कौवे की कहानी | मोनु के घर के सामने एक बड़ा सा आम का पेड़ था। जिसमें एक कौवे का जोड़ा रहता था। जिनका नाम चिंटू-मिन्टू था।
एक दिन बड़ी तेज आंधी आयी और उनका हौसला गिर गया। दोनों ही बहुत उदास हो गए। चिंटू ने मिन्टू से कहा, “अब क्या करें जब तक घोसला बन नहीं जाता तब तक हम क्या करेंगे?”
मिन्टू ने कहा देखो इस घर की मालकिन ने झाड़ू बाहर ही रखा हुआ है। तुम इससे तिनका निकालकर घोंसला बनाओ मैं कहीं पास से सूखी घास ही ले आती हूं। अगर हम मिलकर घोंसला बनाएंगे तो घोंसला आज ही बन जाएगा।
चिंटू ने कहा, “ठीक है।“ और दोनों काम पर लग गए। दोनों ने मिलकर के घोंसला बनाया। अगले दिन मोनु की मम्मी ने आम के पेड़ के नीचे लौकी की बेल लगा दी।
कोव्वे की कहानी
2 महीने बाद लौकी की यह बेल आम के पेड़ के ऊपर पहुँच गयी। वो बेल लगातार बढ़ती रहती थी। बेल में लौकी भी लगने लग गई थी।
एक दिन मोनु की मम्मी आम के पेड़ पर लगी हुई बेल से लौकी तोड़ रही थी। चिंटू ने सोचा यह महिला मेरे हौसले को नुकसान पहुंचाना चाहती है। तो चिंटू कांव-कांव करने लगा । चिंटू की कांव-कांव सुनकर मिन्टू भी आ गयी।
मिन्टू ने चिंटू से पूछा की क्या हुआ तुम इतने घबराये हुये क्यों दिखाई दे रहे हो। चिंटू ने बताया की ये महिला सायद हमारे घोंसले को नुकसान पहुचाना चाहती है। मिन्टू ने कहा, “तब तो हमे अब सतर्क रहना पड़ेगा।“
चिंटू बोला, “लेकिन मैं अब इस महिला को नहीं छोड़ूँगा। हमने इसके झाड़ू से अपना घोंसला बनाया है। सायद तब ये पेड़ पर चड रही थी।“
उस दिन से जब भी वह महिला घर से बाहर आती तो चिंटू उड़कर आता ओर उसके सिर में अपनी चोंच से मारता था। महिला को समझ नहीं आता था कि कव्वा ऐसा क्यों कर रहा है।
अगले दिन मिन्टू ने अपने घोंसले में अंडे दिए। मिन्टू ने सोचा की जब चिंटू घर आएगा तो वो अंडे देखकर बहुत खुस होगा। लेकिन चिंटू जब घर आया तो वह खुश होने के बजाय उदाश हो गया। मिन्टू ने चिंटू से उसकी उदासी का कारण पूछा। तो चिंटू ने कहा की मुझे इस बात का डर है कहीं वह महिला हमारे बच्चों को नुकसान ना पहुचाये।
Hindi story for kids
शाम को मोनु की मम्मी लौकी तोड़ने को पेड़ पर चड़ी और जो लौकी सबसे ऊपर लटक रही थी उसे तोड़ लाई। चिंटू ने देख लिया कि महिला लौकी तोड़ रही है पर उसे लगा कि कहीं महिला उनका घोंसला ना तोड़ दे। तो उसने महिला के सर में मानना शुरू कर दिया। मोनु की मम्मी को कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहा है।
एक दिन मोनु आम के पेड़ के नीचे ही बैठा था। एक सांप पेड़ पर चढ़ रहा था। मोनु पेड़ के ओर पीठ करके बैठा था। तो उसे पता नहीं चला की साँप पेड़ मे चढ़ने की कोसिस कर रहा है। लेकिन चिंटू कौवे ने साँप को पेड़ मे चढ़ते देख लिया था।
चिंटू के अंडों से अभी बच्चे बाहर भी नहीं निकले थे । चिंटू समझ गया था की साँप उसके अंडों को खाने के लिए ही पेड़ में चढ़ रहा है। उसने शोर करना शुरू कर दिया। शोर सुनकर पास मे दाना चुगने गयी मिन्टू फटाफट चिंटू के पास आ गयी।
kavve ki kahani
साँप को देख कर मिन्टू भी बहुत डर गयी। दोनों ने शोर करना सुरू कर दिया। दोनों की कांव-कांव सुनकर आसपास के सभी कौवे अपने झुंड के साथ आ गए । लेकिन साँप को देखकर किसी की हिम्मत पेड़ के पास जाने की नहीं हो पायी।
अब सभी कौवे शोर करने लगे। इतना ज्यादा शोर सुनकर मोनु का ध्यान कौवों के ऊपर गया । उसने सोचा की ये कौवे क्यों इतना कांव-कांव कर रहे हैं । जैसे ही मोनु ने पीछे देखा तो उसने साँप को पेड़ मे चढ़ते देखा। मोनु ने अपनी मम्मी के साथ मिलकर उस साँप को भागा दिया।
साँप के भाग जाने पर मिन्टू चिंटू को सांस मे सांस आई। उन्होने सभी कौवों का धन्यवाद किया। अब मोनु को पता चल गया था की इस पेड़ मे कौवे रहते हैं। मोनु कुछ भी खाता तो वह मिन्टू और चिंटू के लिए रोज घर के बाहर कुछ ना कुछ रख देता था।
Baccho ke liye hindi kahani-कौवे की कहानी
एक दिन मिन्टू ने देखा एक नेवला उनके घोंसले की तरफ बढ़ रहा था। उसके बच्चे अभी अभी अंडों से बाहर आए थे। वह जोर-जोर से कांव-कांव करने लगी ताकि कोई उसकी आवाज सुन ले।
दिन का समय था कोई भी बाहर नहीं था। मिन्टू उड़ के मोनु के कमरे के बाहर पहुंची और कांव-कांव करने लगी।
मोनु अपने कमरे में पढ़ रहा था। मोनु का सारा ध्यान अपनी पड़ाई में था। इसलिए उसने मिन्टू को नहीं देखा। तभी मिन्टू उसकी खिड़की में अपनी चौक से टकटक मारने लगी।
मिन्टू को मोनु ने देख लिया और उसको लगा कि आज दोपहर में मिन्टू को क्या हो गया है जो यहां खिड़की में मार रही है। मोनु मिन्टू के पीछे गया तो उसने देखा एक नेवला पेड़ में चढ़ रहा है।
मोनु ने फटाफट से लकड़ी उठाई और नेवले को पेड़ से नीचे गिरा दिया। फिर नेवला भागने लगा तो मोनु ने उसे बहुत दूर तक भगाने के लिए उसका पीछा किया और नेवले को दूर तक भगा दिया। अब चिंटू- मिन्टू को समझ आ गया की मोनु ओर उसकी मम्मी से उन्हें कोई नुकसान नहीं है। अब चिंटू ने भी मोनु की मम्मी को परेशान करना बंद कर दिया। फिर सब खुशी-खुशी रहने लगे।
लकड़हारे की कहानी | दूर एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था । जो लकड़ियाँ बेचकर ही अपना पेट पालता था। लकडहारे के पास एक अनौखी शक्ति थी । वो जो भी सपना देखता वो हमेशा सच हो जाता । उसने अपनी इस शक्ति के बारे मे सब से छुपा कर रखा था ।
एक रात उसने सपना देखा की जहां वो लकड़ी बेचने जाता है वहाँ भुकंप आ गया है और सारे लोग डर के मारे इधर-उधर भाग रहे हैं।
रोज की तरह लकड़हारा जब सुबह लकड़ी काटने गया तो एक आदमी ने उस से कहा , “भाई तुम जहां लकड़ी बेचने जाते हो आज सुबह-सुबह वहाँ भुकंप आया और लोगों में हड़कंप मच गया । तूम आज वहाँ मत जाना ।”
उसके ऐसा बोलने पर लकड़हारे को वो सपना याद आ गया जो उसने पिछली रात को देखा था । लकड़हारा उसे अपने सपने के बारे में बिना कुछ भी बताए अपने घर चला गया ।
अगली रात उस लकड़हारे ने फिर एक सपना देखा । इस बार सपने में परी लोक की महारानी के गले का हार चोरी हो गया है। अगली सुबह जब लकड़हारा लकड़ियाँ काटने जाने लगा तो रास्ते में उसे एक आदमी मिला, जिसने उससे किसी योग्य लकड़हारे का पता पूछा ।
लकड़हारे ने कहा ,”मैं भी एक लकड़हारा ही हूँ बताओ क्या काम है?”
