सोने का चूहा | Hindi story with Moral |

Moral story in hindi

Hindi morals story : Golden mouse – सोने का चूहा | Hindi moral stories

सोने का चूहा | Hindi story with Moral|

एक बार एक अमीर व्यापारी अपने आलसी बेटे को डांट रहा था। मैंने तुम्हे व्यवसाय शुरू करने के लिए इतना पैसा दिया है और तुमने कुछ भी नहीं कमाया है।तुम किसी भी काम में अच्छे नही हो | इस मरे हुए चूहे को देखो। एक काबिल व्यक्ति इस तरह की बेकार चीज से भी व्यवसाय शुरू कर सकता है!
सोमदत्त, जो एक गरीब अनाथ बालक था, ने उसकी बातें सुनीं। वह अंदर गया और व्यापारी से अनुरोध किया,

“कृपया मुझे इस चूहे को पूंजी के रूप में उधार दें और मैं अपनी किस्मत आजमाउंगा।

“व्यापारी हँसा। लेकिन फिर भी, उसने सोमदत्त को चूहा दिया और रसीद ली जो सोमदत्त ने उसे लिखी थी।

मरे चूहे को सोने का चूहा बनाने का सफ़र ( Hindi story )

सोमदत्त अपने हाथ में मरे हुए चूहे के साथ चल रहा था, जब एक और दुकानदार ने उसे बुलाया, “यहाँ आओ, लड़के। मुझे अपनी बिल्ली को खिलाने के लिए चूहे की जरूरत है। मैं आपको इसके लिए मुट्ठी भर चना दूंगा।”

सोमदत्त ने चूहा दे दिया और मुट्ठी भर चना ले लिया ।”घर पर सोमदत्त ने चने को अच्छे से भून लिया। और वह पानी का घड़ा लेकर अपने चने और पानी लेकर चौराहे पर खड़ा हो गया। उसने काफी देर तक ग्राहंक का इंतजार किया।

शाम को जब मजदूर लकड़ी काट कर लौट रहे थे तो उन्होंने बालक को भुने चने और पानी के साथ देखा। सोमदत्त ने विनम्रता से उन्हें चना और पानी दिया।मजदूर बोले लेकिन हमारे पास पैसा नहीं है। हम केवल लकड़ी की दो छड़ें ही दे सकते हैं!”( बिल्ली की कहानी )

चूहे की कहानी

चने से किया लकड़ी का व्यापार

सोमदत्त ने सोचा इस साधारण चने के लिए यह एक अच्छा भुगतान है। सोमदत्त ने प्रत्येक मजदूर से दो-दो डंडे लेकर लकड़ियों की एक छोटी सी गठरी इकट्ठी की। वह बंडल को बाजार में ले गया, उसे बेच दिया और उसके साथ कुछ और चना खरीदा।सोमदत्त ऐसा प्रतिदिन करता था। वह मजदूरों के बीच एक अच्छे लड़के के रूप में प्रसिद्ध हो गया, जो सिर्फ एक-दो लकड़ी के लिए स्वादिष्ट चना और ताज़ा पानी देता है ।

उनमें से बहुत से लोग जंगल से लौटते समय प्रतिदिन उसका चना खरीदने लगे। सोमेदत्त को हर दिन लकडियो के कई बंडल मिलते थे। क्योंकि अब उसके पास इतने सारे ग्राहक थे |

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एक बार, जब सोमदत्त बाजार में लाठी बेच रहा था, तो उसकी मुलाकात एक कुम्हार से हुई। कुम्हार को अपनी भट्टी में जलाने के लिए लकड़ी की जरूरत थी। कुम्हार ने लकड़ी के बदले में, सोमदत्त को उसके चने बेचने के लिए बर्तन और पानी के लिए कुछ घड़े दिए। ( हाथी की कहानी )

अपनी दुकान की शुरुआत (Moral story in Hindi)

सोमदत्त ने एक भी पैसा बर्बाद नहीं किया। उसने सुबह लकड़ी और शाम को चना बेचने के लिए कड़ी मेहनत की। एक दिन, उसके पास इतना पैसा आ गया कि वह मजदूरों से सारी लकड़ी खरीद सके। उसने उन लकडियो को बाजार में अच्छी कीमत पर बेच दिया। कुछ समय बाद उसने बाजार में अपनी दुकान भी खोल ली।

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वह अपने ग्राहकों के प्रति हमेशा विनम्र रहता था । उनमें से कुछ ने उसे नकद भुगतान किया जबकि अन्य ग्राहकों ने उसे तरह का भुगतान किया कि जो भी वस्तुएँ उनके पास होती थी वे उन्हें लकड़ी खरदीने के बदले में दे देते थे।

सोमदत्त ने हमेशा उन लोगों को वस्तुएँ बेचने का कोई न कोई तरीका ढूंढा जिन्हें उनकी आवश्यकता थी।कुछ वर्षों के बाद, सोमदत्त शहर में एक धनी व्यापारी बन गया। एक दिन उसने सुनार से उसे एक छोटा सुनहरा चूहा बनाने को कहा।

सोने का चूहा (चूहे की कहानी )

वह उस चूहे को अमीर व्यापारी के पास ले गया।मैंने तुमसे कई साल पहले पूंजी के तौर पर एक मरा हुआ चूहा उधार लिया था। आज मैं उसे लौटाने आया हूँ। कृपया इस सुनहरे चूहे को स्वीकार करें|धनी व्यापारी को बड़ा आश्चर्य हुआ।वह सोमदत्त के व्यावसायिक कौशल से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें अपनी बेटी की शादी सोमदत्त से कर दी । अच्छाई का इनाम | Hindi Moral story |

इस प्रकार सोमदत्त जो एक गरीब अनाथ लड़का था, उसने अपनी बुद्धि, कड़ी मेहनत और विनम्रता के कारण धन और सम्मान अर्जित किया।


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तोते की कहानी| Hindi story for kids |

तोते की कहानी Hindi story for kids

तोते की कहानी | गप्पी तोता | Hindi story for kids |

एक बार एक जंगल में एक तोता रहता था जिसका नाम था मिट्ठू । मिट्ठू बात को बढ़ा चड्ढा कर कहने की बुरी आदत थी।
एक दिन मिठू मैना से बोला: पता है तुम्हें, आज मैंने क्या खाया? सच मैं बहुत बढ़िया दावत थी | बहुत सारी मिठाईयां और बहुत सारा खाना | बहुत बड़ी पार्टी थी वो..
मैना बोली : सच में ? कहां पार्टी मिली तुम्हें?
तोता बोला: एक बहुत अमीर आदमी के घर पर, मैंने बताया था ना वो बहुत अच्छा है मुझे महेंगे तोहफे देता है।
तबी वहाँ एक कोवा आया, कोवा बोला: इतना मत फेंको मिट्ठू इस मैना को बेवकूफ मत बनानाओ मैंने तुम्हें सुबह ही सूखी मिर्ची खाते हुए देखा था | तुम इसी पेड़ पर बैठा कर मिर्ची खा रहे थे.

