लकड़हारे की कहानी- Lakadhare Ki Kahani

लकड़हारे की कहानी | दूर एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था । जो लकड़ियाँ बेचकर ही अपना पेट पालता था। लकडहारे के पास एक अनौखी शक्ति थी । वो जो भी सपना देखता वो हमेशा सच हो जाता । उसने अपनी इस शक्ति के बारे मे सब से छुपा कर रखा था ।

एक रात उसने सपना देखा की जहां वो लकड़ी बेचने जाता है वहाँ भुकंप आ गया है और सारे लोग डर के मारे इधर-उधर भाग रहे हैं।

रोज की तरह लकड़हारा जब सुबह लकड़ी काटने गया तो एक आदमी ने उस से कहा , “भाई तुम जहां लकड़ी बेचने जाते हो आज सुबह-सुबह वहाँ भुकंप आया और लोगों में हड़कंप मच गया । तूम आज वहाँ मत जाना ।”

उसके ऐसा बोलने पर लकड़हारे को वो सपना याद आ गया जो उसने पिछली रात को देखा था । लकड़हारा  उसे अपने सपने के बारे में बिना कुछ भी बताए अपने घर चला गया ।

अगली रात उस लकड़हारे ने फिर एक सपना देखा । इस बार सपने में परी लोक की महारानी के गले का हार चोरी हो गया है। अगली सुबह जब लकड़हारा लकड़ियाँ काटने जाने लगा तो रास्ते में उसे एक आदमी मिला, जिसने उससे किसी योग्य लकड़हारे का पता पूछा ।

लकड़हारे ने कहा ,”मैं भी एक लकड़हारा ही हूँ बताओ क्या काम है?”

“मैं परीलोक का सेनापति हूँ  परी लोक के राजा को एक लकड़हारे की जरूरत है, क्या तुम मेरे साथ परी लोक चलोगे। ” सेनापति ने कहा ।

Lakadhare Ki Kahani

लकड़हारे को काम की जरूरत थी तो वो परी लोक जाने को राजी हो गया ।

लकड़हारा  जैसे ही राजमहल के बड़े से दरवाजे के पास पहुंचा, तो देखा की महल में शोर हो रहा है, लकड़हारा ने पहरेदार से शोर का कारण पूछा ,पहरेदार ने  लकड़हारे को बताया की कल रात महारानी का हार चोरी हो गया है।

 उसी रात लकड़हारे ने सपने में महारानी की दासी को देखा । सपने में दासी अपने पति को उस हार को दूर शहर में बेच आने को कह रही है । जब लकड़हारे की नींद खुली, तो वो तुरंत राजा के महल में गया और राजा को बताया की आपके दास-दासियों ने ही हार चुराया है।

राजा ने राजमहल के सभी दास और दासियों को बुलाया । जैसे ही लकड़हारे ने उस दासी को देखा जो उसके सपने में आई थी तो वो उसे पहचान गया । उसने राजा को बताया की ये दासी ओर इसका पति चोर है। अपने ऊपर आरोप लगता देख  वो दासी रोने लग गयी ।

दासी को रोता देख रानी को उसपर दया आ गयी । रानी ने गुस्से से कहा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मेरी खास दासी पर आरोप लगाने की, ये आदमी झुठा है इसे अभी कारागार में बंद कर दिया जाय । लकड़हारा डर गया और रानी से कहने लगा,

बच्चो के लिए हिन्दी कहानी

” महारानी आपके इसी भरोसे का इस दासी और इसके पति ने गलत फायदा उठाया है। “

राजा व रानी ने लकड़हरे की बात पे भरोसा न करते हुये उसे कारागार में बंद कर दिया।

लकड़हारा अपने साथ अन्याय होता देख खुद से कहने लगा, भलाई करने गया था क्या से क्या हो गया ।

कारागार के बाहर उसे वही सेनापति मिला । सेनापति ने कहा, “अगर तुम सच्चे हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ।”

“सेनापति जी मैं निर्दोष हूँ, मेरी मदद करो ।” लकड़हरे ने कहा ।

सेनापति ने उसे परी लोक की देवी के बारे में बताया, वो सिर्फ सच्चे इन्सानों की मदद करती है, “अगर तुम सच्चे होगे तो वो जरूर  तुम्हारी मदद को आएगी।” सेनापति ने कहा ।

Lakadhare Ki Kahani– लकड़हारे की कहानी

लकड़हारा आंखे बंद करके परी को याद करने लगा। कुछ ही देर में उसके सामने एक सुंदर सी परी काले कपड़े पहने खड़ी थी । परी के हाथ में एक झाड़ू था ।

“तुम कोन  हो, तुमने मुझे क्यों याद किया।” परी ने लकड़हारे से कहा । लकड़हारे ने परी को सारी बात सुनाई की कैसे वो परी लोक में फस गया । परी ने कहा ,” की मैं तुम्हें ये एक जादुई झाड़ू देती  हूँ। बाकी तुम अपना दिमाग लगाओ की राजा के सामने तुम कैसे असली चोर को पकडवाओगे।” ऐसा कह कर परी गायब हो गयी ।

अब लकड़हारे के पास परी का जादुई झाडू था । ये परी का जादुई झाडू ही अब उसकी कुछ मदद कर सकता था ।       

 सेनापति  ने लकड़हारे से कहा , “सारे चोर रात के अंधेरे में ही चोरी का माल दूसरे राज्य में ले जाते हैं , मेरे पास एक उपाय है । अब हमारे पास परी का जादुई झाडू है जिस की मदद से हम दोनों इसमे बैठ कर उस चोर को पकड़ सकते हैं ।”

Hindi Story For Kidsलकड़हारे की कहानी

वो दोनों झाड़ू में बैठ कर आकाश में उड़ गये , और महल के चारो ओर नजर रखने लगे । लेकिन उस रात उन्हें  कोई भी चोर नहीं मिला ।

अगली रात को वो दोनों चोर को ढूंढने के लिए फिर से उस जादुई झाड़ू में बेठ कर उड़ गए । तभी उनको एक आदमी दिखाई दिया । जो हाथ मे गठरी लिए अंधेरे में  छुप- छुप कर महल के बाहर जा रहा था । दोनों ने बहुत दूर तक उसका पीछा किया , पीछा करते-करते सवेरा हो गया ।

सुबह होते ही लकड़हारे ने उस चोर को पहचान लिया । और सेनापति  को बताया की ये तो वही चोर है जिसने चोरी की है। सेनापति ने उस चोर को दबोच लिया और जादुई झाड़ू में बैठा कर सीधे राजमहल मे पहुच गये ।