“मैं परीलोक का सेनापति हूँ परी लोक के राजा को एक लकड़हारे की जरूरत है, क्या तुम मेरे साथ परी लोक चलोगे। ” सेनापति ने कहा ।
Lakadhare Ki Kahani
लकड़हारे को काम की जरूरत थी तो वो परी लोक जाने को राजी हो गया ।
लकड़हारा जैसे ही राजमहल के बड़े से दरवाजे के पास पहुंचा, तो देखा की महल में शोर हो रहा है, लकड़हारा ने पहरेदार से शोर का कारण पूछा ,पहरेदार ने लकड़हारे को बताया की कल रात महारानी का हार चोरी हो गया है।
उसी रात लकड़हारे ने सपने में महारानी की दासी को देखा । सपने में दासी अपने पति को उस हार को दूर शहर में बेच आने को कह रही है । जब लकड़हारे की नींद खुली, तो वो तुरंत राजा के महल में गया और राजा को बताया की आपके दास-दासियों ने ही हार चुराया है।
राजा ने राजमहल के सभी दास और दासियों को बुलाया । जैसे ही लकड़हारे ने उस दासी को देखा जो उसके सपने में आई थी तो वो उसे पहचान गया । उसने राजा को बताया की ये दासी ओर इसका पति चोर है। अपने ऊपर आरोप लगता देख वो दासी रोने लग गयी ।
दासी को रोता देख रानी को उसपर दया आ गयी । रानी ने गुस्से से कहा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मेरी खास दासी पर आरोप लगाने की, ये आदमी झुठा है इसे अभी कारागार में बंद कर दिया जाय । लकड़हारा डर गया और रानी से कहने लगा,
बच्चो के लिए हिन्दी कहानी
” महारानी आपके इसी भरोसे का इस दासी और इसके पति ने गलत फायदा उठाया है। “
राजा व रानी ने लकड़हरे की बात पे भरोसा न करते हुये उसे कारागार में बंद कर दिया।
लकड़हारा अपने साथ अन्याय होता देख खुद से कहने लगा, भलाई करने गया था क्या से क्या हो गया ।
कारागार के बाहर उसे वही सेनापति मिला । सेनापति ने कहा, “अगर तुम सच्चे हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ।”
“सेनापति जी मैं निर्दोष हूँ, मेरी मदद करो ।” लकड़हरे ने कहा ।
सेनापति ने उसे परी लोक की देवी के बारे में बताया, वो सिर्फ सच्चे इन्सानों की मदद करती है, “अगर तुम सच्चे होगे तो वो जरूर तुम्हारी मदद को आएगी।” सेनापति ने कहा ।
Lakadhare Ki Kahani– लकड़हारे की कहानी
लकड़हारा आंखे बंद करके परी को याद करने लगा। कुछ ही देर में उसके सामने एक सुंदर सी परी काले कपड़े पहने खड़ी थी । परी के हाथ में एक झाड़ू था ।
“तुम कोन हो, तुमने मुझे क्यों याद किया।” परी ने लकड़हारे से कहा । लकड़हारे ने परी को सारी बात सुनाई की कैसे वो परी लोक में फस गया । परी ने कहा ,” की मैं तुम्हें ये एक जादुई झाड़ू देती हूँ। बाकी तुम अपना दिमाग लगाओ की राजा के सामने तुम कैसे असली चोर को पकडवाओगे।” ऐसा कह कर परी गायब हो गयी ।
अब लकड़हारे के पास परी का जादुई झाडू था । ये परी का जादुई झाडू ही अब उसकी कुछ मदद कर सकता था ।
सेनापति ने लकड़हारे से कहा , “सारे चोर रात के अंधेरे में ही चोरी का माल दूसरे राज्य में ले जाते हैं , मेरे पास एक उपाय है । अब हमारे पास परी का जादुई झाडू है जिस की मदद से हम दोनों इसमे बैठ कर उस चोर को पकड़ सकते हैं ।”
Hindi Story For Kids– लकड़हारे की कहानी
वो दोनों झाड़ू में बैठ कर आकाश में उड़ गये , और महल के चारो ओर नजर रखने लगे । लेकिन उस रात उन्हें कोई भी चोर नहीं मिला ।
अगली रात को वो दोनों चोर को ढूंढने के लिए फिर से उस जादुई झाड़ू में बेठ कर उड़ गए । तभी उनको एक आदमी दिखाई दिया । जो हाथ मे गठरी लिए अंधेरे में छुप- छुप कर महल के बाहर जा रहा था । दोनों ने बहुत दूर तक उसका पीछा किया , पीछा करते-करते सवेरा हो गया ।
सुबह होते ही लकड़हारे ने उस चोर को पहचान लिया । और सेनापति को बताया की ये तो वही चोर है जिसने चोरी की है। सेनापति ने उस चोर को दबोच लिया और जादुई झाड़ू में बैठा कर सीधे राजमहल मे पहुच गये ।
जब परी का जादुई झाडू लोगों ने देखा तो राज दरबार के सभी लोग हैरान हो गए । सबको यकीन हो गया की लकड़हारा सच्चा है, क्योंकि परी का जादुई झाडू सिर्फ एक सच्चा इंसान ही प्राप्त कर सकता था । (birds name )
जब गठरी को खोला गया तो उसमे रानी का हार मिला । राजा ने दासी ओर उसके पति को कारागार में डालने के आदेश दिये। राजा ने लकड़हारे की सच्चाई से खुश हो कर उसे राज्य का विशेष सलाहकार बना दिया ।
कबूतर की कहानी | गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत शांत रहने वाला बच्चा था। उसको दोस्त बनाना बहुत अच्छा लगता था। पर असल जिंदगी में उसका कोई दोस्त नहीं था।
स्कूल में भी कोई उससे बात नहीं किया करता था। जब वह स्कूल जाता तो बच्चे उसका मजाक बनाते थे और कहते थे कि राजू का कोई दोस्त ही नहीं है। राजू घर जाकर अपनी मम्मी को सारी बातें बताता था।
राजू हमेशा उदास ही रहा करता था। उसकी मम्मी ने एक दिन राजू से कहा, “देखो बेटा राजू तुम परेशान मत हुआ करो, तुम्हारे दोस्त पक्का बन जाएंगे। तुम अपना टिफिन अपने क्लास के बच्चों के साथ बांटो तो तुम्हारे दोस्त खुद बन जाएंगे।“
मम्मी की बात सुनकर राजू खुश हो गया की अब वह कल स्कूल जाएगा और अपना टिफ़िन अपने सहपाठियों के साथ बांटकर खाएगा। जिससे उसके भी बहुत सारे दोस्त बन जाएंगे।
राजू ने अगले दिन सुबह अपनी मम्मी से टिफिन में ज्यादा खाना डालने को कहा। राजू स्कूल गया जैसे ही लंचटाइम हुआ, राजू के पास कोई बैठा ही नहीं। सब बच्चे अपने अपने दोस्तों के साथ चल दिए।
राजू उठा और बाहर चला गया। राजू ने थोड़ा सा ही खाना खाया। राजू बहुत उदास हुआ कि उसका कोई दोस्त नहीं बनेगा।
बच्चो के लिए हिन्दी कहानी -कबूतर की कहानी
अचानक उसे आसमान में कबूतर दिखाई दिया। जो उड़कर स्कूल की दीवार पर बैठ गया। राजू ने अपने टिफिन से रोटी निकाली और उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए। रोटी के टुकड़े राजू ने कबूतर के सामने फेंक दिए।
कबूतर पहले तो डर रहे थे। उन्होने देखा राजू कितने प्यार से रोटी को तोड़कर उनके लिए डाल रहा था। कुछ देर बाद एक कबूतर ने चुपके से एक रोटी का टुकड़ा उठा लिया। उसको देख के फिर सारे कबूतरों ने रोटी खाई।
रोज-रोज राजू यही करता। वह स्कूल जाता और घर से कबूतर के लिए भी खाना लाया करता। राजू और कबूतरों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।