तोते की कहानी  Hindi story for kids
तोते की कहानी | Hindi story for kids |

मिट्ठू तोते की डींगे (hindi story for kids )

मिट्ठू तोता बोला: मेरे पास तुम जैसा के लिए वक्त नहीं है,मझे एक और दावत के लिए जाना है । में चलता हूं कह कर मिट्ठू उड़ गया।
कोवा चिड कर मैना से बोला हुह उसकी बात मत सुनो । वो झूठा है। मैना सर हिलाते हुए हामी भारती है हम्मम्म ब्लैकी तुम सही बोल रहे हो वे झूठा है।
मिट्ठू खुद को नहीं बदला चाहता था | वह दिन पर दिन और गप्प मारने लगा।
जब वे आसमान में उड़ रहा था तब उसे एक गाय दिखाई दी मिट्ठू ने सोचा क्यो न इसे भी अपनी बड़ी बड़ी बातो से बहकाया जाए |

वह गाय के पास जकर बोला , पता है “एक बार मैं चील से भी ऊंचा उड़ा था” , फिर लोमड़ी के पास गया और बोला , शेर मुझे प्रधान मंत्री बनाना चाहता है पर मैंने माना कर दिया | फिर हाथी से जकर बोला मेरे पास बहुत सारा खजाना भरा पड़ा है मैं चाहूँ तो पुरा जंगल खरीद सकता हूं । मोर से बोला, कोयल ने मुझे कहा है की मैं उससे भी मीठा बोलता हूं। ऐसे ही मिट्ठू तोता सभी जनवारो के पास जाता और डींगे मारता था |

( गप्पी तोते की कहानी )

एक दिन एक कबूतर उस जंगल में आया | उस्को देखकर मैना बोली, ओह्ह्ह तुम कितने सुंदर पक्षी हो |

कोन हो तुम ? कबूतर बोला शुक्रिया, मैं कबूतर हूं | मैं कुछ ढूंड रहा हूं | तभी वहां पर कोवा और कोयल भी आ गई | मैना बोली कव्वे भैया ,कोयल, देखो हमारे यहां कोन आया है ।

कितना सुन्दर मेहमान है | है ना ?
कव्वा बोला: कितना प्यारा पक्ष है | कोयल भी बोली कितना सुंदर दिखता है यह ।
कव्वा बोला यह तो शाही पक्षी लगता है|
तबी मिट्ठू भी वहां आ गया | मिठू बोला यह कौन है?

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( Totay ki kahani)

कबूतर बोला: तुम मिट्ठू हो ना?
मिट्ठू चिल्ला कर बोला , हां मैं ही मिट्ठू हूं । मिट्ठू खुश होकर बोला ,क्या तुमने मेरे बारे मैं सुना है?
कबूतर बोला , हां दरअसल ….
मिट्ठू कबूतर को बीच में ही रोक कर बोला: देखा तुम लोगो ने मेरा कितना नाम है | बाहर वालों ने भी मेरे बारे में सुना है।
मिट्ठू फिर से बोला, कबूतर जानते हो मैं बहुत सारे देश घूम चुका हूं।
कबूतर बोला, हां लेकिन…
मिट्ठू फिर से बीच में बोला और मुझे तो ब्यूटी प्राइज भी मिला था।
कबूतर बोला…अच्छी बात है…मेरी बात तो….
मिट्ठू फिर से उसकी बात बीच में ही काटता हुआ बोला, मैं बहुत ही अमीर पक्षी हूँ, मालूम है?
इस जंगल में सबसे अमीर ।

तोते की कहानी | हिन्दी कहानी |

कबूतर बोला, तुम मेरी बात सुनो तो मैं कुछ कहना चाहता हूं | तभी उस पेड के नीचे जहां वे सारे पाक्षी बैठे थे शेर की आवाज आई | शेर गुर्रा कर बोला, ये सही नहीं है। इसके पास पहले से ही सब कुछ है ।
मिट्ठू तोता शेर की बात सुन कर बोला, शेर क्या कहना चाहते हैं।

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कबूतर बोला, यहि मैं तुम कबसे बताने की कोशिश कर रहा हूं। मगर तुम तो डींगे ही मरते जा रहे हैं। वे आगे बोला, मैं शाही नोकर हूँ | शेर राजा का सन्देश लेकर तुम्हारे पास आया था राजा चाहते हैं की तुम उनके महल मैं आओ । तुम्हे खाना, महल मैं रहना सब कुछ मिलेगा | मगर अब राजा ने तुम्हारी बात सुन कर अपना मन बदल लिया है | क्योकी तुम तो पहले ही बहुत अमीर हो ?


मिट्ठू हड़बड़ा कर बोला: पर मेरे पास कुछ नहीं है ।
कबूतर बोला, अब जाने भी दो । ये कहकर वो चला गया।
ये सुनकर कोवा बहुत ज़ोर से हंसा, उसे देखकर बाकी पाक्षी भी हसने लगे।
कौवा बोला , जो डींगे मारते हैं उसके साथ ऐसा ही होता है हाहाहा बहुत अच्छा हंसने लगा।
बेचारा मिट्ठू दुखी होकर वहां से उड़ता हुआ चला गया।

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Tenaliram short Hindi Story: हीरों का बंटवारा 

तेनालीराम की कहानी

Tenaliram short Hindi Story | राजा के दरबार में पंडित तेनालीरमा कृष्णा नाम का एक कुशल और बुद्धिमान मंत्री था। एक बार दरबार में एक मामला आया कि महाराज के लिए न्याय करना मुश्किल हो गया। इस स्थिति में, तेनालीरमा ने विवेक से काम लिया और राजा की उलझन को हल किया।

ऐसा हुआ कि एक दिन श्यामू नाम का एक व्यक्ति महल में न्याय मांगने आया। राजा ने उससे पूरी बात बताने को कहा जिससे की उसके साथ न्याय किया जा सके। श्यामू ने बताया कि जब वह कल अपने स्वामी के साथ कहीं जा रहा था तो उन्हें रास्ते में एक गठरी मिली जिसमें तीन चमकते हीरे थे।

हीरों का बंटवारा

हीरे को देखकर मैंने कहा कि स्वामी इन हीरों पर राजा का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजखजाने में जमा करा देना चाहिए। यह सुनकर, स्वामी आग बबूला हो गए और कहा कि हीरे के बारे में किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। हम इन्हें आधा आधा कर लेंगे। यह सुनकर में भी लालची हो गया और मैं अपने स्वामी के साथ घर को वापस लौट आया।

अपनी हवेली में पहुँचते ही स्वामी ने मुझे हीरे देने से मना कर दिया और अपनी हवेली से भागा दिया। मेरे साथ अन्याय हुआ है महाराज कृपया मेरे साथ न्याय कीजिये।

