आलसी लोमड़ी |

आलसी लोमड़ी गर्मियों का मौसम चल रहा था |बारिश ना होने की वजह से जंगल के सारे नदी तालाब सूख गए थे, इसलिए सभी | जानवर परेशान थे | प्यास के कारण उनकी हालत ख़राब हो रही थी | वे सभी जानवर पानी कि तलाश में निकल पड़े | काफ़ी ढूंढ़ने के बाद उन्हें एक नदी मिली | लेकिन वह नदी इतनी ज़्यादा बड़ी नहीं थीं कि उसमे से सारे जानवर पानी पी सकें | इसलिए सभी जानवरो ने फैसला किया कि वे सभी मिलकर उस नदी को ओर गहरा खोदेगें ताकि उसे बड़ा किया जा सकें और सभी जानवर उस नदी से पानी पी सकें |

आलसी लोमड़ी | लोमड़ी की कहानी

सभी जानवर एक साथ नदी खोदने के लिए तैयार थे, लेकिन एक लोमड़ी थी जो बड़ी आलसी थी | उसने नदी खोदने के लिए साफ मना कर दिया था | उसके मना करने पर सभी जानवरो ने कहा कि लोमड़ी को नदी से पानी नहीं पीने दिया जाएगा,क्योंकि उसने नदी खुदवाने से मना कर दिया है |फिर नदी की रखवाली के लिए कुछ जानवर लगा दिए गए, ताकि वे लोमड़ी को वहां आने से रोक सकें | काम करने के बाद सभी जानवर अपने घरों को चले गए | एक खरगोश को नदी की रखवाली के लिए छोड़ दिया गया था |

लोमड़ी सभी जानवरों के जाने के इंतज़ार में थी |जैसे ही सभी जानवर वहां से गए, वह नदी के पास पहुँच गयी | उसने खरगोश को “हाय “बोला और अपनी जेब से शहद के छत्ते का एक टुकड़ा निकल लिया |फिर वह बड़े मज़े से शहद खाने लगा |उसको शहद खाता देख खरगोश के मुँह में पानी आ गया |लोमड़ी बोली,”यह शहद तो पानी पीने से कहीं बेहतर है |अगर इसे खा लो, तो प्यास ही नही लगती |”यह सुनकर खरगोश लोमड़ी के पास जाकर बोलता है,”क्या मैं भी यह शहद खा सकता हूँ, जिसे खाकर प्यास ही नही लगती है?” लोमड़ी बोली, “हाँ -हाँ! क्यों नहीं, तुम भी खाओ |”यह कहकर लोमड़ी ने खरगोश को शहद के छत्ते का टुकड़ा चखाया |खरगोश को शहद का स्वाद बहुत अच्छा लगा |इसके बाद खरगोश उससे और शहद मांगने लगा |

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लोमड़ी बोली,”तुम अपने पंजे पीछे की ओर बाँध कर ज़मीन पर लेट जाओ | मैं शहद को तुम्हारे मुँह में टपका दूंगा |” खरगोश शहद खाना चाहता था, इसलिए उसने ऐसा ही किया | जैसे ही खरगोश नीचे लेटा, लोमड़ी उसी समय नदी के पास गयी और भरपेट पानी पी कर भाग गया |जब दूसरे जानवर वहां आये, तो उन्होंने देखा कि खरगोश ज़मीन पर लेटा हुआ है और उसके पंजे पीछे की ओर बंधे हैँ | उसकी हालत देख कर सब चौंक गए |उसने सबको बताया कि लोमड़ी कैसे उसे बेवक़ूफ़ बना कर पानी पी कर भाग गया |

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यह सुनकर जानवरों को गुस्सा आ गया | उन्होंने खरगोश को खूब डांटा, “तुम उस चालाक लोमड़ी की बातो में कैसे आ गए?” वह शहद का लालच देकर तुम्हे बेवक़ूफ़ बना गई | “अब से तुम रखवाली नहीं करोगे, ये काम हम किसी और जानवरों को देंगे |” इसके बाद रखवाली का काम एक बन्दर को सौंपा गया |लोमड़ी में उसे भी अपनी बातो में फंसा लिया, और फिर से पानी पी कर भाग गया |जब जानवर  वापस आये,तो उन्हें पता चला कि लोमड़ी दूसरी बार भी नदी से पानी पी कर भाग गई और बन्दर को बेवकूफ बना दिया, तो उन्होंने रखवाली का काम एम कछुए को दिया |

रखवाली के लिए चुना गया कछुआ

जब लोमड़ी नदी के पास आयी, तो उसने देखा कि आज रखवाली के लिए कछुआ बैठा हुआ था | लोमड़ी कछुए को इधर उधर की बाते सुनाने लगा |कछुए को बातें सुनने में मज़ा आ रहा था |लोमड़ी जानती थी कि कछुए को कहानी सुनते सुनते सोने की आदत है |इसलिए वह उसे कहानी सुनाने लगा |कछुआ कहानी सुनने में मगन हो गया और थोड़ी ही देर में सो गया |जैसे ही कछुआ सोया, लोमड़ी नदी की ओर पानी पीने के लिए भागी | जैसे ही वह भागी, कछुए ने लोमड़ी की टांग अपने मुँह में दबा ली |

दरअसल कछुआ सोया नहीं था वह सोने का नाटक कर रहा था | तभी सारे जानवर वहां आ गए |सबने मिलकर लोमड़ी कि खूब पिटाई की | लेकिन बाद में एक दयालु मैना के कहने पर लोमड़ी को माफ़ कर दिया गया |लोमड़ी ने सभी से माफ़ी मांगी और मेहनत करने की कसम खायी |अब वह आलसी नहीं रह गई थी |