तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार | तेनालीरामा अपनी बुध्द्धिमनी के कारण राजा को बहुत प्रिय था। महाराज पर आने वाली किसी भी समस्या का हल तेनाली के पास होता था। इसी वजह से महाराज तेनाली को भेट स्वरूप कुछ न कुछ देते रहते थे।

एक बार महाराज ने तेनाली से प्रसन्न होकर उसे 4 हाथी उपहार में दिये। तेनाली महाराज के दिये उपहार को वापस भी नहीं कर सकता था। इसलिए तेनालीराम दुविधा में पड़ गया की वह अब क्या करे।

क्योंकि उसके लिए हाथी को पालना आसान काम नहीं था। तेनाली एक गरीब ब्राह्मण था, ये बात अलग है की महाराज उसे समय-समय पर कुछ न कुछ भेंट स्वरूप दे दिया करते थे।

लेकिन वह चार हाथियों को नहीं पाल सकता था। उसे ज्ञात था की हाथियों को खिलाने के लिए बहुत अनाज की आवश्यकता होती है। उसके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना ही बड़ी समस्या थी।

तेनालीराम की कहानी

लेकिन बिना किसी विरोध के तेनालीरामा हाथियों को राजा का उपहार होने के कारण अपने घर ले आया। तेनालीरामा की पत्नी ने जैसे ही तेनाली को चार हथियों के साथ देखा तो वह चोंक गयी,

और जब उसे पता चला की ये हाथी अब उन्हीं को पालने हैं तो वह बोली की हमारे रहने के लिए तो जगह है नहीं, तुम इन चार हथियों को कहाँ रखोगे।

हमारे पास अपने लिए खाने को तो अनाज होता है नहीं हम इनको क्या खिलाएंगे। यदि महाराज इन चार हाथियों की जगह पर हमें चार गाय देते तो कम से कम हम उनका दूध पीकर अपना गुजारा तो करते।

पत्नी की खरी-खोटी सुनने के बाद तेनाली ने इन हाथियों से छुटकारा पाने की एक योजना बनाई। वह उठा ओर अपनी पत्नी से बोला, “में इन हाथियों का कुछ इंतजाम करता हूँ तुम चिंता मत करो।“

तेनाली हाथियों को अपने साथ काली मंदिर में ले गया। वहाँ जाकर उसने पहले तो सभी हाथियों को तिलक लगाया, फिर सभी हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। और उन्हें वहीं छोड़ आया।

तेनालीराम की कहानी – हाथियों का उपहार

चारों हाथी नगर में घूमने लगे। कुछ भले लोग उन हाथियों को कभी कुछ खाने को दे देते तो कभी वह बेचारे हाथी भूखे ही पड़े रहते ओर लोगों की फसलों को नुकसान पहुँचते।

जल्दी ही हाथी कमजोर हो गए ओर नगरवासी भी अब उन हाथियों से परेशान रहने लगे। हाथियों की ये अवस्था देख कुछ लोग राजा के पास गए ओर उन्होंने तेनाली के हाथियों के बारे में राजा को बताया।

तेनाली द्वारा हाथियों के साथ ऐसा व्यवहार सुन राजा बहुत नाराज हुये उन्होंने तेनाली को राजदरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। जब तेनाली दरबार में आया तो राजा ने तेनाली से पूछा,

“ तुमने हाथियों को नगर में क्यों छोड़ दिया मैंने वो हाथी तुम्हें उपहार स्वरूप दिये थे?”

तेनाली ने महाराज को बताया की उन्होंने हाथी उसे उपहार में दिये थे। वह अगर उन्हें लेने से माना कर देता तो महाराज उस से नाराज भी हो सकते थे।

यह सोचकर उसने उन हाथियों को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन वह उन्हें पाल नहीं सकता, क्योंकि वह एक गरीब ब्रह्मांड है। वह उन चार हाथियों का अतिरिक्त बोझ कैसे उठता।

इसलिए उसने इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। महाराज तेनाली की बात अच्छे से सुन रहे थे की तेनाली बोला,

तेनालीराम की कहानी

“महाराज अब आप ही बताइये अगर आप इन चार हाथियों की जगह मुझे कुछ गाय ही दान में दे देते तो कम से कम उनका दूध पीकर मेरे परिवार का भरण पोषण तो होता।’’

राजा को तेनाली की कही बातें सही लगी और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, की एक गरीब व्यक्ति हाथियों का क्या करेगा? महाराज ने कहा,

“अगर मैं तुम्हें गाय दूंगा तो तूम क्या उनके साथ भी ऐसा ही करोगे।“ तेनाली बोला,

“नहीं महाराज गाय तो एक पवित्र जानवर है उस से मुझे दूध भी मिलेगा, जिसे मेरे बच्चे पीएंगे और में गायों का भरण पोषण भी कर सकता हूँ, गायों को छोड़ने की जगह में तो आपको धन्यवाद दूंगा।“

महाराज ने तुरंत आदेश किया की तेनाली को चार गाय उपहार स्वरूप दी जाए और उन चारों हाथियों को नगर से वापस राज महल लाया जाए।

Tenali Rama Elephant Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Elephant Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए। सुई की जगह कभी तलवार काम नहीं आ सकती और न तलवार की जगह पर सुई से काम बन सकता है|

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