श्यामू की व्यथा सुनकर, राजा ने तुरंत उसमे मालिक को दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। श्यामू का स्वामी बहुत दुष्ट व लालची था। जब वह दरबार में आया तो महाराज से बोला कि यह सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन मैंने तो सब हीरे श्यामू को राजकोष में जमा करने के लिए दे दिये थे। श्यामू तो बहुत ही लालची आदमी है इसलिए वो आपके पास आ कर झूठ बोल रहा है।

Tenaliram short Hindi Story

महाराज ने कहा कि क्या प्रमाण है कि तुम सच कह रहे हो। श्यामू के मालिक ने कहा कि आप बाकी नौकरों से पूछ सकते हैं, वे सभी वहाँ मौजूद थे। जब राजा ने साथ के तीनों नौकरों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि मालिक ने तो हीरों से भरी गठरी श्यामू को दे दी थी, जो अभी श्यामू के पास ही होनी चाहिए।

अब राजा को समझ नहीं आया की कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है। राजा ने बैठक समाप्त करने के आदेश दिये और कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुन लिया है लेकिन हम फैसला कुछ समय बाद सुनाएँगे।

राजा ने अपने सभी मंत्रियों को राजकक्ष में आकार अपनी सलाह देने को कहा। कोई बोला कि श्यामू लालची है वही झूठ बोल रहा है, तो किसी ने कहा कि श्यामू का मालिक झूठा है ओर उसके सभी नौकर उसके साथ मिले हुये हैं। राजा ने तेनालीरमा की ओर देखा जो हमेसा की तरह शांत खड़े थे। राजा ने पूछा कि आप क्या सोचते हैं, तेनालीरामा।

तेनालीरामा ने कहा, “महाराज में समस्या का समाधान करता हूँ बस मुझे आप सभी के सहयोग की आवश्यकता है। राजा यह जानने के बहुत उत्सुक थे की कौन झूठ बोल रहा है। महाराज ने कहा बताओ तेनाली हमें क्या करना पड़ेगा। तेनाली ने कहा की आप सभी लोग पर्दे के पीछे छुप जाइए में अभी दूध का दूध और पानी का पानी कर देता हूँ।

Tenali Rama Short Story In Hindi

राजा इस मामले को जल्द से जल्द हल करना चाहते थे , इसलिए महाराज ने सभी को पर्दे के पीछे छुपने के आदेश दिये और सभी मंत्रियों के साथ खुद भी पर्दे के पीछे छिपने के लिए तैयार हो गए ।

अब राज कक्ष मे सिर्फ तेनाली ही खड़े थे बाँकी के सभी लोग पर्दे के पीछे छुप गए थे। उन्होने अपने नौकर से कहा की वह एक-एक करके तीन नौकरों को मेरे पास भेजे। सेवक पहले नौकर को साथ ले आया।

तेनालीरामा ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे स्वामी ने तुम्हारे सामने श्यामू को गठरी दी थी।” नौकर ने हाँ मे जवाब दिया। अब तेनालीरमा ने उसके सामने एक कागज और एक कलाम रख दी और कहा की उस हीरे का चित्र बनाओ। नौकर घबराकर बोला, “जब मालिक ने श्यामू को हीरे दिए, तो वह लाल गठरी में थे।”

तेनालीरामा ने कहा, “ठीक है तुम अब यही खड़े रहो।” इसके बाद, अगले नौकर को बुलाया गया। तेनालीरमा ने दूसरे नौकर से भी वही पूछा, “तुमने जो हीरे देखे हैं उसका एक चित्र बनाओ। ” नौकर ने कागज लिया और उस पर तीन गोल आकृतियाँ बना दीं।

हीरो का बंटवारा – तेनालीराम हिन्दी कहानी

अब तीसरे नौकर से पूछा गया तो उसने कहा, “मैंने हीरे नहीं देखे लेकिन वो हरी रंग की गठरी में थे।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से सबको समझ आ गया है की वो झूठे हैं।

वह राजा के चरणों में गिर गए और कहा कि उसकी कोई गलती नहीं है, लेकिन स्वामी ने उन्हे झूठ बोलने के लिए कहा था अन्यथा उन्हे मारने की धमकी दी थी।

नौकरों की बात सुनकर महाराज ने सैनिकों को मालिक के घर की तलाशी लेने का आदेश दिया। तीनों हीरे खोज के बाद मालिक के घर पर पाए गए। मालिक कि बेईमानी का दंड उसे मिला। राजा ने आदेश दिया की मालिक श्यामू को 1 हजार स्वर्ण मुद्रा देगा और 10 हजार स्वर्ण मुद्रा राजकोष में जुर्माने के रूप मे भरेगा। इस तरह, श्यामू को तेनालीरमा की बुद्धि से न्याय मिला और वह राजा के दरबार से खुशी-खुशी लौटा।

Tenali Rama Short Story In Hindi से हमने क्या सीखा:

इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि अक्सर जैसा हमें दिखाई देता है वैसा नहीं होता है। हमें बस अपनी बुद्धि से काम करने की जरूरत है। 25 फलो के नाम – क्लिक करें

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तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

तेनालीराम की कहानी

परियों का नृत्य | एक बार गोविन्द नाम का एक व्यक्ति राजा के राजदरबार में आया। वह काफी दुबला-पतला सा था। वह दरबार में पहुंचा और राजा से बताया कि वह रूपदेश से आया है और वह दुनिया घुमने के लिए निकला है।

गोविन्द ने राजा से कहा की कई जगह घूमने के बाद वह राजा के दरबार में पहुंचा है।गोविन्द के मुह से यह सुनकर राजा बहुत खुश हुए। तब राजा ने एक विशेष मेहमान के रूप में उसका आदर सत्कार किया।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

गोविन्द को राजा द्वारा सम्मान और इतना सम्मान देते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। उसने राजा से कहा, “महाराज मैं आपको एक एसी जगह के बारे में बताता हूँ जहां बहुत सारी परियाँ रहा करती हैं यहाँ तक की मेरे बुलाने पर वो परियाँ यहाँ भी आ सकती हैं।‘’

जैसे ही महाराज ने यह सुना तो वह बड़े ही उत्साहित हो गए और बोले, “ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है परंतु इसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?

जैसे ही गोविन्द ने यह सुना तो उसने तुरंत महाराज से कहा की महाराज आप आज रात को तालाब के पास आ जाइएगा। मैं वहाँ पर परियों को नृत्य के लिए बुलवाऊंगा। राजा गोविन्द की बात मान गए।

फिर रात होते ही राजा अपने घोड़े पर बैठे और तालाब की ओर चल दिये। वहाँ पास ही एक क़िला था जैसे ही राजा तालाब पर पहुंचे, उन्होंने देखा सामने के किले पर गोविन्द उनका इंतजार कर रहा है।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

राजा उसके पास गए तो गोविन्द ने उनका स्वागत किया और बोला, “महाराज मैंने सारा इंतेज़ाम कर दिया है और सभी परियां किले के अंदर मौजूद हैं।”

जैसे ही राजा और गोविन्द किले के अंदर जाने लगे, तब गोविन्द को वहाँ पर उपस्थित सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ। राजा ने पूछा, “क्या चल रहा है? तुम सब गोविन्द को गिरफ्तार क्यों कर रहे हो?”

