तेनालीराम की कहानी : देशद्रोह का आरोप

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम पर देशद्रोह का आरोप | राजा के दरबार में तेनालीरामा का विशेष मान सम्मान हुआ करता था। इसलिए महल में अधिकतर लोग उनसे जलते थे। एक बार राज्य की स्थिति अच्छी नहीं थी।

राजा के राज्य पर पड़ोसी देश द्वारा हमला किए जाने का खतरा था। एक दरबारी ने इस समय का फायदा उठाकर महाराज को तेनालीरामा के विरुद्ध भड़काना शुरू कर दिया।

एक शाम महाराज बगीचे में बैठे प्रकृति को निहार रहे थे यह देखकर एक दरबारी वहाँ पहुँच गया। वह बहुत ही शातिर आदमी था।

वह महाराज से बोला की महाराज अगर आप गुस्सा न हों तो मैं आपको एक बात कहने की अनुमति चाहता हूं। राजा ने गुस्सा न करने का भरोसा दिया।

तब दरबारी ने कहा कि तेनालीरामा पड़ोसी राज्य को विजयनगर की सारी गुप्त बाते बताता है वह सही व्यक्ति नहीं है महाराज।
महाराज ने जैसे ही ये बातें सुनी उनके गुस्से का ज्वालामुखी उस दरबारी पर फुट पड़ा और महाराज बोले,

“मूर्ख तुम जिस तेनालीरामा के बारे में इस तरह की बात कर रहे हो वह विजयनगर का सबसे अच्छा व्यक्ति है। तुम्हें तो ऐसा सोचते हुए भी शर्म आनी चाहिए।”

तेनालीराम पर देशद्रोह का आरोप

दरबारी ने कहा,

“यह सच नहीं है महाराजा, आपने अपनी आंखें मूंद ली हैं। इसलिए आप उसकी कोई भी चाल नहीं देखते हैं, लेकिन मुझे निश्चित रूप से पता है।”

जब दरबारी ने इतने आत्मविश्वास के साथ कहा, तो राजा को भी तेनालीरामा पर थोड़ा संदेह होने लगा।

राजा ने उसी घड़ी तेनालीरामा को बुलावा भेजा जैसे ही तेनालीरामा महल पहुँचा तो राजा ने उससे पूछा,

“क्या तुम पड़ोसी राज्य के गुप्तचर हो?” तेनालीरामा को महाराजा से इस सवाल की उम्मीद नहीं थी। तेनालीरामा इसका जवाब नहीं दे सका और रोने लगा।

राजा ने कहा,“तुम्हारी चुप्पी हम क्या मतलब निकालें अर्थात जो हमने सुना है वही सच है।”

तेनालीरामा ने कहा, “महाराज मैं आपसे कुछ नहीं कह सकता। आप मुझ से अच्छी तरह से परिचित हैं, इसलिए आपकी हर आज्ञा का मैं ज़रूर पालन करूंगा।”

यह सुनकर महाराज कृष्णदेव गुस्सा हो गए और कहा, “जाओ विजयनगर राज्य छोड़ कर उस राजा के साथ रहो, जिसे तुम चापलूसी करते हो।”

तेनालीराम की कहानी

तेनालीरामा ने जब राजा के मुंह से एसी कठोर बातें सुनी वह वहाँ से चला गया। वह पड़ोसी राजा के दरबार में गया और उसकी प्रशंसा में कई गाने गाए।

तेनालीरामा की प्रशंसा से पड़ोसी राज्य का राजा बहुत खुश हुआ और उसे उसका परिचय देने के लिए कहा। तेनालीरामा ने कहा,

” राजा कृष्णदेवराय जो विजयनगर के राजा हैं मैं उनका निजी सचिव हूं।”

राजा ने कहा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुये हमारे दरबार में आने की। कृष्णदेवराय हमारा शत्रु है, क्या तुम्हें हमसे भाय नहीं लगता?” तेनालीरामा ने कहा,

“आप विजयनगर को अपना दुश्मन मानते हैं, जबकि हमारे महाराज कृष्णदेवराय आपके लिए ऐसी भावना नहीं रखते हैं, वे आपको मित्र मानते हैं।”

पड़ोसी राजा ने आश्चर्य चकित होते हुए कहा, “हमारे तो सुना है कि विजयनगर के राजा हमे अपना दुश्मन समझते हैं।”

तेनालीरामा ने कहा, “मेरे राज्य के दरबारियों ने भी महाराज को उकसाने की कोशिश की, लेकिन हमारे राजा उनकी बातों को नहीं सुनते। महाराज कृष्णदेव तो आपकी बहुत प्रशंसा करते हैं।

वह कहते हैं कि पड़ोसी से मित्रता ही भली, दुश्मनी रखना सही बात नहीं है।” तेनालीरामा की बातों ने पड़ोसी राजा का मन मोह लिया। उन्होंने कहा,

Tenalirama Hindi Story ( तेनालीराम पर देशद्रोह का आरोप )

“आप ठीक कहते हैं, लेकिन हम आपका कहा कैसे मान लें?”

