कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी |

कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी

एक कबूतर मस्ती से अपने लिए दाना तलाश कर रहा था |दाना ढूंढते ढूंढते वह थक गया और बैठ कर आराम करने लगा |तभी उसे एक लोमड़ी के आने की आहट हुई |वह एकदम उड़ कर पेड़ की डाली पर बैठ गया |अब लोमड़ी उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकती थी |लोमड़ी  अपने शिकार कबूतर को देख कर मुस्कुराई और बोली, कबूतर भाई! मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है |पेड़ से नीचे उतरो मैं तुम्हे वो अच्छी खबर सुनाता हूँ |

कबूतर जानता था कि वह लोमड़ी उसका शिकार करके उसको खाना चाहती है |वह लोमड़ी से बोला, मैं जानता हूँ तुम मीठी मीठी बाते करके मुझे अपना शिकार बनाना चाहते हो |जैसे ही मै पेड़ से नीचे आऊंगा तुम मुझे पकड़ कर कहा जाओगे |मुझे तुम पर यकीन नहीं है, चालक लोमड़ी! मुझे यही से बताओ कि क्या खुशखबरी है? मैं पेड़ से नहीं उतरूँगा | कबूतर ने पेड़ पर बैठे बैठे ही कहा |लोमड़ी बोली, अच्छी खबर ये है कि कबूतर और लोमड़ी अब से दोस्त बन कर रहेंगे, अब कोई भी लोमड़ी किसी कबूतर को मार कर नहीं खाया करेगी |

अब बताओ क्या ये अच्छी खबर नहीं है |अब तो नीचे आ जाओ कबूतर दोस्त | कबूतर बोला,” लोमड़ी दीदी!मैं बेवक़ूफ़ नहीं हूँ |ऐसा किसने और कब बोला है? जिसने भी यह बोला है पहले तुम उसे अपने साथ लेकर आओ |तब ही मैं तुम्हारी बात मानूंगा |लोमड़ी बोली, “कबूतर भाई, तुम तो मुझे झूठा समझ रहे हो |मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ |तुम चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो |कबूतर को अब पक्का यकीन हो गया था कि लोमड़ी उसका शिकार करके उसको खाना चाहती है |

कबूतर ने केसे होशियारी से लोमड़ी से जान बचायी |

वह बोला, ऐसा कोई समझौता शेर के साथ भी हुआ है क्या कि अब से लोमड़ी और शेर दोस्त बन कर रहेंगे? शेर का नाम सुनकर लोमड़ी डर के मारे काँपने लगती है |वह कहती है,”शेर के साथ? अरे नहीं!शेर के साथ ये समझौता नहीं हुआ है |लेकिन तुम शेर का नाम क्यों ले रहे हो? लोमड़ी डरती हुई बोली |कबूतर बोला, “अच्छा!लेकिन मुझे तो तुम्हारे पीछे शेर आता हुआ दिखाई दे रहा है |शायद वह तुमसे मिलने के लिए आ रहा है”| यह सुनकर लोमड़ी हड़बड़ा कर बोलती है,”कहाँ है शेर? कहाँ है शेर? मुझे तो शेर नहीं दिखाई दे रहा है “|

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कबूतर ने कहा, तुम नीचे खड़ी हो ना, इसलिए तुम शेर को नहीं देख पा रही हो |मैं पेड़ के ऊपर बैठा हूँ इसलिए मुझे शेर आता दिखाया दे रहा है | अरे बाप रे! एक शेर नहीं ये तो बहुत सारे शेर हैँ |शेर के पीछे और भी बहुत सारे शेर हैँ | ये कहकर कबूतर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा | ये सुनकर कि बहुत सारे शेर लोमड़ी के पास आ रहे हैँ, लोमड़ी दुम दबाकर वहां से भाग जाती है | कबूतर को उस पापी लोमड़ी से छुटकारा मिल गया और लोमड़ी को अच्छा सबक मिला |

अब कबूतर आराम से पेड़ से नीचे उतरा और अपने लिए दाना तलाश करने लगा | बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे कैसी भी मुश्किल आ जाये हमें घबराना और डरना नहीं चाहिए | अपनी सूझ बूझ से उस मुश्किल का हल ढूंढ़ना चाहिए |अगर वह कबूतर उस लोमड़ी कि बात मान लेता तो वह लोमड़ी कबूतर को अपना भोजन बना कर खा जाती |