तब तेनालीरामा जो किले के भीतर था और बोला, “महाराज मैं जनता हूँ की यहाँ क्या चल रहा है मैं आपको बताता हूँ।“

तेनाली ने कहा, “महाराज, यह गोविन्द कोई यात्री नहीं है, यह एक देश जिसका नाम रूपदेश है उसका रक्षा मंत्री है। यह यहाँ आपको धोखे से मारने आया हुआ है। इस किले में कोई पारियाँ नहीं हैं यह तो इसकी एक चाल थी।“

तेनालीरामा की बातें सुनकर राजा ने उसे अपनी जान बचाने हेतु धन्यवाद दिया और पूछा, ‘’तुम्हें यह कैसे पता चला, तेनाली राम ?’’

तब तेनाली राम बोला कि पहले दिन ही मुझे गोविन्द पर शक हो गया था महाराज। उसके तुरंत बाद मैंने कुछ जासूसों को इसके पीछे लगा दिया था। तभी मुझे इसकी इस घिनौनी योजना का ज्ञान हुआ।

राजा तेनालीराम  से बड़े ही खुश हुए और राजा ने कहा की हम इसके लिए आपके सदा ही आभारी रहेंगे।

Tenali Rama Short Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Short Story से यह पता चलता है कि बिना जांच पड़ताल के कभी भी किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।  ( बच्चो के लिए एजुकेशनल websiteक्लिक करें )

तेनालीराम पर लगा रिश्वत का आरोपपढने के लिए क्लिक करें

TENALI RAMAN HINDI STORY – लाल मोर

तेनालीराम की कहानी

TENALI RAMAN HINDI STORY | एक समय की बात है एक राजा थे, जो जानवरों और पक्षियों के साथ-साथ अद्भुत और अनोखी चीजों के बहुत शौकीन थे। राजा के ऐसे शौक़ के कारण मंत्रियों और राज दरबारियों द्वारा बस अनोखी चीजों की खोज की जाती थी। महाराज को अनोखी चीज़ देने के साथ ही उनका उद्देश्य महाराज से उपहार और पैसा भेंट में पाना भी था।
एक बार महाराज के एक दरबारी ने उन्हें प्रसन्न करने के लिए एक मोर को रंगवा कर अनोखे लाल रंग का कर दिया। दरबारी ने कहा, “महाराज, मैंने मध्य प्रदेश के घने जंगलों से इस अनोखे मोर को मंगवाया है।”

जब महाराज ने उस मोर को देखा वो हैरान रह गए। उन्होंने कहा, “लाल रंग का मोर, यह वास्तव में अद्भुत है और ऐसा मोर कहीं भी मिलना मुश्किल है। मुझे इसे अपने बगीचे में बहुत सतर्कता से रखना पड़ेगा।“

महाराज बोले, “अब यह बताओ कि इसे ढूंढ कर लाने में तुम्हें कितना पैसा खर्च किया?’

अपनी तारीफ को सुनकर दरबारी बहुत खुश हुआ और उसने कहा, “महाराज, मैंने केवल आपके लिए इस अनोखे मोर को खोजा, और इसे खोजने के लिए मैंने अपने दो नौकरों को रखा था।

वे दोनों तब पूरे देश की यात्रा कर रहे थे और वे कई सालों से इस अद्भुत चीज़ की तलाश में लगे हुए थे। कई वर्षों के बाद, अब उन्हें यह लाल मोर मिला। मैंने इस सब में लगभग 25 हजार रुपये खर्च किए हैं।“

राजा में उस दरबारी को 25 हजार रूपये की राशि देने का एलान किया। और साथ ही राजा ने उस दरबारी से कहा की इस राशि के अलावा भी आपका सम्मान किया जाएगा। दरबारी खुश हो कर मुसकुराने लगा।

तेनालीराम की कहानियाँ – लाल मोर

जैसे ही तेनाली की नजर उस दरबारी पर पड़ी तेनालीरामा को सारा मामला समझ आ गया। उस समय तेनालीरामा कुछ नहीं बोला क्योंकि वो जानता था की यह समय उचित नहीं रहेगा।

तेनालीरामा जानता था की ऐसे लाल रंग का मोर कहीं भी नहीं होता, यह दरबारी झूठ कह रहा है।
अगले दिन तेनालीरामा को रंगाई करने वाला व्यक्ति मिल गया। तेनाली रंगाई करने वाले व्यक्ति के पास रंगने के लिए चार मोर लेकर गया और उन्हें उस रंगाई करने वाले व्यक्ति के पास से रंग लाने के बाद, दरबार में ले आया।

तेनालीरामा ने राज दरबार में कहा, “महाराज, यहाँ पर बैठे ये दरबारी मित्र पच्चीस हजार में सिर्फ एक मोर लाए, लेकिन मैं पचास हजार में चार और सुंदर मोर लाया हूं जो उस मोर से भी ज्यादा सुंदर है।

जैसे ही राजा ने उन मोरों को देखा वे उन पर मोहित हो गये। राजा ने खुश होकर तेनाली को पचास हजार रुपये देने का एलान दिया।
यह सुनकर तेनालीराम ने अदालत में बैठे एक व्यक्ति की ओर इशारा किया और कहा, “महाराज मेरा इस इनाम पर कोई हक नहीं है, लेकिन यह हक इस कलाकार है।

यह वही कलाकार है जिसने नीले मोर को लाल रंग में बदल दिया है। यह ऐसा कलाकार है की किसी भी चीज़ को एक रंग से दूसरे रंग में बदल सकता है।

जैसे ही महाराज ने यह सुना वे सब समझ गए की दरबारी ने उनसे झूठ कहा था।

महाराज ने दरबारी को दी गयी धनराशि वापस ले ली और उस पर पाँच हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया तथा राजा ने उस कलाकार की कला के लिए उसे पुरस्कार दिया।

इस कहानी से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Raman Story Hindi से हमें यह सीख मिलती है की हमें भावनाओं में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कोई भी असामान्य बात होने पर उसकी जांच पड़ताल किए बिना उसे सत्य नहीं मानना चाहिए।

तेनालीराम की कहानीविचित्र पक्षी

शेर और खरगोश की कहानी-Hindi Story For Kids

शेर और खरगोश की कहानी |एक जंगल में एक बड़ा ही खतरनाक शेर रहता था। जब भी वह भूखा होता तो एक कमजोर जानवर को दबोच कर उससे कहता, “जाओ अपने परिवार के सबसे हष्ट-पुष्ट  जानवर को मेरे पास लेकर आओ वरना, मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा। सभी जंगली जानवरों को उस शेर का बड़ा ही खोफ था।