तेनाली राम ने कहा, “मुझे खुद राजा कृष्ण देव राय ने आपके पास मित्रता का प्रस्ताव लेकर भेजा है और मैं खुद उनका निजी सचिव हूँ।”

पड़ोसी राजा तेनालीरामा के कायल हो गए और कहा, “तो हमें आगे क्या करना चाहिए?”
तेनालीरामा ने सलाह दी कि उन्हें एक संधि प्रस्ताव और कुछ उपहार विजयनगर साम्राज्य तक पहुँचना चाहिए और विजयनगर के साथ दोस्ती स्वीकार करनी चाहिए।

राजा को तेनालीरामा का सुझाव बहुत पसंद आया। उसने उपहार तैयार करना शुरू कर दिया।

दूसरी ओर राजा कृष्णदेव राय को तेनाली राम की मासूमियत के बारे में पता चला और उन्हें अपने व्यवहार पर बहुत पछतावा हुआ।

अगले दिन उसने देखा कि तेनालीरामा और पड़ोसी राजा के दूत संधि का प्रस्ताव लेकर दरबार में मौजूद थे। उनके साथ कई उपहार भी थे। राजा ने तेनालीरामा को प्यार से देखा।

उनके मन में यह विश्वास था कि केवल तेनालीरामा ही दुश्मनी को दोस्ती में बदलने का काम कर सकता हैं।

Tenali Raman And Krishnadevaraya Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Raman And Krishnadevaraya Story से यह पता चलता है कि हमें किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। कही सुनी बातों पर भरोसा करने से पहले हमने एक बार खुद से जरूर विचार कर लेना चाहिए।   

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तेनालीरामा की कहानी : चेहरा न दिखाने की सजा

तेनालीराम की कहानी

तेनालीरामा की कहानी | एक बार किसी कारणवश महाराज तेनालीरामा से नाराज हो गए। वह उनसे इतना नाराज़ थे कि उन्होने कहा, “पंडित तेनालीरामा, अब तुम हमें अपना चेहरा नहीं दिखाओगे और अगर तुमने हमारी आज्ञा नहीं मानी, तो हम तुम्हें दंड देंगे।”

यह सुनकर तेनाली राम वहां से चुपचाप चले गए ।

अगले दिन राजदरबार लगा तो कुछ जलन भावना रखने वाले मंत्रियों ने दरबार में आने से पहले ही राजा के कान भरना शुरू कर दिया।

उन लोगो ने कहा, “महाराज तेनालीरामा ने आपकी आज्ञा न मान कर आपके आदेशों का उलंघन किया है और ऊपर से वो दरबार मे सबके साथ हंसी मज़ाक भी कर रहा है।

तेनाली को इसके लिए दंड मिलना चाहिए।” फिर क्या था महाराजा गुस्से मे तेज गति से दरबार की ओर चल पड़े।

तेनालीराम की कहानी

जैसे ही वे महल में घुसे राजदरबार में उन्होंने तेनालीरामा को मुँह में मटका डाले हुए वहाँ खड़े देखा। उस मटके के सामने दो छेद थे।

राजा ने उनकी इस हरकत को देखकर उनसे गुस्से में कहा, “पंडित तेनालीरामा , हमने तुमसे कहा था कि तुम हमें अपना चेहरा नहीं दिखाओगे। फिर ऐसा क्या हुआ कि आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया? “

महाराज की बात पर तेनालीरामा ने कहा, “महाराज, पर मैंने अपना चेहरा दिखाया ही कहाँ है? देखिये मेरा चेहरा इस मटके से अच्छी तरह से ढाका है। बस इन दो छेदों से मै आपको देख सकता हूँ, लेकिन आपने मुझे आपका चेहरा देखने से मना नहीं किया था? “

तेनालीरामा की यह बात सुनते ही महाराजा ने जोर से हँसना शुरू कर दिया। ( 25 फलो के नाम )

महाराज बोले, “पंडित तेनाली, तुम्हारी बुद्धि के सामने हमारा गुस्सा करना संभव ही नहीं है। अब इस बर्तन को उतार दो और अपनी जगह पर बैठ जाओ।”

Tenali Raman Story In Hindi से हमने क्या सीखा:

