खरगोश और भेड़िया की कहानी – हिंदी कहानी |

खरगोश और भेड़िया की कहानी - हिंदी कहानी

खरगोश और भेड़िया की कहानी- एक चतुर खरगोश अक्सर छोटे भेड़िए को मूर्ख बना कर उसका मजाक उड़ाया करता था। एक दिन भेड़िए ने किसी की आवाज सुनी, “हाय ! ओह!! अरे!!!” जब भेड़िए ने अपने आसपास देखा, तो वहां एक खरगोश भारी पत्थर को सहारा दिए खड़ा था। “यह तुम क्या कर रहे हो?” भेड़िए ने

हैरान होकर पूछा। “मैंने इस भारी पत्थर से आसमान को रोक रखा है। अगर यह पत्थर हिला, तो आसमान हम पर गिर पड़ेगा और हम सब दब कर मर जाएंगे,” खरगोश ने जवाब दिया।

मासूम भेड़िया बोला, “मुझे तो किसी ने बताया ही नहीं कि आसमान गिरने वाला है। क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं?” “हां, तुम इस भारी पत्थर को हाथ से सहारा दे दो। मैं इसे टिकाने के लिए कोई टहनी खोज लाता हूं,” खरगोश ने भेड़िए से विनम्रतापूर्वक कहा।

भेड़िए ने पत्थर को हाथों से सहारा दिया और खरगोश वहां से चलता बना। कुछ ही देर में भेड़िया बुरी तरह थक गया। उसने खरगोश को आवाजें लगाईं, लेकिन खरगोश वहां से रफूचक्कर हो चुका था। वह अपने दोस्तों के बीच शेखी बघार रहा था कि उसकी चाल कितनी कामयाब रही।

भेड़िए के पंजे फिसलने लगे। ‘कोई बात नहीं… अगर आसमान गिरता है, तो गिर जाए। अब मैं इसे और नहीं संभाल सकता,’ उसने सोचा। फिर वह पत्थर से हाथ हटा कर वहीं बैठ गया। पर यह क्या! न तो आसमान गिरा और न ही वह पत्थर लुढ़का। उसे यह जान कर बहुत गुस्सा आया कि खरगोश उसे मूर्ख बना कर, उसके चंगुल से बच कर निकल गया था।

लेकिन भेड़िए ने अभी सबक नहीं लिया था। एक बार वह फिर से खरगोश की बातों के जाल में आ गया। वह तो हमेशा का ही मूर्ख ठहरा। कुछ ही दिनों बाद छोटे भेड़िए ने शाम को किसी के द्वारा ‘सड़प-सड़प’ कर पानी पीने की आवाज सुनी।

भेड़िया उस ओर जा पहुंचा। वहां उसने खरगोश को नाले का पानी पीते हुए देखा। वह इस तरह पानी के बड़े-बड़े घूंट भर रहा था, मानो सारा नाला ही पी जाएगा। भेड़िए ने बहुत दिमाग लगाया, पर उसे खरगोश के इस बर्ताव का कारणं समझ में नहीं आया। जब उससे नहीं रहा गया, तो उसने पूछ ही लिया, “खरगोश! तुम जल्दी-जल्दी इतना पानी क्यों पीते जा रहे हो?”

खरगोश तो इसी इंतजार में था कि भेड़िया उसके पास आए। उसने कहा, “क्या तुम्हें नाले में पनीर का टुकड़ा दिखाई दिया?” भेड़िए को नाले में चांद की परछाईं दिखी और उसे लगा कि वह पनीर का टुकड़ा है।

“वाह! यह हमें कैसे मिल सकता है?” भेड़िए ने ललचा कर पूछा।

“मुझे लगता है कि अगर हम इस नाले का सारा पानी पी लें, तो यह पनीर हमें मिल सकता है। पर एक ही परेशानी है…,” खरगोश ने बात बनाई। भेड़िया उसके जाल में फंस रहा था। “कैसी परेशानी?” भेड़िए ने पूछा।

“देखो, मेरा तो छोटा-सा पेट है। मैं भला कितना पानी पी सकता हूं। तुम मुझसे बड़े हो। अगर तुम भी पानी पियो, तो नाले का पानी जल्दी खत्म हो जाएगा,” इस प्रकार खरगोश ने अपनी चाल चली। भेड़िया उसकी बातों में आ ही गया। वह पनीर खाने के लालच में नाले के पानी से बड़े-बड़े घूंट भरने लगा और खरगोश सीटी बजाते हुए वहां से चल दिया। उसे अपने दोस्तों को खोज कर यह बताना था कि उसने आज फिर भेड़िए को कैसे मूर्ख बनाया है।

उधर भेड़िया लालच के मारे तब तक पानी पीता रहा, जब तक उसका पेट फटने नहीं लगा। फिर भी नाले का पानी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। जब वह अधमरा हो गया, तो उसने तय किया कि पनीर न खाना ही बेहतर होगा और वह अपना-सा मुंह ले कर वहां से लौट गया।

बुद्धिमान खरगोश – बच्चो के लिए खरगोश की कहानी |

बुद्धिमान खरगोश – बच्चो के लिए खरगोश की कहानी |

बच्चो के लिए खरगोश की कहानी

खरगोश की कहानी – किसी जंगल में एक शेर रहता था। वैसे तो शेर बहुत बलशाली होता है, लेकिन अगर बहुत से जंगली जानवर मिल कर उसका पीछा करने लगें, तो उस भी भागना पड़ता है। इस शेर के साथ भी यही हुआ। उसके पीछे जंगली कुत्तों का एक झुंड पड़ गया। शेर तेजी से भागने लगा, ताकि उनसे अपनी जान बचा सके। लेकिन वे उसका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे। ऐसे में शेर भागते-भागते थक गया था।

तभी उसे पेड़ के नीचे बैठा भोला दिखाई दिया। उसने सोचा कि भागने से कोई फायदा नहीं। वह कुत्तों का मुकाबला नहीं कर सकता, इसलिए छिपने में ही भलाई है। उसने भोला के आगे हाथ जोड़कर कहा, “ये जंगली कुते मुझे मार डालेंगे। मेहरबानी करके मुझे कहीं छिपा दो।”

भोला ने पेड़ के पीछे वाली झाड़ियों में शेर को छिपा दिया। जब जंगली कुत्ते वहां आए, तो उन्होंने भोला से पूछा, “क्या तुमने किसी शेर को यहां से जाते देखा है?” उसने कहा, “हां, वह अभी उस पहाड़ी की ओर गया है।” यह सुन कर सारे कुत्ते पहाड़ी की ओर चल दिए।

शेर ने कुछ देर इंतजार किया और फिर बाहर आ गया। बाहर आते ही उसने भोला को दबोच लिया।

“अरे, मैंने तो तुम्हारी जान बचाई है भोला ने शेर को समझाया।

शेर बोला, “मैं तो भाग-भाग कर थक गया हूँ। अब तुम्हें ही खा कर अपनी भूख मिटाऊंगा।”

बेचारा भोला डर के मारे थर-थर कांपने लगा। वहीं एक खरगोश घास चर रहा था। उसने उन दोनों से पूछा कि क्या बात हो गई। तब भोला ने रोते हुए बताया, “मैंने अभी इस शेर को जंगली कुत्तों के झुंड से बचाया है और अब यह मुझे ही खाना चाहता है।”

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“इसमें मैं क्या कर सकता हूं; भूख लग रही है, तो खाना ही पड़ेगा,”

शेर ने अपनी सफाई दी।

“शायद मैं कोई निपटारा कर सकता हूं। तुम जा कर मेरे लिए ‘भाग जा – यहां से’ पेड़ की टहनी ले आओ। मैं अभी फैसला कर देता हूं,” खरगोश ने भोला से कहा।

खरगोश चाहता था कि भोला इस बहाने से भाग जाए, लेकिन वह तो बिल्कुल मूर्ख निकला। दो मिनट बाद ही हाथ में एक टहनी ले कर वापस आ गया और बोला, “भाग जा यहां से’ पेड़ का तो पता नहीं चला। वे दूसरे पेड़ की टहनी ले आया हूं। अब क्या करना है?”