बच्चो के लिए हिन्दी कहानियां

    एक बार उस शेर ने एक खरगोश को पकड़ लिया और उससे कहा, “जाओ और अपने परिवार के सबसे तगड़े खरगोश को लेकर आओ नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा  जाऊंगा । ” खरगोश ने  शेर से कहा, “शेर महाराज आप तो बड़े ताकतवर हैं। मैं तो बहुत छोटा सा जानवर हूँ। मुझे खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। आप तो बड़े दयावान लगते हैं कमजोर जनवारों का शिकार करना आपको शोभा नहीं देता है। आप मुझे छोड़ दीजिये और किसी तगड़े शिकार की तलाश कीजिये, जिस से आपका पेट भर सके ।”

      शेर अपने तारीफ सुनके गदगद हो गया और गर्व से अपना सीना चौड़ा कर के बोला, “हाँ तो मैं किसी कमजोर शिकार को क्यों खाऊ भला, तुम जानवरों ने मुझे समझा क्या है ? इस जंगल में कोई भी जानवर मुझ से  ज्यादा बलशाली नहीं है इस लिए मैं भूख मिटाने के लिए तुम जैसे छोटे जानवरों का शिकार कर लेता हूँ ।”

      खरगोश बहुत चतुर था । उसने कहा, “महाराज शेर मुझे आपके ही जैसे बलशाली और ताकतवर शेर की एक कहानी याद आ रही है, आप कहो तो मैं आपको सुना सकता हूँ।” खुद की तुलना एक बलशाली शेर से होता देख शेर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था ।

शेर और खरगोश की कहानी

     शेर ने खरगोश को कहानी सुनाने की अनुमति दे दी । खरगोश को एक कहानी याद थी जो उसके दोस्त चूहे ने उसे कुछ दिन पहले ही सुनाई थी । खरगोश ने वही कहानी शेर को सुनाई :-

      “महाराज एक जंगल में एक बहुत ही ताकतवर शेर रहता था । उसकी भुजाओं में इतना बल था की वो अपने एक पंजे से हाथी को गिरा दे। जंगल के सभी जानवर उस से डरते थे लेकिन वो कभी भी किसी कमजोर जानवर का शिकार नहीं करता था ।”

        शेर को खरगोश की सुनाई कहानी बहुत ही पसंद आई , क्योंकि शेर कहानी के शेर की तुलना खुद से कर रहा था । उसे एसा लग रहा था मानो वो ही इस कहानी का बलशाली शेर है। शेर के सबसे छोटे बेटे को भी उसकी कहानी पसंद आई ।

        शेर ने खरगोश को कहा, “आज से रोज  शाम को तुम मुझे और मेरे बेटे को यहाँ आ कर कहानियाँ सुनाया करोगे। और जिस दिन भी तुम नहीं आओगे, तो तुम्हारे परिवार का एक सदस्य कम हो जाएगा , मैं उसे खा जाऊंगा।

        खरगोश परेशान हो गया ,उसने अभी तो अपनी जान बचा ली थी लेकिन उसे इस बात की चिंता हो रही थी की वो रोज शेर को कहानियाँ कहाँ से सुनाएगा ।

बेवकूफ राजा की कहानीपढ़ें

        खरगोश परेशान सा मुह लेकर अपने दोस्त चूहे के पास गया और उसे पूरी बात बताई । चूहे ने खरगोश की परेशानी देख उसे एक और कहानी सुनाई । अब हर दिन खरगोश चूहे से कहानी सुनता था और हर शाम को जा कर के शेर और उसके बेटे को कहानी सुना देता था। इस प्रकार से खरगोश और शेर दोनों खुश थे । 

Hindi story For Kids

         एक दिन, शेर के बच्चे ने खरगोश से कहा, “खरगोश भाई तुम्हें रोज रोज नई नई कहानियाँ कहाँ से आ जाती हैं?”  खरगोश ने कहा, “महाराज ये कहानियाँ मुझे सपने मैं दिखाई देती हैं । वही कहानी मैं आप लोगो को शाम को सुना देता हूँ।”  शेर के बच्चे  को खरगोश की बातों पर भरोशा नहीं हुआ । शेर के बच्चे ने सोचा की क्यों न आज इस खरगोश का पीछा किया जाए। और शेर का बच्चा चुपके-चुपके खरगोश के पीछे चल दिया ।

         खरगोश सीधा चूहे के पास गया और उससे पूछा, “दोस्त तुम्हें ये कहानियाँ कहाँ से आती हैं?”  चूहा ने उसे बताया , “एक जादुई पेड़ है। जिसके पत्तों में कहानियाँ लिखी होती हैं। इसी पेड़ के कारण मैं तुम्हें रोज नई कहानी सुना पता हूँ।

शेर का बच्चा ये सारी बात सुन रहा था। फिर खरगोश ने चूहे से कहा, “तुम मुझे भी उस जादुई पेड़ के पास ले चलो, मैं भी उसे देखना चाहता हूँ।” चूहे ने कहा, “चलो चलते हैं।” वो दोनों जादुई पेड़ के पास पहुचे। जैसे ही खरगोश ने उस पेड़ को देखा उसे देख के वो खुस हो गया । 

       जादुई पेड़ ने कहा आ गए तुम तीनों। चूहा ,खरगोश और शेर तीनों हैरान हो गए । शेर ने सोचा इसे कैसे पता मैं भी यहा हूँ, और खरगोश और चूहे ने सोचा हम तो दो ही हैं तीसरा यहाँ कौन है।

खरगोश ने जैसे ही पीछे देखा तो शेर का बच्चा वही पीछे खड़ा था। उसने खरगोश से बोला, “तुमने पापा को झूठ बोला की कहानी तुमको सपने में दिखाई देती है। खरगोश डर गया और रोने लग गया की शेर अब उसे खा जाएगा। शेर का बच्चा गुस्से से वहाँ से चला गया। 

शेर और खरगोश की कहानी

       चूहे को पता था की जादुई पेड़ खरगोश की कोई मदद जरूर कर सकता है। तो उसने जादुई पेड़ से बोला, “जादुई पेड़ ये मेरा दोस्त है। शेर के बच्चे को सब सच पता चल गया है अब खरगोश के परिवार का क्या होगा। पेड़ ने अपने एक बेल को इतना लंबा किया की शेर के बच्चे का पाँव उस बेल मे फस गया ।       एक दिन बीत गया। अगली शाम खरगोश शेर को कहानी सुनने गया । शेर अपने बच्चे के खो जाने के कारण परेशान हो गया था ।  तो शेर को देख के खरगोश को दया आ गयी ।

