चो के लिए

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |
बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

भेड़िये की बात बिल्ली को अच्छी लगी | उसके मुंह में पानी आ गया | अलगे दिन वह भी भेड़िये के साथ चल पड़ी | बिल्ली थोड़ी समझदार थी वह भेड़िये से बोली -“इंसान बहुत चालाक होते हैं , इसलिए इनसे सावधान रहना |”
भेड़िया शेखी भंगारते हुए बोला -” अरे ! मैं तो बहुत दिनों से यहाँ कबूतर खाने आता हूँ | किसी को खबर तक नहीं हुई , तुम चिंता मत करो |”

फँस गये बिल्ली और भेड़िया ( Hindi cat story for kids )

भेड़िये और बिल्ली ने कुछ दिन तो मज़े उड़ा लिए , लेकिन एक दिन किसान को उनके बारे में पता चल ही गया |
किसान ने अपने नौकरों से कह कर एक गहरा गड्ढा खुदवाया और उसे पत्तो से ढक दिया | अगले दिन जब भेड़िया और बिल्ली आए ,तो वो दोनों उस गड्ढे में धडाम से जा गिरे |

बिल्ली और बिल्ले की कहानी – क्लिक करें


भेड़िया बोला , “तुम सही कह रही थी , हमे सावधान रहना चाहिए था | तुम समझदार हो | अब तुम ही यहाँ से बाहर निकलने का तरीका बताओ |”
बिल्ली बोली – “हमे मरने का झूठा नाटक करना पड़ेगा |

तभी हम इस गड्ढे से बाहर निकल सकते हैं | किसान और उसके नौकर हम पर लाठियां बरसा सकते हैं , लेकिन हमें दर्द सहना पड़ेगा और हमें बिल्कुल भी हिलना नहीं हैं |जब उन्हें यकीन हो जायगा कि हम मर गए हैं तो वो हमे खुद ही बाहर फेंक देंगे |”

बिल्ली की कहानी


भेड़िये को बिल्ली की बात सही लगी | जब किसान और उसके नौकर भेड़िये और बिल्ली को देखने आये तो वो दोनों मरने का नाटक कर के लेट गए | किसान उन दोनों को हिला-डुलाकर देखने लगा ,लेकिन वो दोनों बिलकुल नहीं हिले | तब किसान को यकीन हो गया कि वो दोनों मर गए हैं |

उसने अपने नौकरों से कहा कि इन् दोनों को गड्ढे से निकालकर बहार फेंक दो |
उन्होंने दोनों को गड्ढे से निकाला और बाहर फेंक दिया | इस तरह दोनों की जान बच गयी | उस दिन के बाद से भेड़िया और बिल्ली कबूतरों के बाड़े के आस-पास भी नहीं दिखे|

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बारासिंघा की चालाकी | Hindi story for kids |

बारासिंघा की चालाकी | Hindi story for kids |

बारासिंघा की चालाकी | Hindi story for kids |

एक जंगल था जिसमे में एक बारहसिंघा रहता था | उसका नाम था हीरक | वह भोजन की तलाश में इधर उधर भटक रहा था |तभी उसे एक ऐसा पेड़ दिखाई दिया , जिस पर बहुत मीठे फल लगे थे | उसने पेड़ से पके फल गिरने का इंतज़ार किया और गिरने पर उन्हें बड़े स्वाद से खाया | फिर वह हर रोज़ वहां फल खाने आने लगा | उस पेड़ पर लगने वाले फलों का स्वाद सबसे अलग था |

एक शिकारी ने देखा कि एक हिरन पेड़ से गिरे फल खाने रोज़ आता है | उसने वहीँ रस्सी का एक फंदा बनाया और उसे पेड़ से लटका दिया | उसने सोचा कि जेसे ही बारहसिंघा फल खाने आयगा , उसका पैर रस्सी में फंसेगा और वह उसे कास देगा | वह उस दिन पेड़ पर छिपकर बारहसिंघा का इंतज़ार करने लगा |

बारासिंघा की चालाकी | Hindi story for kids |
बारासिंघा की चालाकी | Hindi story for kids |