एक बार राजू को आसमान में उड़ती हुई चिड़िया दिखाई दी, जो बहुत तेज उड़ रही थी। राजू उसे देखता रहा। जब वह चिड़िया थक गई तो वह पेड़ पर बैठ गई।
उसने अपने मुंह में अपना बच्चा दबा रखा था। राजू हैरान हो गया और उसने अपने दोस्त कबूतरों को बुलाकर यह सब बात बताई।
उनमें से एक कबूतर उड़ कर चिड़िया से सारा हाल पूछने के लिए चल दिया। जब कबूतर राजू के पास आया तो उसने राजू को बताया कि चिड़िया का बच्चा चिड़िया से बहुत जिद करता है कि उसे भी देखना है कि उड़ते हुए कैसा लगता है।
Kabootar Ki Kahani
बच्चा चिड़िया को बहुत परेशान किया करता है। ना वह चिड़िया का लाया हुआ खाना खाता है ना ही उससे प्यार से बात करता है। सिर्फ अपनी ज़िद पर ही अटके रहता है। जिस कारण बेचारी चिड़िया उसे मुंह में दबाकर ही घूमती है।
राजू ने सोचा चिड़िया का बच्चा तो बड़ा जिद्दी है। राजू ने कबूतर से कहा की जाओ चिड़िया को यहां बुला लाओ। मेरे पास एक युक्ति है।
कबूतर चिड़िया को बुलाने उड़ गया। शाम को चिड़िया और कबूतर राजू से मिले राजू ने युक्ति सभी को बताई। सबको राजू की योजना पसंद आई।
युक्ति के तहत उसी शाम चिड़िया अपने बच्चे को मुंह में दबाए उड़ रही थी। वह उड़ते उड़ते एक नदी के किनारे पहुंचने ही वाली थी कि उसके मुंह में दबा उसका बच्चा मुंह से छूट गया।
और नदी में बैठे मगरमच्छ की पीठ पर जा गिरा। मगरमच्छ सोया हुआ था। उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया क्योंकि वह बच्चा बहुत ही छोटा था।
पर गिरते ही वह जोर जोर से रोने लगा। इस वजह से मगरमच्छ की नींद खुल गई। मगरमच्छ ने सोचा आज कुछ तो खाने को मिलेगा। वह हिलने लगा ताकि बच्चा पानी मे गिर जाय।
कबूतर की कहानी – हिन्दी कहानी
चिड़िया का बच्चा और डर गया। इतने में राजू मगरमच्छ के सामने आकर कुछ दूरी बना कर खड़ा हो गया। मगरमच्छ ने कहा, “वाह! कितना बढ़िया दिन है ।आज तो दिन में ही शिकार मिल गया रात को काम नहीं करना पड़ेगा।“
मगरमच्छ अपने ऊपर गिरे चिड़िया के बच्चे को भूल कर राजू की तरफ तेजी से बढ़ने लगा। जैसे ही मगरमच्छ पानी से बाहर आया, तो ऊपर से चिड़िया ने आकर अपने बच्चे को उसकी पीठ से झटपट उठा लिया।
मगरमच्छ राजू का शिकार करना चाहता था। वह राजू के पास पहुंचने ही वाला था कि कबूतरों का बड़ा झुंड वहां अपने मुंह में पत्थर भरकर पहुंच गया। कबूतरों ने अपने मुंह से पत्थरों को मगरमच्छ पर फेंकना शुरू कर दिया।
इतने में मौका देख कर राजू वहां से भाग निकला। चिड़िया अपने बच्चे को घोसले में ले गई। वह बहुत डरा हुआ था। चिड़िया ने अपने बच्चे को समझाया की बच्चों को हमेसा बड़ों का कहना मानना चाहिए।
बड़ों का कहना न मानने से मुसीबत का सामना करना पड सकता है । अब उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी कि ऐसे उड़ना उसके लिए जोखिम भरा है। चिड़िया के बच्चे ने कहा की आज से वो जिद नहीं करेगा । ओर हमेसा अपनी मम्मी का कहना मानेगा।
चिड़िया राजू के पास आई और बोली तुम्हारी युक्ति काम कर गई मेरा बच्चा अब जब तक खुद उड़ना नहीं सीख जाए तब तक वह घोसले में ही रहेगा। राजू और उसके बहुत सारे कबूतर दोस्तों को बहुत खुशी हुई।
अब राजू को उसके बहुत सारे दोस्त मिल चुके थे। कबूतरों और चिड़िया से राजू की दोस्ती देखकर स्कूल मैं भी उससे सब बच्चे बात करने लगे और बहुत सारे बच्चे राजू के दोस्त बन गए थे। ( 25 फलो के नाम )
Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल | एक गाँव में एक किसान रहता था। वह जानवरों की भाषा समझ सकता था। हर शाम वह अपने खेत में रुकता था, ताकि वह अपने जानवरों को बातचीत करते हुए सुन सके।
एक शाम उसने अपने एक बैल को एक गधे से अपने काम की शिकायत करते हुए सुना।
बैल बोला, “दोस्त, मैं सुबह से लेकर रात तक हल जोतता हूं, कितना भी गर्म दिन हो, मेरे पैर कितने भी थक गए हो, मेरी गर्दन में कितना भी दर्द हो, मैं काम जरूर करता हूं।
लेकिन तुम आराम करते रहते हो, तुम्हारे तो मजे हैं तुम तो एक रंगीन कंबल में लिपटे रहते हो, मालिक के साथ इधर उधर जाने के अलावा कुछ नहीं करते हो और सारा दिन हरी घास खाते हो।”
यह गधा आलसी होने के बावजूद बैल का एक अच्छा दोस्त था। उसे बैल से सहानुभूति थी।
Moral story in Hindi
गधा बैल से बोला, “मेरे अच्छे दोस्त, तुम बहुत मेहनत करते हो और मैं तुम्हें आराम दिलाना चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम आराम कर सको।
सुबह जब किसान का नौकर तुम्हें काम पर ले जाने के लिए आए, तो ऐसे आवाज करना मानो तुम बीमार हो और काम नहीं कर सकते।”
किसान दोनों की बातें सुन रहा था। और उसे गधे के द्वारा दिये गए उपाय का पता चल गया था। बैल ने गधे की सलाह मान ली और अगली सुबह जब नौकर आया तो बैल ने बीमार होने का नाटक किया।
नौकर किसान के पास गया और किसान के पास पहुंच कर बताया कि बैल बीमार है और खेत नहीं जोत सकता है। किसान को तो इस बात का पहले से पता था की बैल आज बहाना करने वाला है।
किसान ने कहा, “बैल बीमार है तो गधे को खेत में ले जाओ और उससे खेत को जोतो।”
Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल
नौकर गधे को अपने साथ खेत में ले गया और पूरा दिन उसने गधे से खेत जुतवाया। गधे की मंशा दोस्त की मदद करने की थी। उलटा उसी को अपने दोस्त का काम करना पढ़ गया।
जब रात आई और उसे हल से आजाद किया गया, उसका दिल कड़वाहट सा भर गया था। गधे के पैर थके हुए थे और उसकी गर्दन हल के कारण सूज गई थी।
बैल ने आज दिन भर आराम किया था। वह गधे को देख कर खुशी से बोला, “तुम मेरे अच्छे दोस्त हो, तुम्हारी सलाह के कारण आज मैं 1 दिन आराम कर पाया।”
गधा बहुत थका हुआ था उसने गुस्से से जवाब दिया, “और में अपने दोस्त की मदद करने चला था और उसका काम करने पर मजबूर हो गया।
आज से तुम ही हल जोतना क्योंकि मैंने मालिक को अपने नौकर को यह बोलते सुना है की अगर बैल फिर बीमार हुए तो वह बैल को खाना नहीं देंगे। मैं तो यही चाहता हूं कि वह तुम्हें खाना न दें क्योंकि तुम बहुत ही आलसी हो।”
गधे के मुंह से एसी कड़वी बाते सुन बैल को भी गुस्सा आ गया। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से कभी बात नहीं की। यहां उनकी दोस्ती का अंत हो गया था।
इस कहानी से हमने क्या सीखा:
Moral Stories For Children In Hindi से यह सीख मिलती है की अगर तुम अपने दोस्त की मदद करना चाहो तो, मदद इस तरीके से करो की दोस्त का भार तुम पर न आए।
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शेर और हिरन की कहानी | घने जंगल में सन्नाटा छाया हुआ था। सारे पशु पक्षी सोए हुए थे। बस शिकारी जानवर जैसे भेड़िया, शेर ,लकड़बग्घा आदि जागे हुए थे। शेर शिकार करने के लिए झड़ियों के पीछे घात लगा कर बैठा हुआ था।
शेर और हिरन की कहानी- Hindi Story for kids
उसे हिरन का परिवार दिख गया था। जो अपने झुंड में सो रहा था। हिरन के झुंड को जैसे ही किसी की आहट सुनाई दी हिरन का झुंड भागने लगा। इतने में शेर झड़ियों से बाहर निकाल कर झुंड का पीछा करने लगा।
शेर जैसे ही एक हिरन के पास पहुंचने ही वाला था, वैसे ही हिरन दूसरी तरफ मुड़ गया। इस बार हिरन ने शेर को चकमा देकर अपनी जान बचा ली। हिरन के परिवार को शेर से रोज-रोज जान बचानी पड़ती थी। एक दिन हिरन के परिवार ने फैसला किया कि अब वह इस जंगल को छोड़कर कहीं दूर चले जाएंगे।
एक लकड़बग्घा उनकी सारी बातें सुन रहा था। उसने जाकर यह सारी बात शेर को बता दी। शेर ने एक योजना बनाई और शैतानी हंसी देते हुए लकड़बग्घे से कहा की जब हिरन का परिवार दूसरे जंगल की ओर जाएगा तब वह उन पर हमला करेगा।
शेर चाहता तो हिरन के परिवार को छोड़ भी सकता था। उसके पास जंगल में बहुत सारे शिकार थे पर शेर हिरन परिवार के पीछे ही पड़ गया था क्योंकि हिरन परिवार के सबसे छोटे हिरन जिसका नाम चीनू था उसने शेर के बेटे की आंख अपने सींघों से फोड़ डाली थी। शेर उसी का बदला लेना चाहता था।
हिरन परिवार ने तय किया कि वह उस जंगल में कल तक भी नहीं रुकेंगे और आज दिन में ही दूसरे जंगल की तरफ निकलेंगे। हिरन परिवार ने दूसरे जंगल के बारे में सुना था कि वहां कोई शेर नहीं है वहां ऐसे जानवर रहते हैं जो शेर के जैसे हिंसक नहीं होते बल्कि बहुत आलसी होते हैं।
Hindi Story For Kids – शेर और हिरन की कहानी-
शेर को पता ही नहीं चल सका कि हिरन का परिवार जंगल छोड़कर चले गया है। शेर रात का इंतजार कर रहा था। पर हिरन का परिवार जंगल छोड़ कर जा चुका था।
शेर गुस्से से बौखला उठा उसने उस लकड़बग्घे को बुलाया और गरजते हुए पूछा की तुम तो कह रहे थे कि हिरन परिवार आज शाम को दूसरे जंगल को जाएगा पर यहां तो कोई है ही नहीं। लकड़बग्घा डर गया और बोला कि मैं अभी पता लगाकर आपको बताता हूं कि हिरन का परिवार कहां है।
लकड़बग्घा जंगल के जानवरों से पूछताछ करने लगा। उसे एक खरगोश मिला जो एक गाजर को कुतर-कुतर कर खा रहा था। उसने खरगोश से पूछा,
“अरे भाई तुमने चीनू को देखा।“ खरगोश बोला की मैं तो आज अपने लिए गाजर को ढूंढने में व्यस्त था। मैंने किसी को नहीं देखा, हां इस पेड़ के ऊपर बंदर रहते हैं हो सकता है उनमें से किसी ने उन्हें देखा हो।“
लकड़बग्घा बंदर की टोली के पास पहुंचा और उसने बंदरों से पूछा, “ तुमने किसी हिरन के परिवार को देखा क्या।“ एक बंदर बोला की हम तो खा पीकर सो जाया करते हैं। दिन में कोई कहीं भी जाए हमें कोई मतलब नहीं होता।“
Sher aur Hiran Ki Kahani
लकड़बग्घा सोचने लगा कि फालतू में शेर और उस हिरन की दुश्मनी में वह बीच में पड़ गया। लकड़बग्घा अब और आगे गया। उसे एक चिड़िया पानी के तालाब के पास मिली।
लकड़बग्घे ने सोचा कि यह चिड़ियां उसके काम आ सकती है तो उसने चिड़िया से कहा,
“बहन मेरा दोस्त मुझे बिना कुछ बताए कहीं चला गया है। मैं उसे सुबह से ढूंढ रहा हूं तुमने उसे देखा क्या?”
चिड़िया बोली, “नहीं मैंने तो किसी को नहीं देखा, कौन है तुम्हारा दोस्त?”
लकड़बग्घा बोला, “मेरे दोस्त का नाम चीनू है वो एक हिरन है, शायद वह पूरे परिवार के साथ कहीं चला गया है। मैं उसे ढूंढ रहा हूं।”
चिड़िया ने कहा, “तुम यहीं पर ठहरो मैं एक बार जाकर आसपास देख आती हूं, फिर मैं तुम्हें बताऊंगी।“
लकड़बग्घे की चाल कामयाब हो गई। चिड़िया उड़ते हुए आसमान से हिरन के परिवार को देख आई थी। वह परिवार जंगल से बहुत दूर पहुंच गया था।
चिड़िया लकड़बग्घे के पास आई और बोली की हिरन अपने परिवार के साथ शाम तक दूसरे जंगल तक पहुंच जाएगा।
Hindi Story For Kids – शेर और हिरन की कहानी
अब लकड़बग्घा भाग कर शेर के पास गया और कहा, “जनाब हिरन का परिवार दूसरे जंगल को निकल गया है और शाम तक दूसरे जंगल पहुंच जाएगा।“
शेर लकड़बग्घे से बोला, “अगर मैं शिकार के लिए अभी से दूसरे जंगल को निकलता हूं तो आज रात तक मैं उस जंगल में पहुंच जाऊंगा।“ शेर ने दौड़ लगा दी।
वहीं हिरन का परिवार शाम होते-होते दूसरे जंगल में पहुंच गया। उन्होंने देखा यह जंगल सच में बड़ा सुंदर है। बड़े बड़े बांस के पेड़ हर जगह फैले हुए थे। दूर-दूर तक पेड़ ही पेड़ नजर आ रहे थे।
हिरन के सबसे छोटे बेटे चीनू ने वहां रंग बिरंगी हरे, नीले, पीले ,लाल और बैगनी रंग की तितलियां भी देखी। चीनू को बचपन से छोटी- छोटी और गोल-गोल चीजें बड़ी पसंद थी।
उसने अपने मम्मी पापा से कहा, “देखो-देखो कितना प्यारा जंगल है। चलो और आगे बढ़ते हैं। यहां हमारे रहने के लिए जरूर कोई जगह मिल जाएगी।“
हिरन का परिवार जैसे ही आगे निकला उन्होंने एक छोटे से गोल मटोल से जीव को देखा जो सफेद और काले रंग का था। उन्होंने ऐसा जानवर पहली बार ही देखा था।
उन्होंने रुक कर उसे देखा। वह बहुत मोटा सा था। जो बांस के पेड़ पर चढ़कर गुटर-गुटर कर उसे खा रहा था। चीनू उसे देख कर बड़ा ही खुश हुआ।
Sher aur Hiran Ki Kahani – शेर और हिरण की कहानी
चीनू उसके पास गया और उसने बोला, “हेलो मैं चीनू हूं, तुम्हारा क्या नाम है? तुम तो बड़े प्यारे लगते हो।“ उस जानवर ने कहा, “मेरा नाम पूह है मैं पांडा परिवार से हूं।“
“पांडा परिवार? तुम्हारा परिवार तो बहुत ही सुंदर लगता है,तुम मुझसे दोस्ती कर लो।“ चीनु ने कहा।
पूह ने कहा, ”हम लोग दोस्त नहीं बनाते, पर अगर तुम इस बांस को नीचे गिरा सको तो मैं तुम्हारा पक्का दोस्त बन जाऊंगा।“
चीनू ने अपने मजबूत सींघों से पूह के लिए बांस को नीचे गिरा दिया। पूह बड़ा ही खुश हुआ उसने कहा कि चीनू तुमने मेरे खाने का बड़ा अच्छा इंतजाम कर दिया है। तो चीनू ने उसे कहा, “क्या तुम इन बांस को खाते हो?”