      खरगोश उसी जादुई पेड़ के पास गया और उसने पेड़ को बताया की शेर का बच्चा न जाने कहाँ गुम हो गया है । पेड़ ने खरगोस की बताया की वो तो कल से उसकी जादुई बेल में फसा पड़ा है। खरगोस ने पेड़ से कहा की वो शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दे । पेड़ ने कहा,

“अगर मैं उसको निकाल दूंगा तो शेर तुमको खा जाएगा।”

खरगोश ने कहा ,”कोई बात नहीं , मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से किसी मासूम बच्चे की जान जाए ।” खरगोश शेर के बच्चे के पास गया । और कहा ,” तुम चिंता मत करो मैं  तुमको बाहर निकालूँगा।

शेर और खरगोश हिन्दी कहानी

पेड़ ने  खरगोश से कहा, “तुमको अपनी जान की परवाह नहीं है? तुम अपने बदले शेर की जान बचना चाहते हो तो ठीक है मैं इस बच्चे को निकाल देता हूँ।” 

      पेड़ ने शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दिया  है। शेर के बच्चे ने पेड़ ओर खरगोश की पूरी बात सुन ली थी। खरगोश और शेर का बच्चा घर को चल दिये।   बिल्ली की कहानी – पढ़ें

शेर ने जेसे ही अपने बच्चे को देखा वो खुश हो गया ओर उस से पूछा की तुम अभी तक कहाँ थे। बच्चे ने शेर को सब बात बता दी। खरगोश की उदारता देख शेर ये निर्णय लिया की वो अब किसी भी कमजोर जानवर का शिकार नही करेगा । इस प्रकार उस जंगल में सब जानवर शेर की इज्जत करने लगे । अब खरगोश और शेर अच्छे दोस्त बन गए ।  इस जंगल में अब खरगोश और शेर की दोस्ती के किस्से हर किसी की जुबान पर रहने लगे । 

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Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

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Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी | एक देश में एक राजा रहा करता था। उसकी बहुत सारी रानियां थी उस में से सबसे छोटी रानी उसकी सबसे खास रानी थी। वह बाकी की सारी रानियों में से कम उम्र की रानी थी।

रानी की मासूमियत अक्सर राजा को बहुत पसंद आती थी। रानी का जानवरों के प्रति प्रेम राजा को भा जाता। सबसे छोटी रानी के जानवरों के प्रति प्रेम होने के कारण रानी ने बहुत सारे जानवर और पशु पक्षी पाल रखे थे।

रानी एक बार शहर मे घूम रही थी। तो उसकी नजर एक बंदर के बच्चे पर पड़ी। जो अकेला था। सायद वह अपने परिवार से बिछड़ गया था। रानी को उस पर दया आ गई। और वह उसे अपने साथ राजमहल ले आई।

अब रानी ही उसकी देखभाल करती थी। वह बंदर रानी को इतना प्यारा की रानी उसे अपने साथ ही सुलाती और उसका सारा काम भी अपने आप किया करती थी। रानी ने बंदर को सुबह सैर करना और खाना नीचे बैठ कर खाना सिखाया था।

रानी का बंदर उसे नाच करके भी दिखाता था। रानी को उस बंदर का नाच ही सबसे प्यारा लगता था।रानी उसका नाच देखे बिना अपना दिन शुरू नहीं करती थी।

Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

एक बार महल में एक चोर घुस आया जिसने रानी के उस प्रिय बंदर को चुरा लिया। चोर जानता था कि राजा की प्रिय रानी को बंदर सबसे प्यारा था। जिसके बदले उसे बहुत सारे पैसे मिलने की पूरी उम्मीद थी।

राजा ने अपने सेनापति को बुलाकर बंदर की खोज करवाने के लिए सैनिकों को भेज दिया। पर बहुत दिन बीत जाने के बाद भी वह चोर पकड़ा नहीं गया।

एक दिन बंदर चोर के चंगुल से भाग कर रानी के पास राजमहल पहुच गया। जैसे ही छोटी रानी ने इस बंदर को देखा तो बंदर रानी के पास दौड़ता हुआ चला गया। रानी अपने बंदर को पाकर बहुत खुश।

परंतु अगले दिन रानी उठी तो उसने पाया कि उस बंदर की आदतें तो वैसी ही थी पर वह बंदर अब नाच करके दिखलाता ही नही था। रानी बहुत दुखी रहने लगी। रानी ने राजा को बंदर के बारे में बताया कि बंदर अब तो नाच करके भी नहीं दिखलाता।

राजा रानी की बातों को सुनकर रानी को समझाने लगा। परंतु रानी नहीं मानी अब रानी बहुत दुखी रहने लगी। उसे बंदर का नाच देखने को नहीं मिलता था। अब रानी ना कुछ खाती और ना कुछ बोलती वह हमेशा उदास ही रहने लगी। 

Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी

रानी की इस दशा को देखकर राजा ने दरबार बुलाया और एलान किया की रानी के प्रिय बंदर को जो भी पहले जैसा नाँच करना सीखा देगा उसे राजा इनाम में 100 सोने के सिक्के देंगे।

अब बहुत सारे लोग राजदरबार में आते और राजा के बंदर को नचाने की कोसिस करते। लेकिन कोई भी आदमी बंदर को नचा नहीं पता था। इससे रानी ओर ज्यादा उदास रहने लगी। 

कुछ दिनों बात राजदरबार मे एक मदारी आया और बोला, “महाराज मैं इस बन्दर को नाँच करना सीखा सकता हूं, लेकिन मुझे 10 दिन का समय दीजिए। आपको ये बंदर मुझे दस दिन के लिए देना होगा। राजा मान गए। और उन्होने मदारी को बंदर दस दिन के लिए दे दिया।

वह आदमी बंदर को अपने साथ ले गया। दूसरे दिन सुबह होते ही उसने एक बड़ा सा तवा गर्म किया। और उसने बंदर को पकड़कर उस तवे पर रख दिया। जैसे ही गर्म तवे पर बंदर के पैर पड़े तो बंदर उछलने लगा।

उस आदमी ने बंदर के साथ लगातार कुछ दिनों तक ऐसा ही किया। अब जैसे ही बंदर उस गरम तवे को देखता तो वह खुद उछलने लगता और नाच करने लगता। कुछ दिनों में ही बंदर पहले जैसा नाचने लगा।

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अब वही आदमी बंदर को लेकर राज दरबार पहुंचा और उसने राजा को बंदर वापस कर दिया और बोला, “महाराज यह अब पहले जैसा नाँच दिखायेगा ।बस आपसे एक विनती है जैसे ही आपको बंदर को नाच करवाना हो तो आप एक तवा बंदर के सामने रख दीजिए बंदर उसे देखकर नाचने लगेगा।“

अब रानी रोज बंदर के सामने एक तवा रख देती थी। जैसे ही बंदर उस तवे को देखता, वह उछलने लगता और नाचने लगता। रानी उसकी हरकतों को देखकर खुश हो जाती।