इस कहानी से यह पता चलता है कि स्थिति कैसी भी हो, हमें बस अपनी बुद्धि से काम करने की जरूरत है।

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Tenaliram short Hindi Story: हीरों का बंटवारा 

तेनालीराम की कहानी

Tenaliram short Hindi Story | राजा के दरबार में पंडित तेनालीरमा कृष्णा नाम का एक कुशल और बुद्धिमान मंत्री था। एक बार दरबार में एक मामला आया कि महाराज के लिए न्याय करना मुश्किल हो गया। इस स्थिति में, तेनालीरमा ने विवेक से काम लिया और राजा की उलझन को हल किया।

ऐसा हुआ कि एक दिन श्यामू नाम का एक व्यक्ति महल में न्याय मांगने आया। राजा ने उससे पूरी बात बताने को कहा जिससे की उसके साथ न्याय किया जा सके। श्यामू ने बताया कि जब वह कल अपने स्वामी के साथ कहीं जा रहा था तो उन्हें रास्ते में एक गठरी मिली जिसमें तीन चमकते हीरे थे।

हीरों का बंटवारा

हीरे को देखकर मैंने कहा कि स्वामी इन हीरों पर राजा का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजखजाने में जमा करा देना चाहिए। यह सुनकर, स्वामी आग बबूला हो गए और कहा कि हीरे के बारे में किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। हम इन्हें आधा आधा कर लेंगे। यह सुनकर में भी लालची हो गया और मैं अपने स्वामी के साथ घर को वापस लौट आया।

अपनी हवेली में पहुँचते ही स्वामी ने मुझे हीरे देने से मना कर दिया और अपनी हवेली से भागा दिया। मेरे साथ अन्याय हुआ है महाराज कृपया मेरे साथ न्याय कीजिये।

श्यामू की व्यथा सुनकर, राजा ने तुरंत उसमे मालिक को दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। श्यामू का स्वामी बहुत दुष्ट व लालची था। जब वह दरबार में आया तो महाराज से बोला कि यह सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन मैंने तो सब हीरे श्यामू को राजकोष में जमा करने के लिए दे दिये थे। श्यामू तो बहुत ही लालची आदमी है इसलिए वो आपके पास आ कर झूठ बोल रहा है।

Tenaliram short Hindi Story

महाराज ने कहा कि क्या प्रमाण है कि तुम सच कह रहे हो। श्यामू के मालिक ने कहा कि आप बाकी नौकरों से पूछ सकते हैं, वे सभी वहाँ मौजूद थे। जब राजा ने साथ के तीनों नौकरों से पूछा, तो उन्होंने कहा कि मालिक ने तो हीरों से भरी गठरी श्यामू को दे दी थी, जो अभी श्यामू के पास ही होनी चाहिए।

अब राजा को समझ नहीं आया की कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है। राजा ने बैठक समाप्त करने के आदेश दिये और कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुन लिया है लेकिन हम फैसला कुछ समय बाद सुनाएँगे।

राजा ने अपने सभी मंत्रियों को राजकक्ष में आकार अपनी सलाह देने को कहा। कोई बोला कि श्यामू लालची है वही झूठ बोल रहा है, तो किसी ने कहा कि श्यामू का मालिक झूठा है ओर उसके सभी नौकर उसके साथ मिले हुये हैं। राजा ने तेनालीरमा की ओर देखा जो हमेसा की तरह शांत खड़े थे। राजा ने पूछा कि आप क्या सोचते हैं, तेनालीरामा।

तेनालीरामा ने कहा, “महाराज में समस्या का समाधान करता हूँ बस मुझे आप सभी के सहयोग की आवश्यकता है। राजा यह जानने के बहुत उत्सुक थे की कौन झूठ बोल रहा है। महाराज ने कहा बताओ तेनाली हमें क्या करना पड़ेगा। तेनाली ने कहा की आप सभी लोग पर्दे के पीछे छुप जाइए में अभी दूध का दूध और पानी का पानी कर देता हूँ।

Tenali Rama Short Story In Hindi

राजा इस मामले को जल्द से जल्द हल करना चाहते थे , इसलिए महाराज ने सभी को पर्दे के पीछे छुपने के आदेश दिये और सभी मंत्रियों के साथ खुद भी पर्दे के पीछे छिपने के लिए तैयार हो गए ।

अब राज कक्ष मे सिर्फ तेनाली ही खड़े थे बाँकी के सभी लोग पर्दे के पीछे छुप गए थे। उन्होने अपने नौकर से कहा की वह एक-एक करके तीन नौकरों को मेरे पास भेजे। सेवक पहले नौकर को साथ ले आया।