तो पूह ने कहा, “हां मैं तो अभी छोटा हूं तो मैं बस 15 से 16 किलो ही खा पाता हूं, पर मेरे मम्मी पापा रोज 25 किलो बांस खा जाते हैं। तभी तो हम बांस के जंगल में ही रहते हैं।
यहां शेर लकड़बग्घा और खतरनाक जानवर नहीं है। क्योंकि बांस इतने बड़े और घने होते हैं कि शेर उनको पार करने की सोचता ही नहीं। पर हां कोई शेर आना भी चाहे तो उससे हमें कोई नुकसान नहीं है क्योंकि हम खुद शेर को भगा देते हैं।“
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चीनु ने कहा, “हमें तो शेर के डर से ही उस जंगल को छोड़कर यहां आना पड़ा।“ पूह ने प्यार से कहा, “अरे तुम चिंता मत करो, अब तो तुम मेरे दोस्त हो। मैं और मेरा परिवार तुम्हारी हिफाजत करेंगे।“
अगले दिन शेर पीछा करते हुए इस जंगल में पहुँच गया। शेर पिछली रात से ही हिरन परिवार की खोज में था। उसे बदला जो लेना था। शेर को एक पांडा मिला । शेर उससे पूछा, “तुमने हिरन परिवार को देखा क्या?” तो उस पांडा ने कहा की उसने किसी हिरन को नहीं देखा है।
वह पांडा पूह ही था। फिर पूह ने जा कर चीनू के परिवार को बताया की शेर उनको ढूंड्ते हुये यहा तक पहुच गया है। चीनु के पापा ने पुह को शेर के बदले के बारे मे बताया। पुह ने उन्हें घने बांस में छुप जाने को कहा।
शेर और हिरन की दोस्ती
पूह फिर शेर के पास गया उसने शेर से कहा कि तुम हिरन परिवार को क्यों ढूंढ रहे हो। तब शेर ने कहा की मैं अपना बदला लेना चाहता हूं। हिरन के बेटे ने मेरे बेटे की आंख फोड़ डाली थी।
पूह ने शेर को समझाया कि देखिए बदला लेना कोई अच्छी बात नहीं है। हिरन का परिवार आपका कैसे कुछ बिगाड़ सकता है। आप तो बड़े ही ताकतवर जान पड़ते हो।
अगर हिरन का परिवार आपके जंगल से चले गया है तो यह आपके लिए बड़ा खुशी का मौका है क्योंकि आपके बेटे को अब उन्हें देखकर गुस्सा नहीं आएगा और आप तो जानते हैं कि हमें अच्छी आदतें डालनी चाहिए, दूसरों को माफ कर देना चाहिए।
आप हमारे जंगल से ऐसी दवाई ले जाइए जिससे आपके बेटे की आंख पूरी तरह ठीक हो जाएगी।
शेर ने कहा, “क्या ऐसी कोई दवाई होगी तुम्हारे पास?” पूह ने कहा, “हां है ना मैं अभी लेकर आता हूं।“
बच्चो के लिए हिन्दी कहानी
पूह एक पोटली ले आया उसने कहा, “इस पोटली में जो हरे रंग की पत्तियां होंगी उनको पीसकर उसका रस अपने बेटे की आंख में डालना और 3 दिन बाद आपके बेटे की आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी। अपने बेटे से कहना कि यह दवा हिरन ने ही दी है।“
यह बात सुनकर शेर चौंक गया और बोला, “हिरन भला मेरे बेटे के लिए दवाई क्यों देगा? चीनु ने ही तो मेरे बेटे की आँख फोड़ी थी।“
पुह ने बताया की चीनु का परिवार अपनी गलती के लिए शर्मिंदा है। उन्होंने जानबुझ के आपके बेटे की आँख नहीं फोड़ी थी। वो तो चाहते हैं की आपके बेटे कि आँख जल्दी ठीक हो जाए इसलिए उन्होने ये दवाई भिजवाई है।
ये बात सुनकर शेर रो पड़ा और बोला, “चीनू की तो कोई गलती भी नहीं थी। मेरा बेटा ही उनको परेशान कर रहा था वह ही पेड़ से चीनू पर कूदा और चीनू का सींघ उसकी आंख में जा घुसा।“
पूह ने कहा, “मैं ये सब जानता हूं।“ तब शेर बोला, “क्या चीनू और उसका परिवार यहीं पर है।“ पूह ने कहा, “हाँ यहीं पर हैं।“ शेर ने रोते हुए कहा की जो भी मैंने उनके साथ किया में उसके लिए माफी मांगना चाहता हूं।“
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चीनू शेर और पूह की बातें पेड़ के पीछे छुपकर सुन रहा था। चीनू सामने आया शेर ने उससे माफी मांगी और अपने जंगल चला गया। वहां पहुंचकर वह दवाई उसने अपने छोटे बेटे की आंखों में लगातार तीन दिन तक डाली।
जैसे ही चौथे दिन की सुबह हुई तो उसके बेटे की आंख ठीक हो गई। शेर ने अपने बेटे को सब बातें बता दी। फिर शेर के बेटे ने शेर से कहा, “मैं भी आपके साथ ही हिरन के परिवार और पांडा के परिवार से मिलने जाओंगा।”
फिर शेर अपने बेटे को अपने साथ दूसरे जंगल ले गया। शेर पूह और पांडा से मिला और कहा कि हम अब तुम्हारे साथ खेलने हर महीने इस जंगल में आएंगे और शेर का बेटा जिसका नाम शेरू था उसके दो दोस्त पूह और चीनू बन गए।
Sher aur Hiran Ki Kahani से हमने क्या सीखा:
Sher aur Hiran Ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है कि हमेसा दूसरों का भला करना चाहिए। भलाई से ही हम दूसरों का दिल जीत सकते हैं।
शेर और खरगोश की कहानी |एक जंगल में एक बड़ा ही खतरनाक शेर रहता था। जब भी वह भूखा होता तो एक कमजोर जानवर को दबोच कर उससे कहता, “जाओ अपने परिवार के सबसे हष्ट-पुष्ट जानवर को मेरे पास लेकर आओ वरना, मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा। सभी जंगली जानवरों को उस शेर का बड़ा ही खोफ था।
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एक बार उस शेर ने एक खरगोश को पकड़ लिया और उससे कहा, “जाओ और अपने परिवार के सबसे तगड़े खरगोश को लेकर आओ नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा । ” खरगोश ने शेर से कहा, “शेर महाराज आप तो बड़े ताकतवर हैं। मैं तो बहुत छोटा सा जानवर हूँ। मुझे खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। आप तो बड़े दयावान लगते हैं कमजोर जनवारों का शिकार करना आपको शोभा नहीं देता है। आप मुझे छोड़ दीजिये और किसी तगड़े शिकार की तलाश कीजिये, जिस से आपका पेट भर सके ।”
शेर अपने तारीफ सुनके गदगद हो गया और गर्व से अपना सीना चौड़ा कर के बोला, “हाँ तो मैं किसी कमजोर शिकार को क्यों खाऊ भला, तुम जानवरों ने मुझे समझा क्या है ? इस जंगल में कोई भी जानवर मुझ से ज्यादा बलशाली नहीं है इस लिए मैं भूख मिटाने के लिए तुम जैसे छोटे जानवरों का शिकार कर लेता हूँ ।”
खरगोश बहुत चतुर था । उसने कहा, “महाराज शेर मुझे आपके ही जैसे बलशाली और ताकतवर शेर की एक कहानी याद आ रही है, आप कहो तो मैं आपको सुना सकता हूँ।” खुद की तुलना एक बलशाली शेर से होता देख शेर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था ।
शेर और खरगोश की कहानी