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 जब परी का जादुई झाडू लोगों ने देखा तो राज दरबार के सभी लोग हैरान हो गए । सबको यकीन हो गया की लकड़हारा सच्चा है, क्योंकि परी का जादुई झाडू सिर्फ एक सच्चा  इंसान ही प्राप्त कर सकता था । (birds name )

जब गठरी को खोला गया तो उसमे रानी का हार मिला । राजा ने दासी ओर उसके पति को कारागार में डालने के आदेश दिये। राजा ने लकड़हारे की सच्चाई से खुश हो कर उसे राज्य का विशेष सलाहकार बना दिया ।

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Tenaliram short Hindi Story: हीरों का बंटवारा 

तेनालीराम की कहानी

Tenaliram short Hindi Story | राजा के दरबार में पंडित तेनालीरमा कृष्णा नाम का एक कुशल और बुद्धिमान मंत्री था। एक बार दरबार में एक मामला आया कि महाराज के लिए न्याय करना मुश्किल हो गया। इस स्थिति में, तेनालीरमा ने विवेक से काम लिया और राजा की उलझन को हल किया।

ऐसा हुआ कि एक दिन श्यामू नाम का एक व्यक्ति महल में न्याय मांगने आया। राजा ने उससे पूरी बात बताने को कहा जिससे की उसके साथ न्याय किया जा सके। श्यामू ने बताया कि जब वह कल अपने स्वामी के साथ कहीं जा रहा था तो उन्हें रास्ते में एक गठरी मिली जिसमें तीन चमकते हीरे थे।

हीरों का बंटवारा

हीरे को देखकर मैंने कहा कि स्वामी इन हीरों पर राजा का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजखजाने में जमा करा देना चाहिए। यह सुनकर, स्वामी आग बबूला हो गए और कहा कि हीरे के बारे में किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। हम इन्हें आधा आधा कर लेंगे। यह सुनकर में भी लालची हो गया और मैं अपने स्वामी के साथ घर को वापस लौट आया।

अपनी हवेली में पहुँचते ही स्वामी ने मुझे हीरे देने से मना कर दिया और अपनी हवेली से भागा दिया। मेरे साथ अन्याय हुआ है महाराज कृपया मेरे साथ न्याय कीजिये।

श्यामू की व्यथा सुनकर, राजा ने तुरंत उसमे मालिक को दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। श्यामू का स्वामी बहुत दुष्ट व लालची था। जब वह दरबार में आया तो महाराज से बोला कि यह सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन मैंने तो सब हीरे श्यामू को राजकोष में जमा करने के लिए दे दिये थे। श्यामू तो बहुत ही लालची आदमी है इसलिए वो आपके पास आ कर झूठ बोल रहा है।

Tenaliram short Hindi Story

महाराज ने कहा कि क्या प्रमाण है कि तुम सच कह रहे हो। श्यामू के मालिक ने कहा कि आप बाकी नौकरों से पूछ सकते हैं, वे सभी वहाँ मौजूद थे। जब राजा ने साथ के तीनों नौकरों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि मालिक ने तो हीरों से भरी गठरी श्यामू को दे दी थी, जो अभी श्यामू के पास ही होनी चाहिए।

अब राजा को समझ नहीं आया की कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है। राजा ने बैठक समाप्त करने के आदेश दिये और कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुन लिया है लेकिन हम फैसला कुछ समय बाद सुनाएँगे।

राजा ने अपने सभी मंत्रियों को राजकक्ष में आकार अपनी सलाह देने को कहा। कोई बोला कि श्यामू लालची है वही झूठ बोल रहा है, तो किसी ने कहा कि श्यामू का मालिक झूठा है ओर उसके सभी नौकर उसके साथ मिले हुये हैं। राजा ने तेनालीरमा की ओर देखा जो हमेसा की तरह शांत खड़े थे। राजा ने पूछा कि आप क्या सोचते हैं, तेनालीरामा।

तेनालीरामा ने कहा, “महाराज में समस्या का समाधान करता हूँ बस मुझे आप सभी के सहयोग की आवश्यकता है। राजा यह जानने के बहुत उत्सुक थे की कौन झूठ बोल रहा है। महाराज ने कहा बताओ तेनाली हमें क्या करना पड़ेगा। तेनाली ने कहा की आप सभी लोग पर्दे के पीछे छुप जाइए में अभी दूध का दूध और पानी का पानी कर देता हूँ।

Tenali Rama Short Story In Hindi

राजा इस मामले को जल्द से जल्द हल करना चाहते थे , इसलिए महाराज ने सभी को पर्दे के पीछे छुपने के आदेश दिये और सभी मंत्रियों के साथ खुद भी पर्दे के पीछे छिपने के लिए तैयार हो गए ।

अब राज कक्ष मे सिर्फ तेनाली ही खड़े थे बाँकी के सभी लोग पर्दे के पीछे छुप गए थे। उन्होने अपने नौकर से कहा की वह एक-एक करके तीन नौकरों को मेरे पास भेजे। सेवक पहले नौकर को साथ ले आया।

तेनालीरामा ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे स्वामी ने तुम्हारे सामने श्यामू को गठरी दी थी।” नौकर ने हाँ मे जवाब दिया। अब तेनालीरमा ने उसके सामने एक कागज और एक कलाम रख दी और कहा की उस हीरे का चित्र बनाओ। नौकर घबराकर बोला, “जब मालिक ने श्यामू को हीरे दिए, तो वह लाल गठरी में थे।”

तेनालीरामा ने कहा, “ठीक है तुम अब यही खड़े रहो।” इसके बाद, अगले नौकर को बुलाया गया। तेनालीरमा ने दूसरे नौकर से भी वही पूछा, “तुमने जो हीरे देखे हैं उसका एक चित्र बनाओ। ” नौकर ने कागज लिया और उस पर तीन गोल आकृतियाँ बना दीं।

हीरो का बंटवारा – तेनालीराम हिन्दी कहानी

अब तीसरे नौकर से पूछा गया तो उसने कहा, “मैंने हीरे नहीं देखे लेकिन वो हरी रंग की गठरी में थे।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से सबको समझ आ गया है की वो झूठे हैं।

वह राजा के चरणों में गिर गए और कहा कि उसकी कोई गलती नहीं है, लेकिन स्वामी ने उन्हे झूठ बोलने के लिए कहा था अन्यथा उन्हे मारने की धमकी दी थी।

नौकरों की बात सुनकर महाराज ने सैनिकों को मालिक के घर की तलाशी लेने का आदेश दिया। तीनों हीरे खोज के बाद मालिक के घर पर पाए गए। मालिक कि बेईमानी का दंड उसे मिला। राजा ने आदेश दिया की मालिक श्यामू को 1 हजार स्वर्ण मुद्रा देगा और 10 हजार स्वर्ण मुद्रा राजकोष में जुर्माने के रूप मे भरेगा। इस तरह, श्यामू को तेनालीरमा की बुद्धि से न्याय मिला और वह राजा के दरबार से खुशी-खुशी लौटा।