तेनालीरामा ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे स्वामी ने तुम्हारे सामने श्यामू को गठरी दी थी।” नौकर ने हाँ मे जवाब दिया। अब तेनालीरमा ने उसके सामने एक कागज और एक कलाम रख दी और कहा की उस हीरे का चित्र बनाओ। नौकर घबराकर बोला, “जब मालिक ने श्यामू को हीरे दिए, तो वह लाल गठरी में थे।”

तेनालीरामा ने कहा, “ठीक है तुम अब यही खड़े रहो।” इसके बाद, अगले नौकर को बुलाया गया। तेनालीरमा ने दूसरे नौकर से भी वही पूछा, “तुमने जो हीरे देखे हैं उसका एक चित्र बनाओ। ” नौकर ने कागज लिया और उस पर तीन गोल आकृतियाँ बना दीं।

हीरो का बंटवारा – तेनालीराम हिन्दी कहानी

अब तीसरे नौकर से पूछा गया तो उसने कहा, “मैंने हीरे नहीं देखे लेकिन वो हरी रंग की गठरी में थे।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से सबको समझ आ गया है की वो झूठे हैं।

वह राजा के चरणों में गिर गए और कहा कि उसकी कोई गलती नहीं है, लेकिन स्वामी ने उन्हे झूठ बोलने के लिए कहा था अन्यथा उन्हे मारने की धमकी दी थी।

नौकरों की बात सुनकर महाराज ने सैनिकों को मालिक के घर की तलाशी लेने का आदेश दिया। तीनों हीरे खोज के बाद मालिक के घर पर पाए गए। मालिक कि बेईमानी का दंड उसे मिला। राजा ने आदेश दिया की मालिक श्यामू को 1 हजार स्वर्ण मुद्रा देगा और 10 हजार स्वर्ण मुद्रा राजकोष में जुर्माने के रूप मे भरेगा। इस तरह, श्यामू को तेनालीरमा की बुद्धि से न्याय मिला और वह राजा के दरबार से खुशी-खुशी लौटा।

Tenali Rama Short Story In Hindi से हमने क्या सीखा:

इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि अक्सर जैसा हमें दिखाई देता है वैसा नहीं होता है। हमें बस अपनी बुद्धि से काम करने की जरूरत है। 25 फलो के नाम – क्लिक करें

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तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

तेनालीराम की कहानी

परियों का नृत्य | एक बार गोविन्द नाम का एक व्यक्ति राजा के राजदरबार में आया। वह काफी दुबला-पतला सा था। वह दरबार में पहुंचा और राजा से बताया कि वह रूपदेश से आया है और वह दुनिया घुमने के लिए निकला है।

गोविन्द ने राजा से कहा की कई जगह घूमने के बाद वह राजा के दरबार में पहुंचा है।गोविन्द के मुह से यह सुनकर राजा बहुत खुश हुए। तब राजा ने एक विशेष मेहमान के रूप में उसका आदर सत्कार किया।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

गोविन्द को राजा द्वारा सम्मान और इतना सम्मान देते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। उसने राजा से कहा, “महाराज मैं आपको एक एसी जगह के बारे में बताता हूँ जहां बहुत सारी परियाँ रहा करती हैं यहाँ तक की मेरे बुलाने पर वो परियाँ यहाँ भी आ सकती हैं।‘’

जैसे ही महाराज ने यह सुना तो वह बड़े ही उत्साहित हो गए और बोले, “ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है परंतु इसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?

जैसे ही गोविन्द ने यह सुना तो उसने तुरंत महाराज से कहा की महाराज आप आज रात को तालाब के पास आ जाइएगा। मैं वहाँ पर परियों को नृत्य के लिए बुलवाऊंगा। राजा गोविन्द की बात मान गए।

फिर रात होते ही राजा अपने घोड़े पर बैठे और तालाब की ओर चल दिये। वहाँ पास ही एक क़िला था जैसे ही राजा तालाब पर पहुंचे, उन्होंने देखा सामने के किले पर गोविन्द उनका इंतजार कर रहा है।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

राजा उसके पास गए तो गोविन्द ने उनका स्वागत किया और बोला, “महाराज मैंने सारा इंतेज़ाम कर दिया है और सभी परियां किले के अंदर मौजूद हैं।”

जैसे ही राजा और गोविन्द किले के अंदर जाने लगे, तब गोविन्द को वहाँ पर उपस्थित सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ। राजा ने पूछा, “क्या चल रहा है? तुम सब गोविन्द को गिरफ्तार क्यों कर रहे हो?”