शेर ने खरगोश को कहानी सुनाने की अनुमति दे दी । खरगोश को एक कहानी याद थी जो उसके दोस्त चूहे ने उसे कुछ दिन पहले ही सुनाई थी । खरगोश ने वही कहानी शेर को सुनाई :-
“महाराज एक जंगल में एक बहुत ही ताकतवर शेर रहता था । उसकी भुजाओं में इतना बल था की वो अपने एक पंजे से हाथी को गिरा दे। जंगल के सभी जानवर उस से डरते थे लेकिन वो कभी भी किसी कमजोर जानवर का शिकार नहीं करता था ।”
शेर को खरगोश की सुनाई कहानी बहुत ही पसंद आई , क्योंकि शेर कहानी के शेर की तुलना खुद से कर रहा था । उसे एसा लग रहा था मानो वो ही इस कहानी का बलशाली शेर है। शेर के सबसे छोटे बेटे को भी उसकी कहानी पसंद आई ।
शेर ने खरगोश को कहा, “आज से रोज शाम को तुम मुझे और मेरे बेटे को यहाँ आ कर कहानियाँ सुनाया करोगे। और जिस दिन भी तुम नहीं आओगे, तो तुम्हारे परिवार का एक सदस्य कम हो जाएगा , मैं उसे खा जाऊंगा।
खरगोश परेशान हो गया ,उसने अभी तो अपनी जान बचा ली थी लेकिन उसे इस बात की चिंता हो रही थी की वो रोज शेर को कहानियाँ कहाँ से सुनाएगा ।
खरगोश परेशान सा मुह लेकर अपने दोस्त चूहे के पास गया और उसे पूरी बात बताई । चूहे ने खरगोश की परेशानी देख उसे एक और कहानी सुनाई । अब हर दिन खरगोश चूहे से कहानी सुनता था और हर शाम को जा कर के शेर और उसके बेटे को कहानी सुना देता था। इस प्रकार से खरगोश और शेर दोनों खुश थे ।
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एक दिन, शेर के बच्चे ने खरगोश से कहा, “खरगोश भाई तुम्हें रोज रोज नई नई कहानियाँ कहाँ से आ जाती हैं?” खरगोश ने कहा, “महाराज ये कहानियाँ मुझे सपने मैं दिखाई देती हैं । वही कहानी मैं आप लोगो को शाम को सुना देता हूँ।” शेर के बच्चे को खरगोश की बातों पर भरोशा नहीं हुआ । शेर के बच्चे ने सोचा की क्यों न आज इस खरगोश का पीछा किया जाए। और शेर का बच्चा चुपके-चुपके खरगोश के पीछे चल दिया ।
खरगोश सीधा चूहे के पास गया और उससे पूछा, “दोस्त तुम्हें ये कहानियाँ कहाँ से आती हैं?” चूहा ने उसे बताया , “एक जादुई पेड़ है। जिसके पत्तों में कहानियाँ लिखी होती हैं। इसी पेड़ के कारण मैं तुम्हें रोज नई कहानी सुना पता हूँ।
शेर का बच्चा ये सारी बात सुन रहा था। फिर खरगोश ने चूहे से कहा, “तुम मुझे भी उस जादुई पेड़ के पास ले चलो, मैं भी उसे देखना चाहता हूँ।” चूहे ने कहा, “चलो चलते हैं।” वो दोनों जादुई पेड़ के पास पहुचे। जैसे ही खरगोश ने उस पेड़ को देखा उसे देख के वो खुस हो गया ।
जादुई पेड़ ने कहा आ गए तुम तीनों। चूहा ,खरगोश और शेर तीनों हैरान हो गए । शेर ने सोचा इसे कैसे पता मैं भी यहा हूँ, और खरगोश और चूहे ने सोचा हम तो दो ही हैं तीसरा यहाँ कौन है।
खरगोश ने जैसे ही पीछे देखा तो शेर का बच्चा वही पीछे खड़ा था। उसने खरगोश से बोला, “तुमने पापा को झूठ बोला की कहानी तुमको सपने में दिखाई देती है। खरगोश डर गया और रोने लग गया की शेर अब उसे खा जाएगा। शेर का बच्चा गुस्से से वहाँ से चला गया।
शेर और खरगोश की कहानी
चूहे को पता था की जादुई पेड़ खरगोश की कोई मदद जरूर कर सकता है। तो उसने जादुई पेड़ से बोला, “जादुई पेड़ ये मेरा दोस्त है। शेर के बच्चे को सब सच पता चल गया है अब खरगोश के परिवार का क्या होगा। पेड़ ने अपने एक बेल को इतना लंबा किया की शेर के बच्चे का पाँव उस बेल मे फस गया । एक दिन बीत गया। अगली शाम खरगोश शेर को कहानी सुनने गया । शेर अपने बच्चे के खो जाने के कारण परेशान हो गया था । तो शेर को देख के खरगोश को दया आ गयी ।
खरगोश उसी जादुई पेड़ के पास गया और उसने पेड़ को बताया की शेर का बच्चा न जाने कहाँ गुम हो गया है । पेड़ ने खरगोस की बताया की वो तो कल से उसकी जादुई बेल में फसा पड़ा है। खरगोस ने पेड़ से कहा की वो शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दे । पेड़ ने कहा,
“अगर मैं उसको निकाल दूंगा तो शेर तुमको खा जाएगा।”
खरगोश ने कहा ,”कोई बात नहीं , मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से किसी मासूम बच्चे की जान जाए ।” खरगोश शेर के बच्चे के पास गया । और कहा ,” तुम चिंता मत करो मैं तुमको बाहर निकालूँगा।
शेर और खरगोश हिन्दी कहानी
पेड़ ने खरगोश से कहा, “तुमको अपनी जान की परवाह नहीं है? तुम अपने बदले शेर की जान बचना चाहते हो तो ठीक है मैं इस बच्चे को निकाल देता हूँ।”
पेड़ ने शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दिया है। शेर के बच्चे ने पेड़ ओर खरगोश की पूरी बात सुन ली थी। खरगोश और शेर का बच्चा घर को चल दिये। बिल्ली की कहानी – पढ़ें
शेर ने जेसे ही अपने बच्चे को देखा वो खुश हो गया ओर उस से पूछा की तुम अभी तक कहाँ थे। बच्चे ने शेर को सब बात बता दी। खरगोश की उदारता देख शेर ये निर्णय लिया की वो अब किसी भी कमजोर जानवर का शिकार नही करेगा । इस प्रकार उस जंगल में सब जानवर शेर की इज्जत करने लगे । अब खरगोश और शेर अच्छे दोस्त बन गए । इस जंगल में अब खरगोश और शेर की दोस्ती के किस्से हर किसी की जुबान पर रहने लगे ।
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एक जंगल में एक हाथी अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह हाथी अपने पूरे परिवार के साथ एक जंगल से दूसरे जंगल को जा रहा था । रास्ते में हाथी को एक चमकती हुई चीज दिखाई दी । हाथी के मन में विचार आया कि आखिर यह चीज क्या है जो इतना चमक रही है।
हाथी अपनी धुन में मगन उस चीज की तरफ बढ़ता चला गया। जिस वजह से वह अपने परिवार से अलग हो गया। जैसी ही हाथी चमकती हुई चीज के पास पहुंचा तो वह कुछ और नहीं बल्कि एक कील थी, जो सूरज की रोशनी पढ़ने से इतना चमक रही थी। गलती से हाथी का पैर उस कील के ऊपर पड़ गया और वह कील हाथी के पैर में घुस गई ।
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जिस वजह से हाथी के पैर से खून ही खून बहने लगा। हाथी का पूरा परिवार काफी दूर निकल चुका था। अब हाथी किसी से मदद भी नहीं मांग सकता था। कुछ ही देर में अंधेरा हो गया। बेचारा हाथी रात भर वहीं बैठ कर दर्द के मारे कराहता रहा । जब तक हाथी के परिवार को पता चलता कि छोटा हाथी उनसे अलग हो चुका है तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