Tenali Rama Short Story In Hindi से हमने क्या सीखा:

इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि अक्सर जैसा हमें दिखाई देता है वैसा नहीं होता है। हमें बस अपनी बुद्धि से काम करने की जरूरत है। 25 फलो के नाम – क्लिक करें

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Kids Stories in Hindi – कबूतर की कहानी

कबूतर की कहानी | गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत शांत रहने वाला बच्चा था। उसको दोस्त बनाना बहुत अच्छा लगता था। पर असल जिंदगी में उसका कोई दोस्त नहीं था।

स्कूल में भी कोई उससे बात नहीं किया करता था। जब वह स्कूल जाता तो बच्चे उसका मजाक बनाते थे और कहते थे कि राजू का कोई दोस्त ही नहीं है। राजू घर जाकर अपनी मम्मी को सारी बातें बताता था।

राजू हमेशा उदास ही रहा करता था। उसकी मम्मी ने एक दिन राजू से कहा, “देखो बेटा राजू तुम परेशान मत हुआ करो, तुम्हारे दोस्त पक्का बन जाएंगे। तुम अपना टिफिन अपने क्लास के बच्चों के साथ बांटो तो तुम्हारे दोस्त खुद बन जाएंगे।“

मम्मी की बात सुनकर राजू खुश हो गया की अब वह कल स्कूल जाएगा और अपना टिफ़िन अपने सहपाठियों के साथ बांटकर खाएगा। जिससे उसके भी बहुत सारे दोस्त बन जाएंगे।  

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राजू ने अगले दिन सुबह अपनी मम्मी से टिफिन में ज्यादा खाना डालने को कहा। राजू स्कूल गया जैसे ही लंचटाइम हुआ, राजू के पास कोई बैठा ही नहीं। सब बच्चे अपने अपने दोस्तों के साथ चल दिए।

राजू उठा और बाहर चला गया। राजू ने थोड़ा सा ही खाना खाया। राजू बहुत उदास हुआ कि उसका कोई दोस्त नहीं बनेगा।

बच्चो के लिए हिन्दी कहानी -कबूतर की कहानी

अचानक उसे आसमान में कबूतर दिखाई दिया। जो उड़कर स्कूल की दीवार पर बैठ गया। राजू ने अपने टिफिन से रोटी निकाली और उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए। रोटी के टुकड़े राजू ने कबूतर के सामने फेंक दिए।

कबूतर पहले तो डर रहे थे। उन्होने देखा राजू कितने प्यार से रोटी को तोड़कर उनके लिए डाल रहा था। कुछ देर बाद एक कबूतर ने चुपके से एक रोटी का टुकड़ा उठा लिया। उसको देख के फिर सारे कबूतरों ने रोटी खाई।

रोज-रोज राजू यही करता। वह स्कूल जाता और घर से कबूतर के लिए भी खाना लाया करता। राजू और कबूतरों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।

एक बार राजू को आसमान में उड़ती हुई चिड़िया दिखाई दी, जो बहुत तेज उड़ रही थी। राजू उसे देखता रहा। जब वह चिड़िया थक गई तो वह पेड़ पर बैठ गई।

उसने अपने मुंह में अपना बच्चा दबा रखा था। राजू हैरान हो गया और उसने अपने दोस्त कबूतरों को बुलाकर यह सब बात बताई।

उनमें से एक कबूतर उड़ कर चिड़िया से सारा हाल पूछने के लिए चल दिया। जब कबूतर राजू के पास आया तो उसने राजू को बताया कि चिड़िया का बच्चा चिड़िया से बहुत जिद करता है कि उसे भी देखना है कि उड़ते हुए कैसा लगता है।

Kabootar Ki Kahani

बच्चा चिड़िया को बहुत परेशान किया करता है। ना वह चिड़िया का लाया हुआ खाना खाता है ना ही उससे प्यार से बात करता है। सिर्फ अपनी ज़िद पर ही अटके रहता है। जिस कारण बेचारी चिड़िया उसे मुंह में दबाकर ही घूमती है।

राजू ने सोचा चिड़िया का बच्चा तो बड़ा जिद्दी है। राजू ने कबूतर से कहा की जाओ चिड़िया को यहां बुला लाओ। मेरे पास एक युक्ति है।

कबूतर चिड़िया को बुलाने उड़ गया। शाम को चिड़िया और कबूतर राजू से मिले राजू ने युक्ति सभी को बताई। सबको राजू की योजना पसंद आई।

युक्ति के तहत उसी शाम चिड़िया अपने बच्चे को मुंह में दबाए उड़ रही थी। वह उड़ते उड़ते एक नदी के किनारे पहुंचने ही वाली थी कि उसके मुंह में दबा उसका बच्चा मुंह से छूट गया।

और नदी में बैठे मगरमच्छ की पीठ पर जा गिरा। मगरमच्छ सोया हुआ था। उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया क्योंकि वह बच्चा बहुत ही छोटा था।

पर गिरते ही वह जोर जोर से रोने लगा। इस वजह से मगरमच्छ की नींद खुल गई। मगरमच्छ ने सोचा आज कुछ तो खाने को मिलेगा। वह हिलने लगा ताकि बच्चा पानी मे गिर जाय।

कबूतर की कहानी – हिन्दी कहानी

चिड़िया का बच्चा और डर गया। इतने में राजू मगरमच्छ के सामने आकर कुछ दूरी बना कर खड़ा हो गया। मगरमच्छ ने कहा, “वाह! कितना बढ़िया दिन है ।आज तो दिन में ही शिकार मिल गया रात को काम नहीं करना पड़ेगा।“

मगरमच्छ अपने ऊपर गिरे चिड़िया के बच्चे को भूल कर राजू की तरफ तेजी से बढ़ने लगा। जैसे ही मगरमच्छ पानी से बाहर आया, तो ऊपर से चिड़िया ने आकर अपने बच्चे को उसकी पीठ से झटपट उठा लिया।

मगरमच्छ राजू का शिकार करना चाहता था। वह राजू के पास पहुंचने ही वाला था कि कबूतरों का बड़ा झुंड वहां अपने मुंह में पत्थर भरकर पहुंच गया। कबूतरों ने अपने मुंह से पत्थरों को मगरमच्छ पर फेंकना शुरू कर दिया।

इतने में मौका देख कर राजू वहां से भाग निकला। चिड़िया अपने बच्चे को घोसले में ले गई। वह बहुत डरा हुआ था। चिड़िया ने अपने बच्चे को समझाया की बच्चों को हमेसा बड़ों का कहना मानना चाहिए।