तब तेनालीरामा जो किले के भीतर था और बोला, “महाराज मैं जनता हूँ की यहाँ क्या चल रहा है मैं आपको बताता हूँ।“

तेनाली ने कहा, “महाराज, यह गोविन्द कोई यात्री नहीं है, यह एक देश जिसका नाम रूपदेश है उसका रक्षा मंत्री है। यह यहाँ आपको धोखे से मारने आया हुआ है। इस किले में कोई पारियाँ नहीं हैं यह तो इसकी एक चाल थी।“

तेनालीरामा की बातें सुनकर राजा ने उसे अपनी जान बचाने हेतु धन्यवाद दिया और पूछा, ‘’तुम्हें यह कैसे पता चला, तेनाली राम ?’’

तब तेनाली राम बोला कि पहले दिन ही मुझे गोविन्द पर शक हो गया था महाराज। उसके तुरंत बाद मैंने कुछ जासूसों को इसके पीछे लगा दिया था। तभी मुझे इसकी इस घिनौनी योजना का ज्ञान हुआ।

राजा तेनालीराम  से बड़े ही खुश हुए और राजा ने कहा की हम इसके लिए आपके सदा ही आभारी रहेंगे।

Tenali Rama Short Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Short Story से यह पता चलता है कि बिना जांच पड़ताल के कभी भी किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।  ( बच्चो के लिए एजुकेशनल websiteक्लिक करें )

तेनालीराम पर लगा रिश्वत का आरोपपढने के लिए क्लिक करें

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार | तेनालीरामा अपनी बुध्द्धिमनी के कारण राजा को बहुत प्रिय था। महाराज पर आने वाली किसी भी समस्या का हल तेनाली के पास होता था। इसी वजह से महाराज तेनाली को भेट स्वरूप कुछ न कुछ देते रहते थे।

एक बार महाराज ने तेनाली से प्रसन्न होकर उसे 4 हाथी उपहार में दिये। तेनाली महाराज के दिये उपहार को वापस भी नहीं कर सकता था। इसलिए तेनालीराम दुविधा में पड़ गया की वह अब क्या करे।

क्योंकि उसके लिए हाथी को पालना आसान काम नहीं था। तेनाली एक गरीब ब्राह्मण था, ये बात अलग है की महाराज उसे समय-समय पर कुछ न कुछ भेंट स्वरूप दे दिया करते थे।

लेकिन वह चार हाथियों को नहीं पाल सकता था। उसे ज्ञात था की हाथियों को खिलाने के लिए बहुत अनाज की आवश्यकता होती है। उसके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना ही बड़ी समस्या थी।

तेनालीराम की कहानी

लेकिन बिना किसी विरोध के तेनालीरामा हाथियों को राजा का उपहार होने के कारण अपने घर ले आया। तेनालीरामा की पत्नी ने जैसे ही तेनाली को चार हथियों के साथ देखा तो वह चोंक गयी,

और जब उसे पता चला की ये हाथी अब उन्हीं को पालने हैं तो वह बोली की हमारे रहने के लिए तो जगह है नहीं, तुम इन चार हथियों को कहाँ रखोगे।

हमारे पास अपने लिए खाने को तो अनाज होता है नहीं हम इनको क्या खिलाएंगे। यदि महाराज इन चार हाथियों की जगह पर हमें चार गाय देते तो कम से कम हम उनका दूध पीकर अपना गुजारा तो करते।

पत्नी की खरी-खोटी सुनने के बाद तेनाली ने इन हाथियों से छुटकारा पाने की एक योजना बनाई। वह उठा ओर अपनी पत्नी से बोला, “में इन हाथियों का कुछ इंतजाम करता हूँ तुम चिंता मत करो।“

तेनाली हाथियों को अपने साथ काली मंदिर में ले गया। वहाँ जाकर उसने पहले तो सभी हाथियों को तिलक लगाया, फिर सभी हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। और उन्हें वहीं छोड़ आया।

तेनालीराम की कहानी – हाथियों का उपहार

चारों हाथी नगर में घूमने लगे। कुछ भले लोग उन हाथियों को कभी कुछ खाने को दे देते तो कभी वह बेचारे हाथी भूखे ही पड़े रहते ओर लोगों की फसलों को नुकसान पहुँचते।

जल्दी ही हाथी कमजोर हो गए ओर नगरवासी भी अब उन हाथियों से परेशान रहने लगे। हाथियों की ये अवस्था देख कुछ लोग राजा के पास गए ओर उन्होंने तेनाली के हाथियों के बारे में राजा को बताया।

तेनाली द्वारा हाथियों के साथ ऐसा व्यवहार सुन राजा बहुत नाराज हुये उन्होंने तेनाली को राजदरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। जब तेनाली दरबार में आया तो राजा ने तेनाली से पूछा,

“ तुमने हाथियों को नगर में क्यों छोड़ दिया मैंने वो हाथी तुम्हें उपहार स्वरूप दिये थे?”