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अंधेरा काफी हो गया था इस वजह से वह अपने छोटे हाथी को नहीं ढूंढ पाए। अगली सुबह एक बूढ़ा दंपति उस रास्ते से गुजरा तो उन्होंने देखा कि एक हाथी का बच्चा लेटा हुआ है जिसके पैर से खून ही खून निकल रहा है।उन्होंने जैसे-तैसे हाथी के पास जाने की हिम्मत की । उन्होंने देखा छोटे हाथी का पैर सूजा हुआ है और एक मोटी सी कील हाथी के पैर में चुभी हुई है।
बूढ़े आदमी ने फटाफट से उस कील को निकाला और जैसे ही हाथी के पैर से कील निकली तो खून बहने लगा। इसके साथ ही हाथी का दर्द कुछ कम हुआ और उसे होश आने लगा। बूढ़े दंपति को देखकर हाथी थोड़ा सा डर गया लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था। क्योंकि उसके पैर में दर्द हो रहा था और वह समझ चुका था कि यह बूढ़ा दंपति ही उसकी मदद कर सकता है ।
हाथी के पैर से बहते हुए खून को रोकने के लिए बूढ़ी औरत ने घाव को पानी से धोकर साफ कपड़े से बांध दिया ।इतनी देर में हाथी का परिवार हाथी को ढूंढते हुए वहां पहुंच गया । हाथियों के एक झुंड को अपनी तरफ आता देख बूढ़ा दंपत्ति डर गया। वह समझ चुके थे कि यह हाथी का ही परिवार है इसलिए वह छोटे हाथी को वहीं छोड़ अपने घर की ओर चल दिए।
Hathi Ki Kahani
जैसे जैसे समय बीतता गया बूढ़ा दंपति इस घटना को भूल चुका था । जिस गांव में यह बूढ़ा दंपति रहता था वहां का जमीदार बहुत ही दुष्ट था। यह जमीदार पूरे गांव से कर वसूली किया करता था। जो भी परिवार कर नहीं दे पाता था जमीदार जबरदस्ती उनके खाने का अनाज भी अपने साथ ले जाता था । बूढ़ा दंपत्ति अब बीमार रहने लगा था। जिस वजह से वह अपने हिस्से का कर नहीं दे सके। इसलिए जमीदार उनके खाने का अनाज अपने साथ ले गया।एक दिन बूढ़ा दंपति जब सुबह उठा तो उनके घर के आगे एक अनाज की बोरी रखी हुई थी।
बूढ़े दंपति को यह समझ नहीं आया कि यह अनाज की बोरी कहां से आई होगी चूंकि दंपति के पास खाने के लिए अनाज की कमी थी इसलिए उन्होंने उस बोरी को अपने पास रख लिया।अब गांव में यह शोर होने लगा कि जमींदार के घर से अनाज की एक बोरी कोई उठा ले गया है।
अगले सुबह फिर से बूढ़े दंपति को अपने घर के बाहर एक चीनी की बोरी रखी हुई मिली। इस बार भी यह चीनी की बोरी जमींदार के घर से ही चुराई गई थी। अब बूढ़े दंपति को पूरा यकीन हो गया कि कोई जमींदार के घर से अनाज चोरी करके उनके घर के बाहर रख कर जाता है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा कौन और क्यों कर रहा है। बुद्धिमान हाथी की कहानी
बुद्धिमान हाथी की कहानी
यह जानने के लिए उन्होंने अब रात भर जागकर पहरेदारी करने की ठानी । जैसे ही रात हुई तो उन्होंने देखा कि एक हाथी अपनी सूंड में गन्ने दबा कर लाया और उनके दरवाजे पर रख दिए। हाथी ने भी बूढ़े दंपति को देख लिया और वह उन्हीं के सामने बैठ गया बूढ़ा दंपति उस हाथी को देखकर डर गए।
दंपति को डरता देख हाथी ने अपना पांव आगे बढ़ा दिया जिस पर एक बड़े से घाव का निशान था इस घाव को देखकर बूढ़े दंपति को वह घटना याद आ गई जब उन्होंने एक छोटे हाथी के पैर से कील निकाली थी। बूढ़ा दंपति समझ गया कि यह वही छोटा हाथी है जो अब बड़ा हो गया है और उनकी मदद इसलिए कर रहा है क्योंकि उन्होंने उसकी मदद की थी ।
बूढ़ा दंपति हाथी को पहचान गया । वह हाथी के पास गए तो हाथी ने उन दोनों को सूंड से उठाकर अपनी पीठ में बैठा लिया । इतनी ही देर में जमींदार व उसके आदमी हाथी के पीछे पीछे बूढ़े दंपति के घर पहुंच गए। जमींदार और उसके आदमियों ने हाथी को अपने काबू में करने की कोशिश की लेकिन हाथी ने अपनी सूंड से सब को उठा कर फेंक दिया।
जिससे जमींदार व उसके आदमियों के हाथ पैर टूट गए। जमीदार जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया । अब गांव में सब को पता चल गया कि हाथी बूढ़े दंपति की मदद करता है और अब जमीदार ने गांव के लोगों को परेशान करना बंद कर दिया।
Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी | एक देश में एक राजा रहा करता था। उसकी बहुत सारी रानियां थी उस में से सबसे छोटी रानी उसकी सबसे खास रानी थी। वह बाकी की सारी रानियों में से कम उम्र की रानी थी।
रानी की मासूमियत अक्सर राजा को बहुत पसंद आती थी। रानी का जानवरों के प्रति प्रेम राजा को भा जाता। सबसे छोटी रानी के जानवरों के प्रति प्रेम होने के कारण रानी ने बहुत सारे जानवर और पशु पक्षी पाल रखे थे।
रानी एक बार शहर मे घूम रही थी। तो उसकी नजर एक बंदर के बच्चे पर पड़ी। जो अकेला था। सायद वह अपने परिवार से बिछड़ गया था। रानी को उस पर दया आ गई। और वह उसे अपने साथ राजमहल ले आई।
अब रानी ही उसकी देखभाल करती थी। वह बंदर रानी को इतना प्यारा की रानी उसे अपने साथ ही सुलाती और उसका सारा काम भी अपने आप किया करती थी। रानी ने बंदर को सुबह सैर करना और खाना नीचे बैठ कर खाना सिखाया था।
रानी का बंदर उसे नाच करके भी दिखाता था। रानी को उस बंदर का नाच ही सबसे प्यारा लगता था।रानी उसका नाच देखे बिना अपना दिन शुरू नहीं करती थी।
Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी
एक बार महल में एक चोर घुस आया जिसने रानी के उस प्रिय बंदर को चुरा लिया। चोर जानता था कि राजा की प्रिय रानी को बंदर सबसे प्यारा था। जिसके बदले उसे बहुत सारे पैसे मिलने की पूरी उम्मीद थी।
राजा ने अपने सेनापति को बुलाकर बंदर की खोज करवाने के लिए सैनिकों को भेज दिया। पर बहुत दिन बीत जाने के बाद भी वह चोर पकड़ा नहीं गया।
एक दिन बंदर चोर के चंगुल से भाग कर रानी के पास राजमहल पहुच गया। जैसे ही छोटी रानी ने इस बंदर को देखा तो बंदर रानी के पास दौड़ता हुआ चला गया। रानी अपने बंदर को पाकर बहुत खुश।
परंतु अगले दिन रानी उठी तो उसने पाया कि उस बंदर की आदतें तो वैसी ही थी पर वह बंदर अब नाच करके दिखलाता ही नही था। रानी बहुत दुखी रहने लगी। रानी ने राजा को बंदर के बारे में बताया कि बंदर अब तो नाच करके भी नहीं दिखलाता।