“मुझे ‘भाग जा यहां से’ पेड़ की टहनी चाहिए। यह वह टहनी नहीं है, यह कह कर खरगोश ने भोला को दोबारा मौका दिया। भोला फिर एक दूस टहनी ले आया। खरगोश समझ गया कि भोला के बस की कोई बात नहीं है। इस बार वह शेर के कान में बोला, “यह आदमी मूर्ख है। मैं ही इसके साथ जा कर टहनी ले आता हूं। फिर फैसला आसानी से हो जाएगा।”

इस पर भोला ने कहा, “मेरी तो समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा कौन-सा पेड़ होता है। फैसला करने के लिए टहनी की क्या जरूरत है। ऐसे ही बता दो। बार-बार मुझे भेज कर थका रहे हो।”

यह सुनकर खरगोश ने अपना माथा पीट लिया। वह सोचने लगा, ‘कैसे मूर्ख व्यक्ति से पाला पड़ गया है। जान बचाने का मौका मिलने पर भी यह उसका फायदा नहीं उठा पा रहा है।’ इधर शेर भी कम मूर्ख नहीं था। उसने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। वे दोनों वहां से चले गए और फिर वापस नहीं आए। अगर आप जंगल में जाएं, तो आज भी पेड़ के नीचे बैठे शेर को उस भागे हुए व्यक्ति और खरगोश का इंतजार करते देख सकते हैं।

तोते की कहानी| Hindi story for kids |

तोते की कहानी Hindi story for kids

तोते की कहानी | गप्पी तोता | Hindi story for kids |

एक बार एक जंगल में एक तोता रहता था जिसका नाम था मिट्ठू । मिट्ठू बात को बढ़ा चड्ढा कर कहने की बुरी आदत थी।
एक दिन मिठू मैना से बोला: पता है तुम्हें, आज मैंने क्या खाया? सच मैं बहुत बढ़िया दावत थी | बहुत सारी मिठाईयां और बहुत सारा खाना | बहुत बड़ी पार्टी थी वो..
मैना बोली : सच में ? कहां पार्टी मिली तुम्हें?
तोता बोला: एक बहुत अमीर आदमी के घर पर, मैंने बताया था ना वो बहुत अच्छा है मुझे महेंगे तोहफे देता है।
तबी वहाँ एक कोवा आया, कोवा बोला: इतना मत फेंको मिट्ठू इस मैना को बेवकूफ मत बनानाओ मैंने तुम्हें सुबह ही सूखी मिर्ची खाते हुए देखा था | तुम इसी पेड़ पर बैठा कर मिर्ची खा रहे थे.

तोते की कहानी  Hindi story for kids
तोते की कहानी | Hindi story for kids |

मिट्ठू तोते की डींगे (hindi story for kids )

मिट्ठू तोता बोला: मेरे पास तुम जैसा के लिए वक्त नहीं है,मझे एक और दावत के लिए जाना है । में चलता हूं कह कर मिट्ठू उड़ गया।
कोवा चिड कर मैना से बोला हुह उसकी बात मत सुनो । वो झूठा है। मैना सर हिलाते हुए हामी भारती है हम्मम्म ब्लैकी तुम सही बोल रहे हो वे झूठा है।
मिट्ठू खुद को नहीं बदला चाहता था | वह दिन पर दिन और गप्प मारने लगा।
जब वे आसमान में उड़ रहा था तब उसे एक गाय दिखाई दी मिट्ठू ने सोचा क्यो न इसे भी अपनी बड़ी बड़ी बातो से बहकाया जाए |

वह गाय के पास जकर बोला , पता है “एक बार मैं चील से भी ऊंचा उड़ा था” , फिर लोमड़ी के पास गया और बोला , शेर मुझे प्रधान मंत्री बनाना चाहता है पर मैंने माना कर दिया | फिर हाथी से जकर बोला मेरे पास बहुत सारा खजाना भरा पड़ा है मैं चाहूँ तो पुरा जंगल खरीद सकता हूं । मोर से बोला, कोयल ने मुझे कहा है की मैं उससे भी मीठा बोलता हूं। ऐसे ही मिट्ठू तोता सभी जनवारो के पास जाता और डींगे मारता था |

( गप्पी तोते की कहानी )

एक दिन एक कबूतर उस जंगल में आया | उस्को देखकर मैना बोली, ओह्ह्ह तुम कितने सुंदर पक्षी हो |

कोन हो तुम ? कबूतर बोला शुक्रिया, मैं कबूतर हूं | मैं कुछ ढूंड रहा हूं | तभी वहां पर कोवा और कोयल भी आ गई | मैना बोली कव्वे भैया ,कोयल, देखो हमारे यहां कोन आया है ।

कितना सुन्दर मेहमान है | है ना ?
कव्वा बोला: कितना प्यारा पक्ष है | कोयल भी बोली कितना सुंदर दिखता है यह ।
कव्वा बोला यह तो शाही पक्षी लगता है|
तबी मिट्ठू भी वहां आ गया | मिठू बोला यह कौन है?

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( Totay ki kahani)

कबूतर बोला: तुम मिट्ठू हो ना?
मिट्ठू चिल्ला कर बोला , हां मैं ही मिट्ठू हूं । मिट्ठू खुश होकर बोला ,क्या तुमने मेरे बारे मैं सुना है?
कबूतर बोला , हां दरअसल ….
मिट्ठू कबूतर को बीच में ही रोक कर बोला: देखा तुम लोगो ने मेरा कितना नाम है | बाहर वालों ने भी मेरे बारे में सुना है।
मिट्ठू फिर से बोला, कबूतर जानते हो मैं बहुत सारे देश घूम चुका हूं।
कबूतर बोला, हां लेकिन…
मिट्ठू फिर से बीच में बोला और मुझे तो ब्यूटी प्राइज भी मिला था।
कबूतर बोला…अच्छी बात है…मेरी बात तो….
मिट्ठू फिर से उसकी बात बीच में ही काटता हुआ बोला, मैं बहुत ही अमीर पक्षी हूँ, मालूम है?
इस जंगल में सबसे अमीर ।

तोते की कहानी | हिन्दी कहानी |

कबूतर बोला, तुम मेरी बात सुनो तो मैं कुछ कहना चाहता हूं | तभी उस पेड के नीचे जहां वे सारे पाक्षी बैठे थे शेर की आवाज आई | शेर गुर्रा कर बोला, ये सही नहीं है। इसके पास पहले से ही सब कुछ है ।
मिट्ठू तोता शेर की बात सुन कर बोला, शेर क्या कहना चाहते हैं।

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कबूतर बोला, यहि मैं तुम कबसे बताने की कोशिश कर रहा हूं। मगर तुम तो डींगे ही मरते जा रहे हैं। वे आगे बोला, मैं शाही नोकर हूँ | शेर राजा का सन्देश लेकर तुम्हारे पास आया था राजा चाहते हैं की तुम उनके महल मैं आओ । तुम्हे खाना, महल मैं रहना सब कुछ मिलेगा | मगर अब राजा ने तुम्हारी बात सुन कर अपना मन बदल लिया है | क्योकी तुम तो पहले ही बहुत अमीर हो ?