तेनाली ने महाराज को बताया की उन्होंने हाथी उसे उपहार में दिये थे। वह अगर उन्हें लेने से माना कर देता तो महाराज उस से नाराज भी हो सकते थे।

यह सोचकर उसने उन हाथियों को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन वह उन्हें पाल नहीं सकता, क्योंकि वह एक गरीब ब्रह्मांड है। वह उन चार हाथियों का अतिरिक्त बोझ कैसे उठता।

इसलिए उसने इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। महाराज तेनाली की बात अच्छे से सुन रहे थे की तेनाली बोला,

तेनालीराम की कहानी

“महाराज अब आप ही बताइये अगर आप इन चार हाथियों की जगह मुझे कुछ गाय ही दान में दे देते तो कम से कम उनका दूध पीकर मेरे परिवार का भरण पोषण तो होता।’’

राजा को तेनाली की कही बातें सही लगी और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, की एक गरीब व्यक्ति हाथियों का क्या करेगा? महाराज ने कहा,

“अगर मैं तुम्हें गाय दूंगा तो तूम क्या उनके साथ भी ऐसा ही करोगे।“ तेनाली बोला,

“नहीं महाराज गाय तो एक पवित्र जानवर है उस से मुझे दूध भी मिलेगा, जिसे मेरे बच्चे पीएंगे और में गायों का भरण पोषण भी कर सकता हूँ, गायों को छोड़ने की जगह में तो आपको धन्यवाद दूंगा।“

महाराज ने तुरंत आदेश किया की तेनाली को चार गाय उपहार स्वरूप दी जाए और उन चारों हाथियों को नगर से वापस राज महल लाया जाए।

Tenali Rama Elephant Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Elephant Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए। सुई की जगह कभी तलवार काम नहीं आ सकती और न तलवार की जगह पर सुई से काम बन सकता है|

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Tenaliram Hindi Story : रिश्वत का आरोप

तेनालीराम की कहानी

Tenaliram Hindi Story | विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में संगीतकारों, गीतकारों, कवियों, लेखकों और नर्तकों की तो भीड़ ही लगे रहती थी और लगे भी क्यों ना राजा कृष्णदेव कला प्रेमी होने के साथ-साथ कलाकारों का सम्मान जो किया करते थे।

कलाकार हर साल कला प्रतियोगिता में भाग लेते और महाराज उन्हें पुरस्कृत करते थे। ये सिलसिला हर वर्ष चलता था।

जब से महाराज को तेनालीरामा मिला था, तब से महाराज तेनालीरामा से पूछकर ही कलाकारों को उनकी कला प्रदर्शन हेतु दिये जाने वाले इनामों का फैसला लेते।

क्योंकि महाराज जानते थे की तेनालीरामा को कला का ज्ञान तो है ही साथ ही साथ वह एक बुद्धिमान व्यक्ति भी है।

बाकी दरबारी चाहते थे कि महाराज तेनालीरामा पर भरोसा करना बंद कर दे क्योंकि तेनालीरामा को दिए गए इस सम्मान से बाकी लोगों को ईर्ष्या थी।

एक बार की बात है तेनालीरामा दरबार में नहीं थे। जब दरबारियों को ये बात पता चली तो उनकी अनुपस्थिति का लाभ उठाकर दरबारियों ने राजा के कान भरने शुरू कर दिए।

उन्होंने राजा से कहा, “महाराज तेनालीरामा बहुत ही बेईमान और गिरा हुआ आदमी हैं। जिस किसी को भी पुरस्कार देना होता है, वह उससे पहले रिश्वत लेता है।

तेनालीराम की कहानी : Tenaliram Hindi Story

इसलिए, जो आप तेनालीरामा को बुद्धिमान समझ कर इन मामलों में उससे सलाह लेते हैं कृपया आपको उसे लेना बंद कर दें।“

तेनालीरामा सात-आठ दिनों के लिए दरबार में नहीं आया था, इसलिए दरबारियों ने राजा से फिर से वही बात कही। राजा ने भी सभी दरबारियों के बार-बार कहने पर तेनालीरामा पर शक करना शुरू कर दिया।

कुछ समय बीतने के बाद जब तेनालीरामा राज दरबार में हाजिर हुआ, तो उसे महाराज के मिजाज ही बदले हुए प्रतीत हुए। तेनालीरामा ने देखा कि अब महाराज ने पुरस्कार वितरण से पूर्व किसी से सलाह लेना ही बंद कर दिया है।