राजा रानी की बातों को सुनकर रानी को समझाने लगा। परंतु रानी नहीं मानी अब रानी बहुत दुखी रहने लगी। उसे बंदर का नाच देखने को नहीं मिलता था। अब रानी ना कुछ खाती और ना कुछ बोलती वह हमेशा उदास ही रहने लगी।
Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी
रानी की इस दशा को देखकर राजा ने दरबार बुलाया और एलान किया की रानी के प्रिय बंदर को जो भी पहले जैसा नाँच करना सीखा देगा उसे राजा इनाम में 100 सोने के सिक्के देंगे।
अब बहुत सारे लोग राजदरबार में आते और राजा के बंदर को नचाने की कोसिस करते। लेकिन कोई भी आदमी बंदर को नचा नहीं पता था। इससे रानी ओर ज्यादा उदास रहने लगी।
कुछ दिनों बात राजदरबार मे एक मदारी आया और बोला, “महाराज मैं इस बन्दर को नाँच करना सीखा सकता हूं, लेकिन मुझे 10 दिन का समय दीजिए। आपको ये बंदर मुझे दस दिन के लिए देना होगा। राजा मान गए। और उन्होने मदारी को बंदर दस दिन के लिए दे दिया।
वह आदमी बंदर को अपने साथ ले गया। दूसरे दिन सुबह होते ही उसने एक बड़ा सा तवा गर्म किया। और उसने बंदर को पकड़कर उस तवे पर रख दिया। जैसे ही गर्म तवे पर बंदर के पैर पड़े तो बंदर उछलने लगा।
उस आदमी ने बंदर के साथ लगातार कुछ दिनों तक ऐसा ही किया। अब जैसे ही बंदर उस गरम तवे को देखता तो वह खुद उछलने लगता और नाच करने लगता। कुछ दिनों में ही बंदर पहले जैसा नाचने लगा।
Kids Stories In Hindi –
अब वही आदमी बंदर को लेकर राज दरबार पहुंचा और उसने राजा को बंदर वापस कर दिया और बोला, “महाराज यह अब पहले जैसा नाँच दिखायेगा ।बस आपसे एक विनती है जैसे ही आपको बंदर को नाच करवाना हो तो आप एक तवा बंदर के सामने रख दीजिए बंदर उसे देखकर नाचने लगेगा।“
अब रानी रोज बंदर के सामने एक तवा रख देती थी। जैसे ही बंदर उस तवे को देखता, वह उछलने लगता और नाचने लगता। रानी उसकी हरकतों को देखकर खुश हो जाती।
राजा ने देखा कि बंदर पूरी तरह ठीक हो चुका है तो राजा ने उस आदमी को बहुत सारा धन दिया। इस प्रकार उस बुद्धिमान मदारी ने अपनी बुद्धि से बहुत सारा धन प्राप्त कर लिया।
bandar ki kahani से हमने क्या सीखा:
bandar ki kahani से यह सीख मिलती है कि जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेड़ी करनी पड़ती है। मतलब जब सही तरीके से काम ना बने तो हमें चालाकी से काम लेना चाहिए।
एक बार एक अमीर आदमी ने एक चिड़िया को पकड़कर पिंजरे में डाल दिया। चिड़िया उस आदमी से प्रार्थना करने लगी, “कृपया मुझे आज़ाद कर दो।
अगर तुम मुझे जाने दो, तो मैं तुम्हें खुशी का राज बताऊंगा। आदमी अमीर था लेकिन खुश नहीं था। वह खुश रहने का राज़ जानना चाहता था। इसलिए उसने चिड़िया को पिंजरे से आज़ाद कर दिया।
चिड़िया ने कहा, सुनो “जो कुछ हुआ है उसके लिए कभी मत रोओ।” और फालतू की बातों पर कभी भरोसा मत करना।” यही खुशी का राज है।
चिड़िया कुछ और ऊपर उड़ी और बोली, “तुमने मुझे आज़ाद करके बहुत बड़ी गलती की है। मेरे पंखों के नीचे कीमती हीरे हैं। अब आपको उनमें से कोई भी नहीं मिलेगा।”
यह सुनकर अमीर आदमी सचमुच बहुत गुस्सा हुआ और बहुत दुखी था। उस आदमी ने कहा, “अरे नहीं! मैं कितना पागल हूँ!
चिड़िया ने कहा, “पागल मत बनो साहब”। “तुम अच्छे आदमी हो कि तुमने मुझे जाने दिया। इसलिए मैंने आपको एक अच्छी सलाह दी है। मैंने आपको जो सलाह दी है, उसके बारे में सोचें।
पहली बात में मैंने कहा, जो हुआ है उस पर रोओ मत। मैं तुमसे पहले ही बहुत दूर हूँ। तुम मुझे फिर से नहीं पकड़ सकते। तो इसके लिए खुद को दुखी क्यों कर रहे हो ?
Hindi Bird story for kids |Bird story in Hindi
दूसरी बात, मेरे जैसे साधारण चिड़िया के पंखों के नीचे हीरे कैसे हो सकते हैं?
“वे मेरे बेकार शब्द थे”। ऐसे शब्दों पर भरोसा करना भूल है!
मुर्गी के अंडे और बिल्ली |एक बार एक मुर्गी ने बारह अंडे दिए थे | वह रोज़ अपने लिए दाना खोजने जाती थी | एक दिन जब वह दाना खोज कर वापस आयी, तो वहां पर केवल दस अंडे ही बचे थे | उसने हर जगह अपने खोये हुए अंडो को ढूँढा, लेकिन उसके अंडे नहीं मिले | वह दोबारा अपने अंडो को गिनने लगी |लेकिन उसने देखा दो अंडे कम ही थे | मुर्गी बहुत उदास हो गई |
वह मुर्गे को बताने के लिए बाड़े से बाहर गई | मुर्गा सुनकर बहुत उदास हो गया | मुर्गा और मुर्गी दोनों यह नही जानते थे कि उनके अंडे एक बिल्ली ने चुराए थे | उनके बाड़े के कोने में एक बिल्ली रहती थी, जो उनके अंडो के इंतज़ार में छिप कर बैठी रहती थी | अगले दिन जैसे ही मुर्गी दाने की तलाश में बाहर गई, वैसे ही बिल्ली बाहर आयी और एक अंडा चुरा कर फिर से कोने में छिप गई | बिल्ली को मुर्गी से सावधान रहना पड़ता था | वह मुर्गी के जाने पर चुप चाप अंडा चुरा कर खा लेती, और मुर्गी के आने से पहले ही अपनी जगह पर आकर छुप जाती |
मुर्गी ने वापस आ कर देखा, तो फिर से अंडे गिनती में कम निकले | अब मुर्गी को चिंता होने लगी कि उसके अंडे आखिर जा कहाँ रहे हैं? उसने मुर्गे से पूछा, कि हमारे अंडे कहाँ गायब हो रहे हैं? मुर्गा बहुत आलसी था | उसने मुर्गी की बात पर कोई ध्यान नही दिया और बहाना बनाकर वसेहां चला गया | मुर्गी ने खोजबीन करना शुरू किया कि उसके अंडे कौन चुराता है |
मुर्गी के अंडे और बिल्ली
कुछ दिनों बाद उसे पता चला कि उसके बाड़े के भीतर एक बिल्ली है जो रोज़ उसके अंडे चुरा लेती है | अगली सुबह मुर्गी जान बूझकर दाना चुगने बाहर चली गई | मौका पाते ही बिल्ली अंदर आ गई | वह और अंडे खाना चाहती थी | उसने जैसे ही अंडा उठाया और खाने की कोशिश की, वह अंडा उसके गले में फंस गया | दरअसल मुर्गी ने अंडे की जगह संगमरमर का टुकड़ा वहां रख दिया था |
बिल्ली ने संगमरमर के टुकड़े को अंडा समझ कर निगल लिया था | बिल्ली का गला दुखने लगा उसने फ़ौरन वह टुकड़ा अपने मुँह से बाहर थूक दिया | बिल्ली घबरा गई और वह अपनी जान बचा कर वहां से भाग गई और फिर कभी वापस नहीं आई |अब मुर्गी और उसके बचे हुए अंडे सुरक्षित थे | मुर्गी ने अपनी सूझ बूझ से अपने अंडो को बचा लिया था |