मिट्ठू हड़बड़ा कर बोला: पर मेरे पास कुछ नहीं है ।
कबूतर बोला, अब जाने भी दो । ये कहकर वो चला गया।
ये सुनकर कोवा बहुत ज़ोर से हंसा, उसे देखकर बाकी पाक्षी भी हसने लगे।
कौवा बोला , जो डींगे मारते हैं उसके साथ ऐसा ही होता है हाहाहा बहुत अच्छा हंसने लगा।
बेचारा मिट्ठू दुखी होकर वहां से उड़ता हुआ चला गया।

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Kids Stories In Hindi – कौवे की कहानी

कौवे की कहानी | मोनु के घर के सामने एक बड़ा सा आम का पेड़ था। जिसमें एक कौवे का जोड़ा रहता था। जिनका नाम चिंटू-मिन्टू था।

एक दिन बड़ी तेज आंधी आयी और उनका हौसला गिर गया। दोनों ही बहुत उदास हो गए। चिंटू ने मिन्टू से कहा, “अब क्या करें जब तक घोसला बन नहीं जाता तब तक हम क्या करेंगे?”

मिन्टू ने कहा देखो इस घर की मालकिन ने झाड़ू बाहर ही रखा हुआ है। तुम इससे तिनका निकालकर घोंसला बनाओ मैं कहीं पास से सूखी घास ही ले आती हूं। अगर हम मिलकर घोंसला बनाएंगे तो घोंसला आज ही बन जाएगा।

चिंटू ने कहा, “ठीक है।“ और दोनों काम पर लग गए। दोनों ने मिलकर के घोंसला बनाया। अगले दिन मोनु की मम्मी ने आम के पेड़ के नीचे लौकी की बेल लगा दी।

कोव्वे की कहानी

2 महीने बाद लौकी की यह बेल आम के पेड़ के ऊपर पहुँच गयी। वो बेल लगातार बढ़ती रहती थी। बेल में लौकी भी लगने लग गई थी।

एक दिन मोनु की मम्मी आम के पेड़ पर लगी हुई बेल से लौकी तोड़ रही थी। चिंटू ने सोचा यह महिला मेरे हौसले को नुकसान पहुंचाना चाहती है। तो चिंटू कांव-कांव करने लगा । चिंटू की कांव-कांव सुनकर मिन्टू भी आ गयी।

मिन्टू ने चिंटू से पूछा की क्या हुआ तुम इतने घबराये हुये क्यों दिखाई दे रहे हो। चिंटू ने बताया की ये महिला सायद हमारे घोंसले को नुकसान पहुचाना चाहती है। मिन्टू ने कहा, “तब तो हमे अब सतर्क रहना पड़ेगा।“

चिंटू बोला, “लेकिन मैं अब इस महिला को नहीं छोड़ूँगा। हमने इसके झाड़ू से अपना घोंसला बनाया है। सायद तब ये पेड़ पर चड रही थी।“  

उस दिन से जब भी वह महिला घर से बाहर आती तो चिंटू उड़कर आता ओर उसके सिर में अपनी चोंच से मारता था। महिला को समझ नहीं आता था कि कव्वा ऐसा क्यों कर रहा है। 

अगले दिन मिन्टू ने अपने घोंसले में अंडे दिए। मिन्टू ने सोचा की जब चिंटू घर आएगा तो वो अंडे देखकर बहुत खुस होगा। लेकिन चिंटू जब घर आया तो वह खुश होने के बजाय उदाश हो गया। मिन्टू ने चिंटू से उसकी उदासी का कारण पूछा। तो चिंटू ने कहा की मुझे इस बात का डर है कहीं वह महिला हमारे बच्चों को नुकसान ना पहुचाये।

Hindi story for kids

शाम को मोनु की मम्मी लौकी तोड़ने को पेड़ पर चड़ी और जो लौकी सबसे ऊपर लटक रही थी उसे तोड़ लाई।  चिंटू ने देख लिया कि महिला लौकी तोड़ रही है पर उसे लगा कि कहीं महिला उनका घोंसला ना तोड़ दे। तो उसने महिला के सर में मानना शुरू कर दिया। मोनु की मम्मी को कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहा है।  

एक दिन मोनु आम के पेड़ के नीचे ही बैठा था। एक सांप पेड़ पर चढ़ रहा था। मोनु पेड़ के ओर पीठ करके बैठा था। तो उसे पता नहीं चला की साँप पेड़ मे चढ़ने की कोसिस कर रहा है। लेकिन चिंटू कौवे ने साँप को पेड़ मे चढ़ते देख लिया था।

चिंटू के अंडों से अभी बच्चे बाहर भी नहीं निकले थे । चिंटू समझ गया था की साँप उसके अंडों को खाने के लिए ही पेड़ में चढ़ रहा है। उसने शोर करना शुरू कर दिया। शोर सुनकर पास मे दाना चुगने गयी मिन्टू फटाफट चिंटू के पास आ गयी।

kavve ki kahani

साँप को देख कर मिन्टू भी बहुत डर गयी। दोनों ने शोर करना सुरू कर दिया। दोनों की कांव-कांव सुनकर आसपास के सभी कौवे अपने झुंड के साथ आ गए । लेकिन साँप को देखकर किसी की हिम्मत पेड़ के पास जाने की नहीं हो पायी।

अब सभी कौवे शोर करने लगे। इतना ज्यादा शोर सुनकर मोनु का ध्यान कौवों के ऊपर गया । उसने सोचा की ये कौवे क्यों इतना कांव-कांव कर रहे हैं । जैसे ही मोनु ने पीछे देखा तो उसने साँप को पेड़ मे चढ़ते देखा। मोनु ने अपनी मम्मी के साथ मिलकर उस साँप को भागा दिया।

साँप के भाग जाने पर मिन्टू चिंटू को सांस मे सांस आई। उन्होने सभी कौवों का धन्यवाद किया। अब मोनु को पता चल गया था की इस पेड़ मे कौवे रहते हैं। मोनु कुछ भी खाता तो वह मिन्टू और चिंटू के लिए रोज घर के बाहर कुछ ना कुछ रख देता था।

Baccho ke liye hindi kahani-कौवे की कहानी

एक दिन मिन्टू ने देखा एक नेवला उनके घोंसले की तरफ बढ़ रहा था। उसके बच्चे अभी अभी अंडों से बाहर आए थे। वह जोर-जोर से कांव-कांव करने लगी ताकि कोई उसकी आवाज सुन ले।