बारहसिंघा अपने मनपसंद फल खाने आया | उसने आसपास देखा, हवा को सुंघा और जांचा – परखा | उसे रस्सी और शिकारी तो नहीं दिखे पर वह पेड़ के नीचे गिरे फलों को देख क्र हैरान था | वहां बहुत से फल गिरे हुए थे लेकिन अभी तक किसी ने भी उन्हें खाया नहीं था | वहां कोई पक्षी या गिलहरी भी नहीं दिखाई दे रहे थे | यह हैरानी की बात थी , क्योंकि जब किसी पेड़ से फल गिरते हैं , तो उन्हें खाने के लिए बहुत से जीव आसपास आ जाते हैं , लेकिन यहाँ तो सारे फल ज्यों के त्यों गिरे हुए दिखाई दे रहे थे |

उसने सोचा कि हो न हो ‘यहाँ दाल में कुछ काला है |’

हीरक वहीँ खड़ा हो कर इंतज़ार करने लगा | तभी पेड़ से एक फल टूट कर उसकी और आ गया | असल में पेड़ पर बैठे शिकारी का धीरज टूट रहा था | उसने तय किया कि वह फल दिखाकर बारहसिंघा को ललचाएगा ताकि बारहसिंघा आगे आये और पकड़ा जाए | लेकिन बारहसिंघा भी कुछ कम चालाक नहीं था | वह जानता था कि पेड़ अपने फलों को यहाँ – वहां नहीं उछालते | फल तो सीधा ज़मीन पर ही गिरते हैं | वह जान गया कि हो ना हो उस पेड़ के आसपास ही कहीं कोई शिकारी जाल बिछाए बैठा है |

हीरक ने बड़ी सावधानी से पेड़ के आसपास देखा , उसे शाखाओं में छिपा शिकारी दिखाई दे गया | ‘अब समझ आया कि वह फल उछल कर मेरे पास क्यों आया था ?’ उसने सोचा |

हीरक भी मस्ती के मूड में आ गया | वह उस शिकारी को छकाने लगा | हीरक शिकारी को सबक सिखाना चाहता था कि इन्सान ही समझदार होते है बल्कि जानवर भी बहुत चालाक है | असल में , कोई भी शिकार बनता ही तब है, जब वह असावधान रहता है , अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता | हीरक इस तरह दिखावा करने लगा मानो पेड़ से बातें कर रहा हो | उसने कहा , ”प्यारे पेड़! तुमने मेरी और फल उछाल दिया |तुम सच में कितने दयालु हो|| परन्तु मैं जनता हु की फल तो सीधा धरती पर गिरते हैं |तुमने अपनी आदतें बदल ली हैं इसलिए मुझे लग रहा है की मुझे भी अपनी आदतें बदल लेनी चाहिए| मैं किसी और पेड को ढूंढ लूँगा| अलविदा!” इतना कह कर हीरक वहां से जाने लगा|

यह सुन कर शिकारी को इतना गुस्सा आया की वह चिल्ला कर बोला ,”मैं तुम्हे एक दिन पकड़ लूँगा |देखता हूँ ,तुम कितने चतुर हो| मेरे पास भी तुम जैसे जानवरों को पकड़कर मारने के सौ उपाय हैं| एक उपाय कामयाब नहीं हुआ तो इसका मतलब यह नहीं है ली मैं तुम्हे पकड़ नहीं सकता | में तुमसे लाख गुना चतुर हूँ |”

हीरक वापस जाते जाते हंसा और बोला ,”मैंने तेरी चतुराई देख ली |लगता है की मासूम जानवरों को मार कर ही अपने आप को तू चतुर कह सकता है| एक साथ मिल जुलकर रहने के लिए अधिक बुद्धिमानी की आवशयकता होती है|दोस्त, अभी तुम इंसानों के लिए यह सीखना बाकी है!”इतना कह कर हीरक झट से घने वन में ओझल हो गया और बेचारा शिकारी हाथ ही मलता रह गया |हीरक ने उसे बता दिया था की मनुष्य ही नहीं ,पशु पक्षी भी अक्लमंद होते हैं |

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