तेनालीरामा यह देखकर बहुत दुखी हुआ। फिर एक दिन राजा के दरबार में एक गायन प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता समाप्त होते ही तेनालीरामा ने कहा, “गायक को छोड़कर सभी को पुरस्कार मिलना चाहिए”

लेकिन राजा ने तेनालीरामा की बातों को अनसुना कर दिया और जो तेनालीरामा ने सुझाव दिया था उससे विपरीत व्यवहार किया। राजा ने उस एक गायक को पुरस्कृत किया और सभी को खाली हाथ लौटा दिया।

तेनालीराम की कहानी

तेनालीरामा को राजा के इस व्यवहार से बड़ा दुख हुआ और राजा की यह बात उसे बहुत अपमानजनक लगी। अब तेनालीरामा के इस अपमान को देखकर सभी दरबारी बहुत खुश हुए।

कुछ दिनों बाद एक बहुत ही मधुर गायक अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए दरबार में आया। जैसे ही राजा से अनुमति मिली तो उसने गाना शुरू कर दिया। उनकी आवाज और लहजा बहुत मधुर था।

उस दिन उस गायक ने दरबार में एक से अधिक गीत गाए जो बहुत ही मधुर थे जिसकी गूंज से पूरा राज दरबार गौरवान्वित हो गया।

जब उसका गायन समाप्त हुआ, तेनालीरामा ने गायक से कहा, “तुम्हारी आवाज़ बहुत मधुर है और शायद ही किसी ने अपने जीवन में ऐसे गीत सुने हों इस प्रतिभा के लिए आपको 10,000 सोने के सिक्के मिलने चाहिए।”

तेनालीरामा द्वारा कही गयी बातें सुनकर महाराजा ने कहा, “आपकी कला वास्तव में अद्भुत है, लेकिन हमारे खजाने में किसी भी गायक को देने के लिए बहुत पैसा नहीं है, इसलिए अब आप जा सकते हैं।”

जैसे ही गायक ने राजा की यह बातें सुनी तो गायक बहुत ही हताश हो गया और अपने वाद्य यंत्रों को बंद करने लगा। तेनालीरामा को उस प्रतिभाशाली गायक के लिए बहुत ही दुख महसूस हुआ।

Tenaliram Hindi Story

तेनालीरामा ने तुरंत ही गायक को भरे दरबार में एक गठरी दी। यह देखकर दरबारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया। सभी ने साथ में कहा कि जब राजा ने गायक को कुछ नहीं दिया, तो तेनालीरामा कौन है जो खैरात बांट रहा है?

राजा भी तेनालीरामा के कृत्य पर बहुत क्रोधित थे। उसने नौकरों को आदेश दिया कि वह गायक से गठरी छीनकर मेरे पास लाए। नौकर ने गठरी राजा को दे दी। जब राजा ने गठरी खोली तो उसमें मिट्टी का एक बर्तन था।

मिट्टी के बर्तन को देखकर राजा ने तेनालीरामा से सवाल किया कि आप इन बर्तनों को गायक को क्यों देना चाहते हैं।

तेनालीरामा ने कहा, “महाराज, गरीब गायक को इनाम नहीं मिला, लेकिन मैं इस गायक को यहाँ से खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहता।

वह इस मिट्टी के बर्तन में प्रशंसा और तालियां भर कर ले जाएगा। “तेनालीरामा के मुंह से यह जवाब सुनकर, राजा को उसकी उदारता और सच्चाई का पता चला।

राजा का क्रोध गायब हो गया और राजा ने गायक को 10,000 स्वर्ण मुद्राएँ इनाम में दीं।

इस तरह तेनालीरामा ने अपनी समझ और ईमानदारी के बल पर राजा का विश्वास हासिल कर लिया। उसी समय तेनालीरामा के विरोधी उसे गुस्से से भरे मुंह से देखते रहे।

Short Story Of Tenali Rama In Hindi से हमने क्या सीखा:

इस Short Story Of Tenali Rama In Hindi से यह पता चलता है कि कभी भी सुनी सुनाई बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। जो इंसान कान का कच्चा होता है वो धोखा खाता है  |