दिन का समय था कोई भी बाहर नहीं था। मिन्टू उड़ के मोनु के कमरे के बाहर पहुंची और कांव-कांव करने लगी।

मोनु अपने कमरे में पढ़ रहा था। मोनु का सारा ध्यान अपनी पड़ाई में था। इसलिए उसने मिन्टू को नहीं देखा।  तभी मिन्टू उसकी खिड़की में अपनी चौक से टकटक मारने लगी।

मिन्टू को मोनु ने देख लिया और उसको लगा कि आज दोपहर में मिन्टू को क्या हो गया है जो यहां खिड़की में मार रही है। मोनु मिन्टू के पीछे गया तो उसने देखा एक नेवला पेड़ में चढ़ रहा है।

मोनु ने फटाफट से लकड़ी उठाई और नेवले को पेड़ से नीचे गिरा दिया। फिर नेवला भागने लगा तो मोनु ने उसे बहुत दूर तक भगाने के लिए उसका पीछा किया और नेवले को दूर तक भगा दिया। अब चिंटू- मिन्टू को समझ आ गया की मोनु ओर उसकी मम्मी से उन्हें कोई नुकसान नहीं है। अब चिंटू ने भी मोनु की मम्मी को परेशान करना बंद कर दिया। फिर सब खुशी-खुशी रहने लगे।

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Kids Stories in Hindi – कबूतर की कहानी

कबूतर की कहानी | गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत शांत रहने वाला बच्चा था। उसको दोस्त बनाना बहुत अच्छा लगता था। पर असल जिंदगी में उसका कोई दोस्त नहीं था।

स्कूल में भी कोई उससे बात नहीं किया करता था। जब वह स्कूल जाता तो बच्चे उसका मजाक बनाते थे और कहते थे कि राजू का कोई दोस्त ही नहीं है। राजू घर जाकर अपनी मम्मी को सारी बातें बताता था।

राजू हमेशा उदास ही रहा करता था। उसकी मम्मी ने एक दिन राजू से कहा, “देखो बेटा राजू तुम परेशान मत हुआ करो, तुम्हारे दोस्त पक्का बन जाएंगे। तुम अपना टिफिन अपने क्लास के बच्चों के साथ बांटो तो तुम्हारे दोस्त खुद बन जाएंगे।“

मम्मी की बात सुनकर राजू खुश हो गया की अब वह कल स्कूल जाएगा और अपना टिफ़िन अपने सहपाठियों के साथ बांटकर खाएगा। जिससे उसके भी बहुत सारे दोस्त बन जाएंगे।  

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राजू ने अगले दिन सुबह अपनी मम्मी से टिफिन में ज्यादा खाना डालने को कहा। राजू स्कूल गया जैसे ही लंचटाइम हुआ, राजू के पास कोई बैठा ही नहीं। सब बच्चे अपने अपने दोस्तों के साथ चल दिए।

राजू उठा और बाहर चला गया। राजू ने थोड़ा सा ही खाना खाया। राजू बहुत उदास हुआ कि उसका कोई दोस्त नहीं बनेगा।

बच्चो के लिए हिन्दी कहानी -कबूतर की कहानी

अचानक उसे आसमान में कबूतर दिखाई दिया। जो उड़कर स्कूल की दीवार पर बैठ गया। राजू ने अपने टिफिन से रोटी निकाली और उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए। रोटी के टुकड़े राजू ने कबूतर के सामने फेंक दिए।

कबूतर पहले तो डर रहे थे। उन्होने देखा राजू कितने प्यार से रोटी को तोड़कर उनके लिए डाल रहा था। कुछ देर बाद एक कबूतर ने चुपके से एक रोटी का टुकड़ा उठा लिया। उसको देख के फिर सारे कबूतरों ने रोटी खाई।

रोज-रोज राजू यही करता। वह स्कूल जाता और घर से कबूतर के लिए भी खाना लाया करता। राजू और कबूतरों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।

एक बार राजू को आसमान में उड़ती हुई चिड़िया दिखाई दी, जो बहुत तेज उड़ रही थी। राजू उसे देखता रहा। जब वह चिड़िया थक गई तो वह पेड़ पर बैठ गई।

उसने अपने मुंह में अपना बच्चा दबा रखा था। राजू हैरान हो गया और उसने अपने दोस्त कबूतरों को बुलाकर यह सब बात बताई।

उनमें से एक कबूतर उड़ कर चिड़िया से सारा हाल पूछने के लिए चल दिया। जब कबूतर राजू के पास आया तो उसने राजू को बताया कि चिड़िया का बच्चा चिड़िया से बहुत जिद करता है कि उसे भी देखना है कि उड़ते हुए कैसा लगता है।

Kabootar Ki Kahani

बच्चा चिड़िया को बहुत परेशान किया करता है। ना वह चिड़िया का लाया हुआ खाना खाता है ना ही उससे प्यार से बात करता है। सिर्फ अपनी ज़िद पर ही अटके रहता है। जिस कारण बेचारी चिड़िया उसे मुंह में दबाकर ही घूमती है।

राजू ने सोचा चिड़िया का बच्चा तो बड़ा जिद्दी है। राजू ने कबूतर से कहा की जाओ चिड़िया को यहां बुला लाओ। मेरे पास एक युक्ति है।

कबूतर चिड़िया को बुलाने उड़ गया। शाम को चिड़िया और कबूतर राजू से मिले राजू ने युक्ति सभी को बताई। सबको राजू की योजना पसंद आई।

युक्ति के तहत उसी शाम चिड़िया अपने बच्चे को मुंह में दबाए उड़ रही थी। वह उड़ते उड़ते एक नदी के किनारे पहुंचने ही वाली थी कि उसके मुंह में दबा उसका बच्चा मुंह से छूट गया।

और नदी में बैठे मगरमच्छ की पीठ पर जा गिरा। मगरमच्छ सोया हुआ था। उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया क्योंकि वह बच्चा बहुत ही छोटा था।

पर गिरते ही वह जोर जोर से रोने लगा। इस वजह से मगरमच्छ की नींद खुल गई। मगरमच्छ ने सोचा आज कुछ तो खाने को मिलेगा। वह हिलने लगा ताकि बच्चा पानी मे गिर जाय।

कबूतर की कहानी – हिन्दी कहानी

चिड़िया का बच्चा और डर गया। इतने में राजू मगरमच्छ के सामने आकर कुछ दूरी बना कर खड़ा हो गया। मगरमच्छ ने कहा, “वाह! कितना बढ़िया दिन है ।आज तो दिन में ही शिकार मिल गया रात को काम नहीं करना पड़ेगा।“

मगरमच्छ अपने ऊपर गिरे चिड़िया के बच्चे को भूल कर राजू की तरफ तेजी से बढ़ने लगा। जैसे ही मगरमच्छ पानी से बाहर आया, तो ऊपर से चिड़िया ने आकर अपने बच्चे को उसकी पीठ से झटपट उठा लिया।