बड़ों का कहना न मानने से मुसीबत का सामना करना पड सकता है । अब उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी कि ऐसे उड़ना उसके लिए जोखिम भरा है। चिड़िया के बच्चे ने कहा की आज से वो जिद नहीं करेगा । ओर हमेसा अपनी मम्मी का कहना मानेगा। 

चिड़िया राजू के पास आई और बोली तुम्हारी युक्ति काम कर गई मेरा बच्चा अब जब तक खुद उड़ना नहीं सीख जाए तब तक वह घोसले में ही रहेगा। राजू और उसके बहुत सारे कबूतर दोस्तों को बहुत खुशी हुई।

अब राजू को उसके बहुत सारे दोस्त मिल चुके थे। कबूतरों और चिड़िया से राजू की दोस्ती देखकर स्कूल मैं भी उससे सब बच्चे बात करने लगे और बहुत सारे बच्चे राजू के दोस्त बन गए थे।  ( 25 फलो के नाम )

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तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

तेनालीराम की कहानी

परियों का नृत्य | एक बार गोविन्द नाम का एक व्यक्ति राजा के राजदरबार में आया। वह काफी दुबला-पतला सा था। वह दरबार में पहुंचा और राजा से बताया कि वह रूपदेश से आया है और वह दुनिया घुमने के लिए निकला है।

गोविन्द ने राजा से कहा की कई जगह घूमने के बाद वह राजा के दरबार में पहुंचा है।गोविन्द के मुह से यह सुनकर राजा बहुत खुश हुए। तब राजा ने एक विशेष मेहमान के रूप में उसका आदर सत्कार किया।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

गोविन्द को राजा द्वारा सम्मान और इतना सम्मान देते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। उसने राजा से कहा, “महाराज मैं आपको एक एसी जगह के बारे में बताता हूँ जहां बहुत सारी परियाँ रहा करती हैं यहाँ तक की मेरे बुलाने पर वो परियाँ यहाँ भी आ सकती हैं।‘’

जैसे ही महाराज ने यह सुना तो वह बड़े ही उत्साहित हो गए और बोले, “ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है परंतु इसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?

जैसे ही गोविन्द ने यह सुना तो उसने तुरंत महाराज से कहा की महाराज आप आज रात को तालाब के पास आ जाइएगा। मैं वहाँ पर परियों को नृत्य के लिए बुलवाऊंगा। राजा गोविन्द की बात मान गए।

फिर रात होते ही राजा अपने घोड़े पर बैठे और तालाब की ओर चल दिये। वहाँ पास ही एक क़िला था जैसे ही राजा तालाब पर पहुंचे, उन्होंने देखा सामने के किले पर गोविन्द उनका इंतजार कर रहा है।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

राजा उसके पास गए तो गोविन्द ने उनका स्वागत किया और बोला, “महाराज मैंने सारा इंतेज़ाम कर दिया है और सभी परियां किले के अंदर मौजूद हैं।”

जैसे ही राजा और गोविन्द किले के अंदर जाने लगे, तब गोविन्द को वहाँ पर उपस्थित सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ। राजा ने पूछा, “क्या चल रहा है? तुम सब गोविन्द को गिरफ्तार क्यों कर रहे हो?”

तब तेनालीरामा जो किले के भीतर था और बोला, “महाराज मैं जनता हूँ की यहाँ क्या चल रहा है मैं आपको बताता हूँ।“

तेनाली ने कहा, “महाराज, यह गोविन्द कोई यात्री नहीं है, यह एक देश जिसका नाम रूपदेश है उसका रक्षा मंत्री है। यह यहाँ आपको धोखे से मारने आया हुआ है। इस किले में कोई पारियाँ नहीं हैं यह तो इसकी एक चाल थी।“

तेनालीरामा की बातें सुनकर राजा ने उसे अपनी जान बचाने हेतु धन्यवाद दिया और पूछा, ‘’तुम्हें यह कैसे पता चला, तेनाली राम ?’’

तब तेनाली राम बोला कि पहले दिन ही मुझे गोविन्द पर शक हो गया था महाराज। उसके तुरंत बाद मैंने कुछ जासूसों को इसके पीछे लगा दिया था। तभी मुझे इसकी इस घिनौनी योजना का ज्ञान हुआ।

राजा तेनालीराम  से बड़े ही खुश हुए और राजा ने कहा की हम इसके लिए आपके सदा ही आभारी रहेंगे।

Tenali Rama Short Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Short Story से यह पता चलता है कि बिना जांच पड़ताल के कभी भी किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।  ( बच्चो के लिए एजुकेशनल websiteक्लिक करें )

तेनालीराम पर लगा रिश्वत का आरोपपढने के लिए क्लिक करें

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार | तेनालीरामा अपनी बुध्द्धिमनी के कारण राजा को बहुत प्रिय था। महाराज पर आने वाली किसी भी समस्या का हल तेनाली के पास होता था। इसी वजह से महाराज तेनाली को भेट स्वरूप कुछ न कुछ देते रहते थे।

एक बार महाराज ने तेनाली से प्रसन्न होकर उसे 4 हाथी उपहार में दिये। तेनाली महाराज के दिये उपहार को वापस भी नहीं कर सकता था। इसलिए तेनालीराम दुविधा में पड़ गया की वह अब क्या करे।

क्योंकि उसके लिए हाथी को पालना आसान काम नहीं था। तेनाली एक गरीब ब्राह्मण था, ये बात अलग है की महाराज उसे समय-समय पर कुछ न कुछ भेंट स्वरूप दे दिया करते थे।

लेकिन वह चार हाथियों को नहीं पाल सकता था। उसे ज्ञात था की हाथियों को खिलाने के लिए बहुत अनाज की आवश्यकता होती है। उसके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना ही बड़ी समस्या थी।

तेनालीराम की कहानी

लेकिन बिना किसी विरोध के तेनालीरामा हाथियों को राजा का उपहार होने के कारण अपने घर ले आया। तेनालीरामा की पत्नी ने जैसे ही तेनाली को चार हथियों के साथ देखा तो वह चोंक गयी,

और जब उसे पता चला की ये हाथी अब उन्हीं को पालने हैं तो वह बोली की हमारे रहने के लिए तो जगह है नहीं, तुम इन चार हथियों को कहाँ रखोगे।

हमारे पास अपने लिए खाने को तो अनाज होता है नहीं हम इनको क्या खिलाएंगे। यदि महाराज इन चार हाथियों की जगह पर हमें चार गाय देते तो कम से कम हम उनका दूध पीकर अपना गुजारा तो करते।

पत्नी की खरी-खोटी सुनने के बाद तेनाली ने इन हाथियों से छुटकारा पाने की एक योजना बनाई। वह उठा ओर अपनी पत्नी से बोला, “में इन हाथियों का कुछ इंतजाम करता हूँ तुम चिंता मत करो।“