राजा ने देखा कि बंदर पूरी तरह ठीक हो चुका है तो राजा ने उस आदमी को बहुत सारा धन दिया। इस प्रकार उस बुद्धिमान मदारी ने अपनी बुद्धि से बहुत सारा धन प्राप्त कर लिया।

bandar ki kahani से हमने क्या सीखा:

bandar ki kahani से यह सीख मिलती है कि जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेड़ी करनी पड़ती है। मतलब जब सही तरीके से काम ना बने तो हमें चालाकी से काम लेना चाहिए।

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मुर्गी के अंडे और बिल्ली |Hindi story for children

मुर्गी के अंडे और बिल्ली |Hindi story for children

मुर्गी के अंडे और बिल्ली |एक बार एक मुर्गी ने बारह अंडे दिए थे | वह रोज़ अपने लिए दाना खोजने जाती थी | एक दिन जब वह दाना खोज कर वापस आयी, तो वहां पर केवल दस अंडे ही बचे थे | उसने हर जगह अपने खोये हुए अंडो को ढूँढा, लेकिन उसके अंडे नहीं मिले | वह दोबारा अपने अंडो को गिनने लगी |लेकिन उसने देखा दो अंडे कम ही थे | मुर्गी बहुत उदास हो गई |

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वह मुर्गे को बताने के लिए बाड़े से बाहर गई | मुर्गा सुनकर बहुत उदास हो गया | मुर्गा और मुर्गी दोनों यह नही जानते थे कि उनके अंडे एक बिल्ली ने चुराए थे | उनके बाड़े के कोने में एक बिल्ली रहती थी, जो उनके अंडो के इंतज़ार में छिप कर बैठी रहती थी | अगले दिन जैसे ही मुर्गी दाने की तलाश में बाहर गई, वैसे ही बिल्ली बाहर आयी और एक अंडा चुरा कर फिर से कोने में छिप गई | बिल्ली को मुर्गी से सावधान रहना पड़ता था | वह मुर्गी के जाने पर चुप चाप अंडा चुरा कर खा लेती, और मुर्गी के आने से पहले ही अपनी जगह पर आकर छुप जाती |

मुर्गी ने वापस आ कर देखा, तो फिर से अंडे गिनती में कम निकले | अब मुर्गी को चिंता होने लगी कि उसके अंडे आखिर जा कहाँ रहे हैं? उसने मुर्गे से पूछा, कि हमारे अंडे कहाँ गायब हो रहे हैं? मुर्गा बहुत आलसी था | उसने मुर्गी की बात पर कोई ध्यान नही दिया और बहाना बनाकर वसेहां चला गया | मुर्गी ने खोजबीन करना शुरू किया कि उसके अंडे कौन चुराता है |

मुर्गी के अंडे और बिल्ली

कुछ दिनों बाद उसे पता चला कि उसके बाड़े के भीतर एक बिल्ली है जो रोज़ उसके अंडे चुरा लेती है | अगली सुबह मुर्गी जान बूझकर दाना चुगने बाहर चली गई | मौका पाते ही बिल्ली अंदर आ गई | वह और अंडे खाना चाहती थी | उसने जैसे ही अंडा उठाया और खाने की कोशिश की, वह अंडा उसके गले में फंस गया | दरअसल मुर्गी ने अंडे की जगह संगमरमर का टुकड़ा वहां रख दिया था |

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बिल्ली ने संगमरमर के टुकड़े को अंडा समझ कर निगल लिया था | बिल्ली का गला दुखने लगा उसने फ़ौरन वह टुकड़ा अपने मुँह से बाहर थूक दिया | बिल्ली घबरा गई और वह अपनी जान बचा कर वहां से भाग गई और फिर कभी वापस नहीं आई |अब मुर्गी और उसके बचे हुए अंडे सुरक्षित थे | मुर्गी ने अपनी सूझ बूझ से अपने अंडो को बचा लिया था |

आलसी लोमड़ी |

आलसी लोमड़ी गर्मियों का मौसम चल रहा था |बारिश ना होने की वजह से जंगल के सारे नदी तालाब सूख गए थे, इसलिए सभी | जानवर परेशान थे | प्यास के कारण उनकी हालत ख़राब हो रही थी | वे सभी जानवर पानी कि तलाश में निकल पड़े | काफ़ी ढूंढ़ने के बाद उन्हें एक नदी मिली | लेकिन वह नदी इतनी ज़्यादा बड़ी नहीं थीं कि उसमे से सारे जानवर पानी पी सकें | इसलिए सभी जानवरो ने फैसला किया कि वे सभी मिलकर उस नदी को ओर गहरा खोदेगें ताकि उसे बड़ा किया जा सकें और सभी जानवर उस नदी से पानी पी सकें |

आलसी लोमड़ी | लोमड़ी की कहानी

सभी जानवर एक साथ नदी खोदने के लिए तैयार थे, लेकिन एक लोमड़ी थी जो बड़ी आलसी थी | उसने नदी खोदने के लिए साफ मना कर दिया था | उसके मना करने पर सभी जानवरो ने कहा कि लोमड़ी को नदी से पानी नहीं पीने दिया जाएगा,क्योंकि उसने नदी खुदवाने से मना कर दिया है |फिर नदी की रखवाली के लिए कुछ जानवर लगा दिए गए, ताकि वे लोमड़ी को वहां आने से रोक सकें | काम करने के बाद सभी जानवर अपने घरों को चले गए | एक खरगोश को नदी की रखवाली के लिए छोड़ दिया गया था |

लोमड़ी सभी जानवरों के जाने के इंतज़ार में थी |जैसे ही सभी जानवर वहां से गए, वह नदी के पास पहुँच गयी | उसने खरगोश को “हाय “बोला और अपनी जेब से शहद के छत्ते का एक टुकड़ा निकल लिया |फिर वह बड़े मज़े से शहद खाने लगा |उसको शहद खाता देख खरगोश के मुँह में पानी आ गया |लोमड़ी बोली,”यह शहद तो पानी पीने से कहीं बेहतर है |अगर इसे खा लो, तो प्यास ही नही लगती |”यह सुनकर खरगोश लोमड़ी के पास जाकर बोलता है,”क्या मैं भी यह शहद खा सकता हूँ, जिसे खाकर प्यास ही नही लगती है?” लोमड़ी बोली, “हाँ -हाँ! क्यों नहीं, तुम भी खाओ |”यह कहकर लोमड़ी ने खरगोश को शहद के छत्ते का टुकड़ा चखाया |खरगोश को शहद का स्वाद बहुत अच्छा लगा |इसके बाद खरगोश उससे और शहद मांगने लगा |