मगरमच्छ राजू का शिकार करना चाहता था। वह राजू के पास पहुंचने ही वाला था कि कबूतरों का बड़ा झुंड वहां अपने मुंह में पत्थर भरकर पहुंच गया। कबूतरों ने अपने मुंह से पत्थरों को मगरमच्छ पर फेंकना शुरू कर दिया।

इतने में मौका देख कर राजू वहां से भाग निकला। चिड़िया अपने बच्चे को घोसले में ले गई। वह बहुत डरा हुआ था। चिड़िया ने अपने बच्चे को समझाया की बच्चों को हमेसा बड़ों का कहना मानना चाहिए।

बड़ों का कहना न मानने से मुसीबत का सामना करना पड सकता है । अब उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी कि ऐसे उड़ना उसके लिए जोखिम भरा है। चिड़िया के बच्चे ने कहा की आज से वो जिद नहीं करेगा । ओर हमेसा अपनी मम्मी का कहना मानेगा। 

चिड़िया राजू के पास आई और बोली तुम्हारी युक्ति काम कर गई मेरा बच्चा अब जब तक खुद उड़ना नहीं सीख जाए तब तक वह घोसले में ही रहेगा। राजू और उसके बहुत सारे कबूतर दोस्तों को बहुत खुशी हुई।

अब राजू को उसके बहुत सारे दोस्त मिल चुके थे। कबूतरों और चिड़िया से राजू की दोस्ती देखकर स्कूल मैं भी उससे सब बच्चे बात करने लगे और बहुत सारे बच्चे राजू के दोस्त बन गए थे।  ( 25 फलो के नाम )

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Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल | एक गाँव में एक किसान रहता था। वह जानवरों की भाषा समझ सकता था। हर शाम वह अपने खेत में रुकता था, ताकि वह अपने जानवरों को बातचीत करते हुए सुन सके।

एक शाम उसने अपने एक बैल को एक गधे से अपने काम की शिकायत करते हुए सुना।

बैल बोला, “दोस्त, मैं सुबह से लेकर रात तक हल जोतता हूं, कितना भी गर्म दिन हो, मेरे पैर कितने भी थक गए हो, मेरी गर्दन में कितना भी दर्द हो, मैं काम जरूर करता हूं।

लेकिन तुम आराम करते रहते हो, तुम्हारे तो मजे हैं तुम तो एक रंगीन कंबल में लिपटे रहते हो, मालिक के साथ इधर उधर जाने के अलावा कुछ नहीं करते हो और सारा दिन हरी घास खाते हो।”

यह गधा आलसी होने के बावजूद बैल का एक अच्छा दोस्त था। उसे बैल से सहानुभूति थी।

Moral story in Hindi

गधा बैल से बोला, “मेरे अच्छे दोस्त, तुम बहुत मेहनत करते हो और मैं तुम्हें आराम दिलाना चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम आराम कर सको।

सुबह जब किसान का नौकर तुम्हें काम पर ले जाने के लिए आए, तो ऐसे आवाज करना मानो तुम बीमार हो और काम नहीं कर सकते।”

किसान दोनों की बातें सुन रहा था। और उसे गधे के द्वारा दिये गए उपाय का पता चल गया था। बैल ने गधे की सलाह मान ली और अगली सुबह जब नौकर आया तो बैल ने बीमार होने का नाटक किया।

नौकर किसान के पास गया और किसान के पास पहुंच कर बताया कि बैल बीमार है और खेत नहीं जोत सकता है। किसान को तो इस बात का पहले से पता था की बैल आज बहाना करने वाला है।

किसान ने कहा, “बैल बीमार है तो गधे को खेत में ले जाओ और उससे खेत को जोतो।”

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

नौकर गधे को अपने साथ खेत में ले गया और पूरा दिन उसने गधे से खेत जुतवाया। गधे की मंशा दोस्त की मदद करने की थी। उलटा उसी को अपने दोस्त का काम करना पढ़ गया।

जब रात आई और उसे हल से आजाद किया गया, उसका दिल कड़वाहट सा भर गया था। गधे के पैर थके हुए थे और उसकी गर्दन हल के कारण सूज गई थी।

बैल ने आज दिन भर आराम किया था। वह गधे को देख कर खुशी से बोला, “तुम मेरे अच्छे दोस्त हो, तुम्हारी सलाह के कारण आज मैं 1 दिन आराम कर पाया।”

गधा बहुत थका हुआ था उसने गुस्से से जवाब दिया, “और में अपने दोस्त की मदद करने चला था और उसका काम करने पर मजबूर हो गया।

आज से तुम ही हल जोतना क्योंकि मैंने मालिक को अपने नौकर को यह बोलते सुना है की अगर बैल फिर बीमार हुए तो वह बैल को खाना नहीं देंगे। मैं तो यही चाहता हूं कि वह तुम्हें खाना न दें क्योंकि तुम बहुत ही आलसी हो।”

गधे के मुंह से एसी कड़वी बाते सुन बैल को भी गुस्सा आ गया। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से कभी बात नहीं की। यहां उनकी दोस्ती का अंत हो गया था।

इस कहानी से हमने क्या सीखा:

Moral Stories For Children In Hindi से यह सीख मिलती है  की अगर तुम अपने दोस्त की मदद करना चाहो तो, मदद इस तरीके से करो की दोस्त का भार तुम पर न आए। 

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शेर और खरगोश की कहानी-Hindi Story For Kids

शेर और खरगोश की कहानी |एक जंगल में एक बड़ा ही खतरनाक शेर रहता था। जब भी वह भूखा होता तो एक कमजोर जानवर को दबोच कर उससे कहता, “जाओ अपने परिवार के सबसे हष्ट-पुष्ट  जानवर को मेरे पास लेकर आओ वरना, मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा। सभी जंगली जानवरों को उस शेर का बड़ा ही खोफ था।

बच्चो के लिए हिन्दी कहानियां

    एक बार उस शेर ने एक खरगोश को पकड़ लिया और उससे कहा, “जाओ और अपने परिवार के सबसे तगड़े खरगोश को लेकर आओ नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा  जाऊंगा । ” खरगोश ने  शेर से कहा, “शेर महाराज आप तो बड़े ताकतवर हैं। मैं तो बहुत छोटा सा जानवर हूँ। मुझे खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। आप तो बड़े दयावान लगते हैं कमजोर जनवारों का शिकार करना आपको शोभा नहीं देता है। आप मुझे छोड़ दीजिये और किसी तगड़े शिकार की तलाश कीजिये, जिस से आपका पेट भर सके ।”

      शेर अपने तारीफ सुनके गदगद हो गया और गर्व से अपना सीना चौड़ा कर के बोला, “हाँ तो मैं किसी कमजोर शिकार को क्यों खाऊ भला, तुम जानवरों ने मुझे समझा क्या है ? इस जंगल में कोई भी जानवर मुझ से  ज्यादा बलशाली नहीं है इस लिए मैं भूख मिटाने के लिए तुम जैसे छोटे जानवरों का शिकार कर लेता हूँ ।”

      खरगोश बहुत चतुर था । उसने कहा, “महाराज शेर मुझे आपके ही जैसे बलशाली और ताकतवर शेर की एक कहानी याद आ रही है, आप कहो तो मैं आपको सुना सकता हूँ।” खुद की तुलना एक बलशाली शेर से होता देख शेर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था ।