तेनाली हाथियों को अपने साथ काली मंदिर में ले गया। वहाँ जाकर उसने पहले तो सभी हाथियों को तिलक लगाया, फिर सभी हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। और उन्हें वहीं छोड़ आया।

तेनालीराम की कहानी – हाथियों का उपहार

चारों हाथी नगर में घूमने लगे। कुछ भले लोग उन हाथियों को कभी कुछ खाने को दे देते तो कभी वह बेचारे हाथी भूखे ही पड़े रहते ओर लोगों की फसलों को नुकसान पहुँचते।

जल्दी ही हाथी कमजोर हो गए ओर नगरवासी भी अब उन हाथियों से परेशान रहने लगे। हाथियों की ये अवस्था देख कुछ लोग राजा के पास गए ओर उन्होंने तेनाली के हाथियों के बारे में राजा को बताया।

तेनाली द्वारा हाथियों के साथ ऐसा व्यवहार सुन राजा बहुत नाराज हुये उन्होंने तेनाली को राजदरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। जब तेनाली दरबार में आया तो राजा ने तेनाली से पूछा,

“ तुमने हाथियों को नगर में क्यों छोड़ दिया मैंने वो हाथी तुम्हें उपहार स्वरूप दिये थे?”

तेनाली ने महाराज को बताया की उन्होंने हाथी उसे उपहार में दिये थे। वह अगर उन्हें लेने से माना कर देता तो महाराज उस से नाराज भी हो सकते थे।

यह सोचकर उसने उन हाथियों को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन वह उन्हें पाल नहीं सकता, क्योंकि वह एक गरीब ब्रह्मांड है। वह उन चार हाथियों का अतिरिक्त बोझ कैसे उठता।

इसलिए उसने इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। महाराज तेनाली की बात अच्छे से सुन रहे थे की तेनाली बोला,

तेनालीराम की कहानी

“महाराज अब आप ही बताइये अगर आप इन चार हाथियों की जगह मुझे कुछ गाय ही दान में दे देते तो कम से कम उनका दूध पीकर मेरे परिवार का भरण पोषण तो होता।’’

राजा को तेनाली की कही बातें सही लगी और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, की एक गरीब व्यक्ति हाथियों का क्या करेगा? महाराज ने कहा,

“अगर मैं तुम्हें गाय दूंगा तो तूम क्या उनके साथ भी ऐसा ही करोगे।“ तेनाली बोला,

“नहीं महाराज गाय तो एक पवित्र जानवर है उस से मुझे दूध भी मिलेगा, जिसे मेरे बच्चे पीएंगे और में गायों का भरण पोषण भी कर सकता हूँ, गायों को छोड़ने की जगह में तो आपको धन्यवाद दूंगा।“

महाराज ने तुरंत आदेश किया की तेनाली को चार गाय उपहार स्वरूप दी जाए और उन चारों हाथियों को नगर से वापस राज महल लाया जाए।

Tenali Rama Elephant Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Elephant Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए। सुई की जगह कभी तलवार काम नहीं आ सकती और न तलवार की जगह पर सुई से काम बन सकता है|

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Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल | एक गाँव में एक किसान रहता था। वह जानवरों की भाषा समझ सकता था। हर शाम वह अपने खेत में रुकता था, ताकि वह अपने जानवरों को बातचीत करते हुए सुन सके।

एक शाम उसने अपने एक बैल को एक गधे से अपने काम की शिकायत करते हुए सुना।

बैल बोला, “दोस्त, मैं सुबह से लेकर रात तक हल जोतता हूं, कितना भी गर्म दिन हो, मेरे पैर कितने भी थक गए हो, मेरी गर्दन में कितना भी दर्द हो, मैं काम जरूर करता हूं।

लेकिन तुम आराम करते रहते हो, तुम्हारे तो मजे हैं तुम तो एक रंगीन कंबल में लिपटे रहते हो, मालिक के साथ इधर उधर जाने के अलावा कुछ नहीं करते हो और सारा दिन हरी घास खाते हो।”

यह गधा आलसी होने के बावजूद बैल का एक अच्छा दोस्त था। उसे बैल से सहानुभूति थी।

Moral story in Hindi

गधा बैल से बोला, “मेरे अच्छे दोस्त, तुम बहुत मेहनत करते हो और मैं तुम्हें आराम दिलाना चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम आराम कर सको।

सुबह जब किसान का नौकर तुम्हें काम पर ले जाने के लिए आए, तो ऐसे आवाज करना मानो तुम बीमार हो और काम नहीं कर सकते।”

किसान दोनों की बातें सुन रहा था। और उसे गधे के द्वारा दिये गए उपाय का पता चल गया था। बैल ने गधे की सलाह मान ली और अगली सुबह जब नौकर आया तो बैल ने बीमार होने का नाटक किया।

नौकर किसान के पास गया और किसान के पास पहुंच कर बताया कि बैल बीमार है और खेत नहीं जोत सकता है। किसान को तो इस बात का पहले से पता था की बैल आज बहाना करने वाला है।

किसान ने कहा, “बैल बीमार है तो गधे को खेत में ले जाओ और उससे खेत को जोतो।”

Kids Stories In Hindi – आलसी गधा और बैल

नौकर गधे को अपने साथ खेत में ले गया और पूरा दिन उसने गधे से खेत जुतवाया। गधे की मंशा दोस्त की मदद करने की थी। उलटा उसी को अपने दोस्त का काम करना पढ़ गया।

जब रात आई और उसे हल से आजाद किया गया, उसका दिल कड़वाहट सा भर गया था। गधे के पैर थके हुए थे और उसकी गर्दन हल के कारण सूज गई थी।

बैल ने आज दिन भर आराम किया था। वह गधे को देख कर खुशी से बोला, “तुम मेरे अच्छे दोस्त हो, तुम्हारी सलाह के कारण आज मैं 1 दिन आराम कर पाया।”

गधा बहुत थका हुआ था उसने गुस्से से जवाब दिया, “और में अपने दोस्त की मदद करने चला था और उसका काम करने पर मजबूर हो गया।

आज से तुम ही हल जोतना क्योंकि मैंने मालिक को अपने नौकर को यह बोलते सुना है की अगर बैल फिर बीमार हुए तो वह बैल को खाना नहीं देंगे। मैं तो यही चाहता हूं कि वह तुम्हें खाना न दें क्योंकि तुम बहुत ही आलसी हो।”

गधे के मुंह से एसी कड़वी बाते सुन बैल को भी गुस्सा आ गया। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे से कभी बात नहीं की। यहां उनकी दोस्ती का अंत हो गया था।

इस कहानी से हमने क्या सीखा:

Moral Stories For Children In Hindi से यह सीख मिलती है  की अगर तुम अपने दोस्त की मदद करना चाहो तो, मदद इस तरीके से करो की दोस्त का भार तुम पर न आए। 

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तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी | एक बार राजा के दरबार में एक बहेलिया आया। राजा ने बहेलिया को देखा तो वह बहुत खुश हुए, क्योंकि राजा जानवरों और पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे और बहेलिये ने उनके दरबार में एक रंगीन सुंदर पक्षी लाकर सबको खुश कर दिया था।

जैसे ही बहेलिया दरबार में पहुँचा, बहेलिया ने कहा, “महाराज, मैंने इस सुंदर और विचित्र पक्षी को जंगल से कल ही पकड़ा है। इसकी आवाज बहुत ही सुरीली है और यह तो तोते की तरह बात कर सकता है।

महाराज यह मोर की तरह नृत्य भी कर सकता है। आपके जानवरों और पक्षियों के प्रति प्रेम की बात मैंने सुनी थी, इसलिए मैं इस पक्षी को बिक्री के लिए आपके पास ले आया।‘’

महाराज बहुत खुश हुए और कहा, ‘’यह पक्षी सुंदर दिखता है। मुझे इसे अवश्य खरीदना है और इसके बदले मैं आपको उचित मूल्य भी दूंगा।”

यह कहते हुए राजा ने बहेलिया को 25 सिक्के दिए और यह आदेश हुआ की पक्षी अब शाही बगीचे में ही रहेगा।

यह देखकर तेनालीरामा शांत नहीं रह सका और उसने उठकर कहा, “मुझे लगता है कि इस पक्षी ने कई सालों से स्नान भी नहीं किया है। महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी मोर की तरह नाच सकता है।“

तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

यह सुनकर बहेलिया घबरा गया और उदास मुंह बनाते हुए बोला, ‘’राजन, मैं बहुत गरीब परिवार से आता हूँ। पक्षियों को पकड़कर और उन्हें बेचकर ही मैं अपने परिवार को चलता हूँ।

मैं जितना जानवरों और पक्षियों को जानता हूं उसे किसी भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और न ही उस पर कोई संदेह किया जाना चाहिए।

हाँ मैं गरीब तो हूँ, लेकिन मुझे झूठा बतलाकर तेनालीरामा जी मेरा और मेरी काबिलीयत का अपमान कर रहे हैं।“

बहेलिया की बातें सुन कर महाराज तेनाली पर नाराज हो गए और बोले, “तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है? तुम पहले अपनी बात साबित कर के दिखाओ।“

तब तेनाली ने कहा, “महाराज, मैं इसे साबित कर सकता हूं।” तेनाली एक पात्र में पानी लाया और उसे पक्षी पर डाल दिया जो पिंजरे में बंद था। जैसे ही यह हुआ, दरबार में बैठे सभी लोग स्तंभित हो गए और पक्षी को देखने लगे।

जैसे ही राजा ने भी पक्षी को देखा तो वो भी अचरज में पड़ गए। जैसे ही तेनालीरामा ने पक्षी पर पानी डाला, उस पर से सारा रंग बह गया। वह पक्षी पिंजरे में बंद था और पक्षी हल्के भूरे रंग का हो गया।

Tenaliram ki kahani : तेनालीराम की कहानी

राजा हैरान हो गए। तेनाली ने जल्दी से राजा से कहा कि “महाराज, यह कोई अनोखा पक्षी नहीं बल्कि एक जंगली कबूतर ही है’’।

तेनाली से महाराज ने पूछा, “इस पक्षी पर रंग किया गया है इस बात का ज्ञान तुम्हें कैसे हुआ तेनाली?” तेनाली ने कहा,

“महाराज जब मैंने बहेलिये के नाखूनों को देखा तो उनका रंग इस पक्षी के रंग से मिल रहा था। बहेलिया के नाखून और पक्षी का रंग एक समान है। इससे मुझे पता चला की ये रंग तो बहेलिये ने ही पक्षी पर रंगा हुआ है।”

बहेलिया यह सब देखकर घबरा गया और भागने लगा पर उसे पकड़ लिया गया। राजा ने उसे बंधक बनाने का आदेश दिया।

उस बहेलिया को जो 25 सोने के सिक्के दिये गए थे, अब वही सिक्के महाराज ने खुश हो कर तेनालीरामा को दे दिये।

Thenali Raman Story से हमने क्या सीखा:

इस Thenali Raman Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें भावनाओं में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कोई भी असामान्य बात होने पर उसकी जांच पड़ताल किए बिना उसे सत्य नहीं मानना चाहिए।

बुद्धिमान हाथी की कहानी- Hindi Story For Kids

Hindi story

बुद्धिमान हाथी की कहानी – Hindi Story For Kids

एक जंगल में एक हाथी अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह हाथी अपने पूरे परिवार के साथ एक जंगल से दूसरे जंगल को जा रहा था । रास्ते में हाथी को एक चमकती हुई चीज दिखाई दी । हाथी के मन में विचार आया कि आखिर यह चीज क्या है जो इतना चमक रही है।

हाथी अपनी धुन में मगन उस चीज की तरफ बढ़ता चला गया। जिस वजह से वह अपने परिवार से अलग हो गया। जैसी ही हाथी चमकती हुई चीज के पास पहुंचा तो वह कुछ और नहीं बल्कि एक कील थी, जो सूरज की रोशनी पढ़ने से इतना चमक रही थी। गलती से हाथी का पैर उस कील के ऊपर पड़ गया और वह कील हाथी के पैर में घुस गई ।

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जिस वजह से हाथी के पैर से खून ही खून बहने लगा। हाथी का पूरा परिवार काफी दूर निकल चुका था। अब हाथी किसी से मदद भी नहीं मांग सकता था। कुछ ही देर में अंधेरा हो गया। बेचारा हाथी रात भर वहीं बैठ कर दर्द के मारे कराहता रहा । जब तक हाथी के परिवार को पता चलता कि छोटा हाथी उनसे अलग हो चुका है तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

Hindi Story For Kids

अंधेरा काफी हो गया था इस वजह से वह अपने छोटे हाथी को नहीं ढूंढ पाए। अगली सुबह एक बूढ़ा दंपति उस रास्ते से गुजरा तो उन्होंने देखा कि एक हाथी का बच्चा लेटा हुआ है जिसके पैर से खून ही खून निकल रहा है।उन्होंने जैसे-तैसे हाथी के पास जाने की हिम्मत की । उन्होंने देखा छोटे हाथी का पैर सूजा हुआ है और एक मोटी सी कील हाथी के पैर में चुभी हुई है।