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बच्चो के लिए हिन्दी कहानी

लोमड़ी बोली,”तुम अपने पंजे पीछे की ओर बाँध कर ज़मीन पर लेट जाओ | मैं शहद को तुम्हारे मुँह में टपका दूंगा |” खरगोश शहद खाना चाहता था, इसलिए उसने ऐसा ही किया | जैसे ही खरगोश नीचे लेटा, लोमड़ी उसी समय नदी के पास गयी और भरपेट पानी पी कर भाग गया |जब दूसरे जानवर वहां आये, तो उन्होंने देखा कि खरगोश ज़मीन पर लेटा हुआ है और उसके पंजे पीछे की ओर बंधे हैँ | उसकी हालत देख कर सब चौंक गए |उसने सबको बताया कि लोमड़ी कैसे उसे बेवक़ूफ़ बना कर पानी पी कर भाग गया |

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यह सुनकर जानवरों को गुस्सा आ गया | उन्होंने खरगोश को खूब डांटा, “तुम उस चालाक लोमड़ी की बातो में कैसे आ गए?” वह शहद का लालच देकर तुम्हे बेवक़ूफ़ बना गई | “अब से तुम रखवाली नहीं करोगे, ये काम हम किसी और जानवरों को देंगे |” इसके बाद रखवाली का काम एक बन्दर को सौंपा गया |लोमड़ी में उसे भी अपनी बातो में फंसा लिया, और फिर से पानी पी कर भाग गया |जब जानवर  वापस आये,तो उन्हें पता चला कि लोमड़ी दूसरी बार भी नदी से पानी पी कर भाग गई और बन्दर को बेवकूफ बना दिया, तो उन्होंने रखवाली का काम एम कछुए को दिया |

रखवाली के लिए चुना गया कछुआ

जब लोमड़ी नदी के पास आयी, तो उसने देखा कि आज रखवाली के लिए कछुआ बैठा हुआ था | लोमड़ी कछुए को इधर उधर की बाते सुनाने लगा |कछुए को बातें सुनने में मज़ा आ रहा था |लोमड़ी जानती थी कि कछुए को कहानी सुनते सुनते सोने की आदत है |इसलिए वह उसे कहानी सुनाने लगा |कछुआ कहानी सुनने में मगन हो गया और थोड़ी ही देर में सो गया |जैसे ही कछुआ सोया, लोमड़ी नदी की ओर पानी पीने के लिए भागी | जैसे ही वह भागी, कछुए ने लोमड़ी की टांग अपने मुँह में दबा ली |

दरअसल कछुआ सोया नहीं था वह सोने का नाटक कर रहा था | तभी सारे जानवर वहां आ गए |सबने मिलकर लोमड़ी कि खूब पिटाई की | लेकिन बाद में एक दयालु मैना के कहने पर लोमड़ी को माफ़ कर दिया गया |लोमड़ी ने सभी से माफ़ी मांगी और मेहनत करने की कसम खायी |अब वह आलसी नहीं रह गई थी |

गरीब बच्ची और परी की कहानी


गरीब बच्ची और परी की कहानी | एक 10 साल की बच्ची थी |उसका नाम था मारिया |मारिया अपने पिता के साथ रहती थी |मारिया की माँ बचपन में ही गुज़र गयी थी |उसके पिता कि तबियत भी ठीक नहीं रहती थी | मारिया और उसके पिता बहुत गरीब थे |पिता कि तबियत ठीक ना होने की वजह से मारिया को काम करना पड़ता था |वह छोटी बच्ची लांटेन बेचकर घर का गुज़ारा करती थी |

रोज़ कि तरह एक दिन  जब वह लांटेन बेचने निकली तो पूरा दिन बीत गया लेकिन उसकी एक भी लांटेन नहीं बिकी | पूरा दिन गुज़र गया और रात हो गयी |बेचारी मारिया उदास हो गयी |उसे चिंता हो रही थी कि अब वह अपने पिता के लिए क्या लेकर जाएगी क्योंकि आज तो उसका एक भी लांटेन नहीं बिक पाया है | य सोचते सोचते वह एक पेड़ के नीचे आ बैठी और उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे |उसके आंसू जो ही ज़मीन पर जा कर गिरे, अचानक एक परी उसके सामने प्रकट हुई |वह अपने सामने परी को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी |

परी ने उसकी और देखा, परी मुस्कुराई और बोली, “क्या बात है ?” तुम उदास क्यों हो? मारिया पहले तो उस परी को देखती रही फिर मायूस होकर बोली, “आज मेरा एक भी लांटेन नहीं बिका है “अब मैं अपने पिता जी के लिए क्या लेकर जाउंगी? यह सुनकर परी बोली, मगर तुम तो इतनी छोटी हो, तुम लांटेन क्यों बेचती हो? तुम्हारे पिता क्या करते हैँ? मारिया की आँखों से आंसू गिर पड़े, वह बोली, मेरे पिता जी बीमार हैँ इसलिए मुझे लांटेन बेचकर पैसे कमाने पड़ते हैँ |

गरीब बच्ची और परी की कहानी

यह सुनकर परी भी उदास हो गयी लेकिन परी ने हँसते हुए मारिया का हौसला बढ़ाया और उसे शाबासी दी की वह इतनी काम उम्र मे अपने पिता के लिए लांटेन बेचकर अपना घर चलाती है |यह सुनकर मारिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी | परी ने मारिया से पूछा, मारिया स्वादिष्ट खाना खाओगी? मारिया ने हामी भरकर सर हिला दिया |परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और देखते ही देखते मारिया के सामने स्वादिष्ट पकवान आ गए |मारिया ने इतना सारा खाना पहले कभी नहीं देखा था |परी ने कहा, मारिया जी भर कर खाना खाओ |मारिया ने भरपेट खाना खाया | खाना खाने के बाद मारिया बोली, मैंने तो खाना कहा लिया लेकिन घर ओर मेरे पिता नर कुछ भी नहीं खाया होगा |

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परी मुस्कुराते हुए बोली, चिंता मत करो मारिया मैं तुम्हे तुम्हारे घर भी छोड़कर आउंगी और तुम्हारे पिता को भी स्वादिष्ट भोजन खिलाऊंगी |ये कहकर परी ने मारिया को अपने जादुई कद्दू मैं बैठाया और वो दोनों मारिया के घर पहुँच गए |परी ने मारिया के पिता को भी अच्छा अच्छा खाना खिलाया और छड़ी घुमाकर उनके पुराने टूटे फूटे घर को एक पक्के घर में बदल दिया | घर को अच्छा होते देख मारिया और उसके पिता बहुत खुश हुए |परी ने अपने जादू से खाने पीने का सामान भी मारिया को दिया ताकि उसको लांटेन ना बेचने पड़े| परी ने अपने जादू से रुपयों से भरा एक बड़ा थैला भी मारिया के पिता को दिया |

परी ने मारिया के सर पर प्यार से हाथ फेरा और मारिया की आँखों से ओझल हो गयी |मारिया अब बहुत खुश थी | अब उसे लांटेन बेचने के लिए और अपने पिता के इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था |