शेर और खरगोश की कहानी

     शेर ने खरगोश को कहानी सुनाने की अनुमति दे दी । खरगोश को एक कहानी याद थी जो उसके दोस्त चूहे ने उसे कुछ दिन पहले ही सुनाई थी । खरगोश ने वही कहानी शेर को सुनाई :-

      “महाराज एक जंगल में एक बहुत ही ताकतवर शेर रहता था । उसकी भुजाओं में इतना बल था की वो अपने एक पंजे से हाथी को गिरा दे। जंगल के सभी जानवर उस से डरते थे लेकिन वो कभी भी किसी कमजोर जानवर का शिकार नहीं करता था ।”

        शेर को खरगोश की सुनाई कहानी बहुत ही पसंद आई , क्योंकि शेर कहानी के शेर की तुलना खुद से कर रहा था । उसे एसा लग रहा था मानो वो ही इस कहानी का बलशाली शेर है। शेर के सबसे छोटे बेटे को भी उसकी कहानी पसंद आई ।

        शेर ने खरगोश को कहा, “आज से रोज  शाम को तुम मुझे और मेरे बेटे को यहाँ आ कर कहानियाँ सुनाया करोगे। और जिस दिन भी तुम नहीं आओगे, तो तुम्हारे परिवार का एक सदस्य कम हो जाएगा , मैं उसे खा जाऊंगा।

        खरगोश परेशान हो गया ,उसने अभी तो अपनी जान बचा ली थी लेकिन उसे इस बात की चिंता हो रही थी की वो रोज शेर को कहानियाँ कहाँ से सुनाएगा ।

बेवकूफ राजा की कहानीपढ़ें

        खरगोश परेशान सा मुह लेकर अपने दोस्त चूहे के पास गया और उसे पूरी बात बताई । चूहे ने खरगोश की परेशानी देख उसे एक और कहानी सुनाई । अब हर दिन खरगोश चूहे से कहानी सुनता था और हर शाम को जा कर के शेर और उसके बेटे को कहानी सुना देता था। इस प्रकार से खरगोश और शेर दोनों खुश थे । 

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         एक दिन, शेर के बच्चे ने खरगोश से कहा, “खरगोश भाई तुम्हें रोज रोज नई नई कहानियाँ कहाँ से आ जाती हैं?”  खरगोश ने कहा, “महाराज ये कहानियाँ मुझे सपने मैं दिखाई देती हैं । वही कहानी मैं आप लोगो को शाम को सुना देता हूँ।”  शेर के बच्चे  को खरगोश की बातों पर भरोशा नहीं हुआ । शेर के बच्चे ने सोचा की क्यों न आज इस खरगोश का पीछा किया जाए। और शेर का बच्चा चुपके-चुपके खरगोश के पीछे चल दिया ।

         खरगोश सीधा चूहे के पास गया और उससे पूछा, “दोस्त तुम्हें ये कहानियाँ कहाँ से आती हैं?”  चूहा ने उसे बताया , “एक जादुई पेड़ है। जिसके पत्तों में कहानियाँ लिखी होती हैं। इसी पेड़ के कारण मैं तुम्हें रोज नई कहानी सुना पता हूँ।

शेर का बच्चा ये सारी बात सुन रहा था। फिर खरगोश ने चूहे से कहा, “तुम मुझे भी उस जादुई पेड़ के पास ले चलो, मैं भी उसे देखना चाहता हूँ।” चूहे ने कहा, “चलो चलते हैं।” वो दोनों जादुई पेड़ के पास पहुचे। जैसे ही खरगोश ने उस पेड़ को देखा उसे देख के वो खुस हो गया । 

       जादुई पेड़ ने कहा आ गए तुम तीनों। चूहा ,खरगोश और शेर तीनों हैरान हो गए । शेर ने सोचा इसे कैसे पता मैं भी यहा हूँ, और खरगोश और चूहे ने सोचा हम तो दो ही हैं तीसरा यहाँ कौन है।

खरगोश ने जैसे ही पीछे देखा तो शेर का बच्चा वही पीछे खड़ा था। उसने खरगोश से बोला, “तुमने पापा को झूठ बोला की कहानी तुमको सपने में दिखाई देती है। खरगोश डर गया और रोने लग गया की शेर अब उसे खा जाएगा। शेर का बच्चा गुस्से से वहाँ से चला गया। 

शेर और खरगोश की कहानी

       चूहे को पता था की जादुई पेड़ खरगोश की कोई मदद जरूर कर सकता है। तो उसने जादुई पेड़ से बोला, “जादुई पेड़ ये मेरा दोस्त है। शेर के बच्चे को सब सच पता चल गया है अब खरगोश के परिवार का क्या होगा। पेड़ ने अपने एक बेल को इतना लंबा किया की शेर के बच्चे का पाँव उस बेल मे फस गया ।       एक दिन बीत गया। अगली शाम खरगोश शेर को कहानी सुनने गया । शेर अपने बच्चे के खो जाने के कारण परेशान हो गया था ।  तो शेर को देख के खरगोश को दया आ गयी ।

      खरगोश उसी जादुई पेड़ के पास गया और उसने पेड़ को बताया की शेर का बच्चा न जाने कहाँ गुम हो गया है । पेड़ ने खरगोस की बताया की वो तो कल से उसकी जादुई बेल में फसा पड़ा है। खरगोस ने पेड़ से कहा की वो शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दे । पेड़ ने कहा,

“अगर मैं उसको निकाल दूंगा तो शेर तुमको खा जाएगा।”

खरगोश ने कहा ,”कोई बात नहीं , मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से किसी मासूम बच्चे की जान जाए ।” खरगोश शेर के बच्चे के पास गया । और कहा ,” तुम चिंता मत करो मैं  तुमको बाहर निकालूँगा।

शेर और खरगोश हिन्दी कहानी

पेड़ ने  खरगोश से कहा, “तुमको अपनी जान की परवाह नहीं है? तुम अपने बदले शेर की जान बचना चाहते हो तो ठीक है मैं इस बच्चे को निकाल देता हूँ।” 

      पेड़ ने शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दिया  है। शेर के बच्चे ने पेड़ ओर खरगोश की पूरी बात सुन ली थी। खरगोश और शेर का बच्चा घर को चल दिये।   बिल्ली की कहानी – पढ़ें

शेर ने जेसे ही अपने बच्चे को देखा वो खुश हो गया ओर उस से पूछा की तुम अभी तक कहाँ थे। बच्चे ने शेर को सब बात बता दी। खरगोश की उदारता देख शेर ये निर्णय लिया की वो अब किसी भी कमजोर जानवर का शिकार नही करेगा । इस प्रकार उस जंगल में सब जानवर शेर की इज्जत करने लगे । अब खरगोश और शेर अच्छे दोस्त बन गए ।  इस जंगल में अब खरगोश और शेर की दोस्ती के किस्से हर किसी की जुबान पर रहने लगे । 

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बुद्धिमान हाथी की कहानी- Hindi Story For Kids

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बुद्धिमान हाथी की कहानी – Hindi Story For Kids