बूढ़े आदमी ने फटाफट से उस कील को निकाला और जैसे ही हाथी के पैर से कील निकली तो खून बहने लगा। इसके साथ ही हाथी का दर्द कुछ कम हुआ और उसे होश आने लगा। बूढ़े दंपति को देखकर हाथी थोड़ा सा डर गया लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकता था। क्योंकि उसके पैर में दर्द हो रहा था और वह समझ चुका था कि यह बूढ़ा दंपति ही उसकी मदद कर सकता है ।

हाथी के पैर से बहते हुए खून को रोकने के लिए बूढ़ी औरत ने घाव को पानी से धोकर साफ कपड़े से बांध दिया ।इतनी देर में हाथी का परिवार हाथी को ढूंढते हुए वहां पहुंच गया । हाथियों के एक झुंड को अपनी तरफ आता देख बूढ़ा दंपत्ति डर गया। वह समझ चुके थे कि यह हाथी का ही परिवार है इसलिए वह छोटे हाथी को वहीं छोड़ अपने घर की ओर चल दिए।

Hathi Ki Kahani

जैसे जैसे समय बीतता गया बूढ़ा दंपति इस घटना को भूल चुका था । जिस गांव में यह बूढ़ा दंपति रहता था वहां का जमीदार बहुत ही दुष्ट था। यह जमीदार पूरे गांव से कर वसूली किया करता था। जो भी परिवार कर नहीं दे पाता था जमीदार जबरदस्ती उनके खाने का अनाज भी अपने साथ ले जाता था ।
बूढ़ा दंपत्ति अब बीमार रहने लगा था। जिस वजह से वह अपने हिस्से का कर नहीं दे सके। इसलिए जमीदार उनके खाने का अनाज अपने साथ ले गया।एक दिन बूढ़ा दंपति जब सुबह उठा तो उनके घर के आगे एक अनाज की बोरी रखी हुई थी।

बूढ़े दंपति को यह समझ नहीं आया कि यह अनाज की बोरी कहां से आई होगी चूंकि दंपति के पास खाने के लिए अनाज की कमी थी इसलिए उन्होंने उस बोरी को अपने पास रख लिया।अब गांव में यह शोर होने लगा कि जमींदार के घर से अनाज की एक बोरी कोई उठा ले गया है।

अगले सुबह फिर से बूढ़े दंपति को अपने घर के बाहर एक चीनी की बोरी रखी हुई मिली। इस बार भी यह चीनी की बोरी जमींदार के घर से ही चुराई गई थी। अब बूढ़े दंपति को पूरा यकीन हो गया कि कोई जमींदार के घर से अनाज चोरी करके उनके घर के बाहर रख कर जाता है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा कौन और क्यों कर रहा है। बुद्धिमान हाथी की कहानी

बुद्धिमान हाथी की कहानी

यह जानने के लिए उन्होंने अब रात भर जागकर पहरेदारी करने की ठानी । जैसे ही रात हुई तो उन्होंने देखा कि एक हाथी अपनी सूंड में गन्ने दबा कर लाया और उनके दरवाजे पर रख दिए। हाथी ने भी बूढ़े दंपति को देख लिया और वह उन्हीं के सामने बैठ गया बूढ़ा दंपति उस हाथी को देखकर डर गए।

दंपति को डरता देख हाथी ने अपना पांव आगे बढ़ा दिया जिस पर एक बड़े से घाव का निशान था इस घाव को देखकर बूढ़े दंपति को वह घटना याद आ गई जब उन्होंने एक छोटे हाथी के पैर से कील निकाली थी। बूढ़ा दंपति समझ गया कि यह वही छोटा हाथी है जो अब बड़ा हो गया है और उनकी मदद इसलिए कर रहा है क्योंकि उन्होंने उसकी मदद की थी ।

बूढ़ा दंपति हाथी को पहचान गया । वह हाथी के पास गए तो हाथी ने उन दोनों को सूंड से उठाकर अपनी पीठ में बैठा लिया । इतनी ही देर में जमींदार व उसके आदमी हाथी के पीछे पीछे बूढ़े दंपति के घर पहुंच गए। जमींदार और उसके आदमियों ने हाथी को अपने काबू में करने की कोशिश की लेकिन हाथी ने अपनी सूंड से सब को उठा कर फेंक दिया।

जिससे जमींदार व उसके आदमियों के हाथ पैर टूट गए। जमीदार जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया । अब गांव में सब को पता चल गया कि हाथी बूढ़े दंपति की मदद करता है और अब जमीदार ने गांव के लोगों को परेशान करना बंद कर दिया।

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मुर्गी के अंडे और बिल्ली |Hindi story for children

मुर्गी के अंडे और बिल्ली |Hindi story for children

मुर्गी के अंडे और बिल्ली |एक बार एक मुर्गी ने बारह अंडे दिए थे | वह रोज़ अपने लिए दाना खोजने जाती थी | एक दिन जब वह दाना खोज कर वापस आयी, तो वहां पर केवल दस अंडे ही बचे थे | उसने हर जगह अपने खोये हुए अंडो को ढूँढा, लेकिन उसके अंडे नहीं मिले | वह दोबारा अपने अंडो को गिनने लगी |लेकिन उसने देखा दो अंडे कम ही थे | मुर्गी बहुत उदास हो गई |

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वह मुर्गे को बताने के लिए बाड़े से बाहर गई | मुर्गा सुनकर बहुत उदास हो गया | मुर्गा और मुर्गी दोनों यह नही जानते थे कि उनके अंडे एक बिल्ली ने चुराए थे | उनके बाड़े के कोने में एक बिल्ली रहती थी, जो उनके अंडो के इंतज़ार में छिप कर बैठी रहती थी | अगले दिन जैसे ही मुर्गी दाने की तलाश में बाहर गई, वैसे ही बिल्ली बाहर आयी और एक अंडा चुरा कर फिर से कोने में छिप गई | बिल्ली को मुर्गी से सावधान रहना पड़ता था | वह मुर्गी के जाने पर चुप चाप अंडा चुरा कर खा लेती, और मुर्गी के आने से पहले ही अपनी जगह पर आकर छुप जाती |

मुर्गी ने वापस आ कर देखा, तो फिर से अंडे गिनती में कम निकले | अब मुर्गी को चिंता होने लगी कि उसके अंडे आखिर जा कहाँ रहे हैं? उसने मुर्गे से पूछा, कि हमारे अंडे कहाँ गायब हो रहे हैं? मुर्गा बहुत आलसी था | उसने मुर्गी की बात पर कोई ध्यान नही दिया और बहाना बनाकर वसेहां चला गया | मुर्गी ने खोजबीन करना शुरू किया कि उसके अंडे कौन चुराता है |