एक जंगल में एक हाथी अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह हाथी अपने पूरे परिवार के साथ एक जंगल से दूसरे जंगल को जा रहा था । रास्ते में हाथी को एक चमकती हुई चीज दिखाई दी । हाथी के मन में विचार आया कि आखिर यह चीज क्या है जो इतना चमक रही है।

हाथी अपनी धुन में मगन उस चीज की तरफ बढ़ता चला गया। जिस वजह से वह अपने परिवार से अलग हो गया। जैसी ही हाथी चमकती हुई चीज के पास पहुंचा तो वह कुछ और नहीं बल्कि एक कील थी, जो सूरज की रोशनी पढ़ने से इतना चमक रही थी। गलती से हाथी का पैर उस कील के ऊपर पड़ गया और वह कील हाथी के पैर में घुस गई ।

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जिस वजह से हाथी के पैर से खून ही खून बहने लगा। हाथी का पूरा परिवार काफी दूर निकल चुका था। अब हाथी किसी से मदद भी नहीं मांग सकता था। कुछ ही देर में अंधेरा हो गया। बेचारा हाथी रात भर वहीं बैठ कर दर्द के मारे कराहता रहा । जब तक हाथी के परिवार को पता चलता कि छोटा हाथी उनसे अलग हो चुका है तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

Hindi Story For Kids

अंधेरा काफी हो गया था इस वजह से वह अपने छोटे हाथी को नहीं ढूंढ पाए। अगली सुबह एक बूढ़ा दंपति उस रास्ते से गुजरा तो उन्होंने देखा कि एक हाथी का बच्चा लेटा हुआ है जिसके पैर से खून ही खून निकल रहा है।उन्होंने जैसे-तैसे हाथी के पास जाने की हिम्मत की । उन्होंने देखा छोटे हाथी का पैर सूजा हुआ है और एक मोटी सी कील हाथी के पैर में चुभी हुई है।

बूढ़े आदमी ने फटाफट से उस कील को निकाला और जैसे ही हाथी के पैर से कील निकली तो खून बहने लगा। इसके साथ ही हाथी का दर्द कुछ कम हुआ और उसे होश आने लगा। बूढ़े दंपति को देखकर हाथी थोड़ा सा डर गया लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था। क्योंकि उसके पैर में दर्द हो रहा था और वह समझ चुका था कि यह बूढ़ा दंपति ही उसकी मदद कर सकता है ।

हाथी के पैर से बहते हुए खून को रोकने के लिए बूढ़ी औरत ने घाव को पानी से धोकर साफ कपड़े से बांध दिया ।इतनी देर में हाथी का परिवार हाथी को ढूंढते हुए वहां पहुंच गया । हाथियों के एक झुंड को अपनी तरफ आता देख बूढ़ा दंपत्ति डर गया। वह समझ चुके थे कि यह हाथी का ही परिवार है इसलिए वह छोटे हाथी को वहीं छोड़ अपने घर की ओर चल दिए।

Hathi Ki Kahani

जैसे जैसे समय बीतता गया बूढ़ा दंपति इस घटना को भूल चुका था । जिस गांव में यह बूढ़ा दंपति रहता था वहां का जमीदार बहुत ही दुष्ट था। यह जमीदार पूरे गांव से कर वसूली किया करता था। जो भी परिवार कर नहीं दे पाता था जमीदार जबरदस्ती उनके खाने का अनाज भी अपने साथ ले जाता था ।
बूढ़ा दंपत्ति अब बीमार रहने लगा था। जिस वजह से वह अपने हिस्से का कर नहीं दे सके। इसलिए जमीदार उनके खाने का अनाज अपने साथ ले गया।एक दिन बूढ़ा दंपति जब सुबह उठा तो उनके घर के आगे एक अनाज की बोरी रखी हुई थी।

बूढ़े दंपति को यह समझ नहीं आया कि यह अनाज की बोरी कहां से आई होगी चूंकि दंपति के पास खाने के लिए अनाज की कमी थी इसलिए उन्होंने उस बोरी को अपने पास रख लिया।अब गांव में यह शोर होने लगा कि जमींदार के घर से अनाज की एक बोरी कोई उठा ले गया है।

अगले सुबह फिर से बूढ़े दंपति को अपने घर के बाहर एक चीनी की बोरी रखी हुई मिली। इस बार भी यह चीनी की बोरी जमींदार के घर से ही चुराई गई थी। अब बूढ़े दंपति को पूरा यकीन हो गया कि कोई जमींदार के घर से अनाज चोरी करके उनके घर के बाहर रख कर जाता है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा कौन और क्यों कर रहा है। बुद्धिमान हाथी की कहानी

बुद्धिमान हाथी की कहानी

यह जानने के लिए उन्होंने अब रात भर जागकर पहरेदारी करने की ठानी । जैसे ही रात हुई तो उन्होंने देखा कि एक हाथी अपनी सूंड में गन्ने दबा कर लाया और उनके दरवाजे पर रख दिए। हाथी ने भी बूढ़े दंपति को देख लिया और वह उन्हीं के सामने बैठ गया बूढ़ा दंपति उस हाथी को देखकर डर गए।

दंपति को डरता देख हाथी ने अपना पांव आगे बढ़ा दिया जिस पर एक बड़े से घाव का निशान था इस घाव को देखकर बूढ़े दंपति को वह घटना याद आ गई जब उन्होंने एक छोटे हाथी के पैर से कील निकाली थी। बूढ़ा दंपति समझ गया कि यह वही छोटा हाथी है जो अब बड़ा हो गया है और उनकी मदद इसलिए कर रहा है क्योंकि उन्होंने उसकी मदद की थी ।

बूढ़ा दंपति हाथी को पहचान गया । वह हाथी के पास गए तो हाथी ने उन दोनों को सूंड से उठाकर अपनी पीठ में बैठा लिया । इतनी ही देर में जमींदार व उसके आदमी हाथी के पीछे पीछे बूढ़े दंपति के घर पहुंच गए। जमींदार और उसके आदमियों ने हाथी को अपने काबू में करने की कोशिश की लेकिन हाथी ने अपनी सूंड से सब को उठा कर फेंक दिया।

जिससे जमींदार व उसके आदमियों के हाथ पैर टूट गए। जमीदार जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया । अब गांव में सब को पता चल गया कि हाथी बूढ़े दंपति की मदद करता है और अब जमीदार ने गांव के लोगों को परेशान करना बंद कर दिया।

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Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

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Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी | एक देश में एक राजा रहा करता था। उसकी बहुत सारी रानियां थी उस में से सबसे छोटी रानी उसकी सबसे खास रानी थी। वह बाकी की सारी रानियों में से कम उम्र की रानी थी।

रानी की मासूमियत अक्सर राजा को बहुत पसंद आती थी। रानी का जानवरों के प्रति प्रेम राजा को भा जाता। सबसे छोटी रानी के जानवरों के प्रति प्रेम होने के कारण रानी ने बहुत सारे जानवर और पशु पक्षी पाल रखे थे।

रानी एक बार शहर मे घूम रही थी। तो उसकी नजर एक बंदर के बच्चे पर पड़ी। जो अकेला था। सायद वह अपने परिवार से बिछड़ गया था। रानी को उस पर दया आ गई। और वह उसे अपने साथ राजमहल ले आई।

अब रानी ही उसकी देखभाल करती थी। वह बंदर रानी को इतना प्यारा की रानी उसे अपने साथ ही सुलाती और उसका सारा काम भी अपने आप किया करती थी। रानी ने बंदर को सुबह सैर करना और खाना नीचे बैठ कर खाना सिखाया था।

रानी का बंदर उसे नाच करके भी दिखाता था। रानी को उस बंदर का नाच ही सबसे प्यारा लगता था।रानी उसका नाच देखे बिना अपना दिन शुरू नहीं करती थी।

Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

एक बार महल में एक चोर घुस आया जिसने रानी के उस प्रिय बंदर को चुरा लिया। चोर जानता था कि राजा की प्रिय रानी को बंदर सबसे प्यारा था। जिसके बदले उसे बहुत सारे पैसे मिलने की पूरी उम्मीद थी।

राजा ने अपने सेनापति को बुलाकर बंदर की खोज करवाने के लिए सैनिकों को भेज दिया। पर बहुत दिन बीत जाने के बाद भी वह चोर पकड़ा नहीं गया।

एक दिन बंदर चोर के चंगुल से भाग कर रानी के पास राजमहल पहुच गया। जैसे ही छोटी रानी ने इस बंदर को देखा तो बंदर रानी के पास दौड़ता हुआ चला गया। रानी अपने बंदर को पाकर बहुत खुश।

परंतु अगले दिन रानी उठी तो उसने पाया कि उस बंदर की आदतें तो वैसी ही थी पर वह बंदर अब नाच करके दिखलाता ही नही था। रानी बहुत दुखी रहने लगी। रानी ने राजा को बंदर के बारे में बताया कि बंदर अब तो नाच करके भी नहीं दिखलाता।

राजा रानी की बातों को सुनकर रानी को समझाने लगा। परंतु रानी नहीं मानी अब रानी बहुत दुखी रहने लगी। उसे बंदर का नाच देखने को नहीं मिलता था। अब रानी ना कुछ खाती और ना कुछ बोलती वह हमेशा उदास ही रहने लगी। 

Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

रानी की इस दशा को देखकर राजा ने दरबार बुलाया और एलान किया की रानी के प्रिय बंदर को जो भी पहले जैसा नाँच करना सीखा देगा उसे राजा इनाम में 100 सोने के सिक्के देंगे।

अब बहुत सारे लोग राजदरबार में आते और राजा के बंदर को नचाने की कोसिस करते। लेकिन कोई भी आदमी बंदर को नचा नहीं पता था। इससे रानी ओर ज्यादा उदास रहने लगी। 

कुछ दिनों बात राजदरबार मे एक मदारी आया और बोला, “महाराज मैं इस बन्दर को नाँच करना सीखा सकता हूं, लेकिन मुझे 10 दिन का समय दीजिए। आपको ये बंदर मुझे दस दिन के लिए देना होगा। राजा मान गए। और उन्होने मदारी को बंदर दस दिन के लिए दे दिया।

वह आदमी बंदर को अपने साथ ले गया। दूसरे दिन सुबह होते ही उसने एक बड़ा सा तवा गर्म किया। और उसने बंदर को पकड़कर उस तवे पर रख दिया। जैसे ही गर्म तवे पर बंदर के पैर पड़े तो बंदर उछलने लगा।

उस आदमी ने बंदर के साथ लगातार कुछ दिनों तक ऐसा ही किया। अब जैसे ही बंदर उस गरम तवे को देखता तो वह खुद उछलने लगता और नाच करने लगता। कुछ दिनों में ही बंदर पहले जैसा नाचने लगा।

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अब वही आदमी बंदर को लेकर राज दरबार पहुंचा और उसने राजा को बंदर वापस कर दिया और बोला, “महाराज यह अब पहले जैसा नाँच दिखायेगा ।बस आपसे एक विनती है जैसे ही आपको बंदर को नाच करवाना हो तो आप एक तवा बंदर के सामने रख दीजिए बंदर उसे देखकर नाचने लगेगा।“

अब रानी रोज बंदर के सामने एक तवा रख देती थी। जैसे ही बंदर उस तवे को देखता, वह उछलने लगता और नाचने लगता। रानी उसकी हरकतों को देखकर खुश हो जाती।

राजा ने देखा कि बंदर पूरी तरह ठीक हो चुका है तो राजा ने उस आदमी को बहुत सारा धन दिया। इस प्रकार उस बुद्धिमान मदारी ने अपनी बुद्धि से बहुत सारा धन प्राप्त कर लिया।

bandar ki kahani से हमने क्या सीखा:

bandar ki kahani से यह सीख मिलती है कि जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेड़ी करनी पड़ती है। मतलब जब सही तरीके से काम ना बने तो हमें चालाकी से काम लेना चाहिए।

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चिड़िया की कहानी | Hindi Moral Story

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चिड़िया की कहानी | Hindi Moral Story |

एक बार एक अमीर आदमी  ने एक चिड़िया को पकड़कर पिंजरे में डाल दिया। चिड़िया उस आदमी से प्रार्थना करने लगी, “कृपया मुझे आज़ाद कर दो।

अगर तुम मुझे जाने दो, तो मैं तुम्हें खुशी का राज बताऊंगा। आदमी अमीर था लेकिन खुश नहीं था। वह खुश रहने का राज़  जानना चाहता था। इसलिए उसने चिड़िया को पिंजरे से आज़ाद कर दिया।

 चिड़िया ने कहा, सुनो “जो कुछ हुआ है उसके लिए कभी मत रोओ।” और फालतू की बातों पर कभी भरोसा मत करना।” यही खुशी का राज है।

चिड़िया कुछ और ऊपर उड़ी और बोली, “तुमने मुझे आज़ाद करके बहुत बड़ी गलती की है। मेरे पंखों के नीचे कीमती  हीरे हैं। अब आपको उनमें से कोई भी नहीं मिलेगा।”

यह सुनकर अमीर आदमी सचमुच बहुत गुस्सा हुआ  और बहुत दुखी था। उस आदमी ने कहा, “अरे नहीं! मैं कितना पागल हूँ!

तुम बहुत बुरी हो रुको मे तुम्हे अभी पकड़ता हूँ |

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चिड़िया की कहानी | चिड़िया ने कही दो अनमोल बातें

चिड़िया ने कहा, “पागल  मत बनो साहब”। “तुम अच्छे आदमी हो कि तुमने मुझे जाने दिया। इसलिए मैंने आपको एक अच्छी सलाह दी है। मैंने आपको जो सलाह दी है, उसके बारे में सोचें।

पहली बात में मैंने कहा, जो हुआ है उस पर रोओ मत। मैं तुमसे पहले ही बहुत दूर हूँ। तुम मुझे फिर से नहीं पकड़ सकते। तो इसके लिए खुद को दुखी क्यों कर रहे हो ?

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दूसरी बात, मेरे जैसे साधारण चिड़िया के पंखों के नीचे हीरे कैसे हो सकते हैं?

“वे मेरे बेकार शब्द थे”। ऐसे शब्दों पर भरोसा करना भूल है!

मेरी सलाह का पालन करें और खुश रहें। अलविदा

यह कहकर चिड़िया उड़ गई।

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