मुर्गी के अंडे और बिल्ली

कुछ दिनों बाद उसे पता चला कि उसके बाड़े के भीतर एक बिल्ली है जो रोज़ उसके अंडे चुरा लेती है | अगली सुबह मुर्गी जान बूझकर दाना चुगने बाहर चली गई | मौका पाते ही बिल्ली अंदर आ गई | वह और अंडे खाना चाहती थी | उसने जैसे ही अंडा उठाया और खाने की कोशिश की, वह अंडा उसके गले में फंस गया | दरअसल मुर्गी ने अंडे की जगह संगमरमर का टुकड़ा वहां रख दिया था |

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बिल्ली ने संगमरमर के टुकड़े को अंडा समझ कर निगल लिया था | बिल्ली का गला दुखने लगा उसने फ़ौरन वह टुकड़ा अपने मुँह से बाहर थूक दिया | बिल्ली घबरा गई और वह अपनी जान बचा कर वहां से भाग गई और फिर कभी वापस नहीं आई |अब मुर्गी और उसके बचे हुए अंडे सुरक्षित थे | मुर्गी ने अपनी सूझ बूझ से अपने अंडो को बचा लिया था |

आलसी लोमड़ी |

आलसी लोमड़ी गर्मियों का मौसम चल रहा था |बारिश ना होने की वजह से जंगल के सारे नदी तालाब सूख गए थे, इसलिए सभी | जानवर परेशान थे | प्यास के कारण उनकी हालत ख़राब हो रही थी | वे सभी जानवर पानी कि तलाश में निकल पड़े | काफ़ी ढूंढ़ने के बाद उन्हें एक नदी मिली | लेकिन वह नदी इतनी ज़्यादा बड़ी नहीं थीं कि उसमे से सारे जानवर पानी पी सकें | इसलिए सभी जानवरो ने फैसला किया कि वे सभी मिलकर उस नदी को ओर गहरा खोदेगें ताकि उसे बड़ा किया जा सकें और सभी जानवर उस नदी से पानी पी सकें |

आलसी लोमड़ी | लोमड़ी की कहानी

सभी जानवर एक साथ नदी खोदने के लिए तैयार थे, लेकिन एक लोमड़ी थी जो बड़ी आलसी थी | उसने नदी खोदने के लिए साफ मना कर दिया था | उसके मना करने पर सभी जानवरो ने कहा कि लोमड़ी को नदी से पानी नहीं पीने दिया जाएगा,क्योंकि उसने नदी खुदवाने से मना कर दिया है |फिर नदी की रखवाली के लिए कुछ जानवर लगा दिए गए, ताकि वे लोमड़ी को वहां आने से रोक सकें | काम करने के बाद सभी जानवर अपने घरों को चले गए | एक खरगोश को नदी की रखवाली के लिए छोड़ दिया गया था |

लोमड़ी सभी जानवरों के जाने के इंतज़ार में थी |जैसे ही सभी जानवर वहां से गए, वह नदी के पास पहुँच गयी | उसने खरगोश को “हाय “बोला और अपनी जेब से शहद के छत्ते का एक टुकड़ा निकल लिया |फिर वह बड़े मज़े से शहद खाने लगा |उसको शहद खाता देख खरगोश के मुँह में पानी आ गया |लोमड़ी बोली,”यह शहद तो पानी पीने से कहीं बेहतर है |अगर इसे खा लो, तो प्यास ही नही लगती |”यह सुनकर खरगोश लोमड़ी के पास जाकर बोलता है,”क्या मैं भी यह शहद खा सकता हूँ, जिसे खाकर प्यास ही नही लगती है?” लोमड़ी बोली, “हाँ -हाँ! क्यों नहीं, तुम भी खाओ |”यह कहकर लोमड़ी ने खरगोश को शहद के छत्ते का टुकड़ा चखाया |खरगोश को शहद का स्वाद बहुत अच्छा लगा |इसके बाद खरगोश उससे और शहद मांगने लगा |

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बच्चो के लिए हिन्दी कहानी

लोमड़ी बोली,”तुम अपने पंजे पीछे की ओर बाँध कर ज़मीन पर लेट जाओ | मैं शहद को तुम्हारे मुँह में टपका दूंगा |” खरगोश शहद खाना चाहता था, इसलिए उसने ऐसा ही किया | जैसे ही खरगोश नीचे लेटा, लोमड़ी उसी समय नदी के पास गयी और भरपेट पानी पी कर भाग गया |जब दूसरे जानवर वहां आये, तो उन्होंने देखा कि खरगोश ज़मीन पर लेटा हुआ है और उसके पंजे पीछे की ओर बंधे हैँ | उसकी हालत देख कर सब चौंक गए |उसने सबको बताया कि लोमड़ी कैसे उसे बेवक़ूफ़ बना कर पानी पी कर भाग गया |

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यह सुनकर जानवरों को गुस्सा आ गया | उन्होंने खरगोश को खूब डांटा, “तुम उस चालाक लोमड़ी की बातो में कैसे आ गए?” वह शहद का लालच देकर तुम्हे बेवक़ूफ़ बना गई | “अब से तुम रखवाली नहीं करोगे, ये काम हम किसी और जानवरों को देंगे |” इसके बाद रखवाली का काम एक बन्दर को सौंपा गया |लोमड़ी में उसे भी अपनी बातो में फंसा लिया, और फिर से पानी पी कर भाग गया |जब जानवर  वापस आये,तो उन्हें पता चला कि लोमड़ी दूसरी बार भी नदी से पानी पी कर भाग गई और बन्दर को बेवकूफ बना दिया, तो उन्होंने रखवाली का काम एम कछुए को दिया |

रखवाली के लिए चुना गया कछुआ

जब लोमड़ी नदी के पास आयी, तो उसने देखा कि आज रखवाली के लिए कछुआ बैठा हुआ था | लोमड़ी कछुए को इधर उधर की बाते सुनाने लगा |कछुए को बातें सुनने में मज़ा आ रहा था |लोमड़ी जानती थी कि कछुए को कहानी सुनते सुनते सोने की आदत है |इसलिए वह उसे कहानी सुनाने लगा |कछुआ कहानी सुनने में मगन हो गया और थोड़ी ही देर में सो गया |जैसे ही कछुआ सोया, लोमड़ी नदी की ओर पानी पीने के लिए भागी | जैसे ही वह भागी, कछुए ने लोमड़ी की टांग अपने मुँह में दबा ली |

दरअसल कछुआ सोया नहीं था वह सोने का नाटक कर रहा था | तभी सारे जानवर वहां आ गए |सबने मिलकर लोमड़ी कि खूब पिटाई की | लेकिन बाद में एक दयालु मैना के कहने पर लोमड़ी को माफ़ कर दिया गया |लोमड़ी ने सभी से माफ़ी मांगी और मेहनत करने की कसम खायी |अब वह आलसी नहीं रह गई थी |