तेनालीराम की कहानीविचित्र पक्षी

TENALI RAMAN HINDI STORY – लाल मोर

तेनालीराम की कहानी

TENALI RAMAN HINDI STORY | एक समय की बात है एक राजा थे, जो जानवरों और पक्षियों के साथ-साथ अद्भुत और अनोखी चीजों के बहुत शौकीन थे। राजा के ऐसे शौक़ के कारण मंत्रियों और राज दरबारियों द्वारा बस अनोखी चीजों की खोज की जाती थी। महाराज को अनोखी चीज़ देने के साथ ही उनका उद्देश्य महाराज से उपहार और पैसा भेंट में पाना भी था।
एक बार महाराज के एक दरबारी ने उन्हें प्रसन्न करने के लिए एक मोर को रंगवा कर अनोखे लाल रंग का कर दिया। दरबारी ने कहा, “महाराज, मैंने मध्य प्रदेश के घने जंगलों से इस अनोखे मोर को मंगवाया है।”

जब महाराज ने उस मोर को देखा वो हैरान रह गए। उन्होंने कहा, “लाल रंग का मोर, यह वास्तव में अद्भुत है और ऐसा मोर कहीं भी मिलना मुश्किल है। मुझे इसे अपने बगीचे में बहुत सतर्कता से रखना पड़ेगा।“

महाराज बोले, “अब यह बताओ कि इसे ढूंढ कर लाने में तुम्हें कितना पैसा खर्च किया?’

अपनी तारीफ को सुनकर दरबारी बहुत खुश हुआ और उसने कहा, “महाराज, मैंने केवल आपके लिए इस अनोखे मोर को खोजा, और इसे खोजने के लिए मैंने अपने दो नौकरों को रखा था।

वे दोनों तब पूरे देश की यात्रा कर रहे थे और वे कई सालों से इस अद्भुत चीज़ की तलाश में लगे हुए थे। कई वर्षों के बाद, अब उन्हें यह लाल मोर मिला। मैंने इस सब में लगभग 25 हजार रुपये खर्च किए हैं।“

राजा में उस दरबारी को 25 हजार रूपये की राशि देने का एलान किया। और साथ ही राजा ने उस दरबारी से कहा की इस राशि के अलावा भी आपका सम्मान किया जाएगा। दरबारी खुश हो कर मुसकुराने लगा।

तेनालीराम की कहानियाँ – लाल मोर

जैसे ही तेनाली की नजर उस दरबारी पर पड़ी तेनालीरामा को सारा मामला समझ आ गया। उस समय तेनालीरामा कुछ नहीं बोला क्योंकि वो जानता था की यह समय उचित नहीं रहेगा।

तेनालीरामा जानता था की ऐसे लाल रंग का मोर कहीं भी नहीं होता, यह दरबारी झूठ कह रहा है।
अगले दिन तेनालीरामा को रंगाई करने वाला व्यक्ति मिल गया। तेनाली रंगाई करने वाले व्यक्ति के पास रंगने के लिए चार मोर लेकर गया और उन्हें उस रंगाई करने वाले व्यक्ति के पास से रंग लाने के बाद, दरबार में ले आया।

तेनालीरामा ने राज दरबार में कहा, “महाराज, यहाँ पर बैठे ये दरबारी मित्र पच्चीस हजार में सिर्फ एक मोर लाए, लेकिन मैं पचास हजार में चार और सुंदर मोर लाया हूं जो उस मोर से भी ज्यादा सुंदर है।

जैसे ही राजा ने उन मोरों को देखा वे उन पर मोहित हो गये। राजा ने खुश होकर तेनाली को पचास हजार रुपये देने का एलान दिया।
यह सुनकर तेनालीराम ने अदालत में बैठे एक व्यक्ति की ओर इशारा किया और कहा, “महाराज मेरा इस इनाम पर कोई हक नहीं है, लेकिन यह हक इस कलाकार है।

यह वही कलाकार है जिसने नीले मोर को लाल रंग में बदल दिया है। यह ऐसा कलाकार है की किसी भी चीज़ को एक रंग से दूसरे रंग में बदल सकता है।

जैसे ही महाराज ने यह सुना वे सब समझ गए की दरबारी ने उनसे झूठ कहा था।

महाराज ने दरबारी को दी गयी धनराशि वापस ले ली और उस पर पाँच हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया तथा राजा ने उस कलाकार की कला के लिए उसे पुरस्कार दिया।

इस कहानी से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Raman Story Hindi से हमें यह सीख मिलती है की हमें भावनाओं में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कोई भी असामान्य बात होने पर उसकी जांच पड़ताल किए बिना उसे सत्य नहीं मानना चाहिए।

तेनालीराम की कहानीविचित्र पक्षी

तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी | एक बार राजा के दरबार में एक बहेलिया आया। राजा ने बहेलिया को देखा तो वह बहुत खुश हुए, क्योंकि राजा जानवरों और पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे और बहेलिये ने उनके दरबार में एक रंगीन सुंदर पक्षी लाकर सबको खुश कर दिया था।

जैसे ही बहेलिया दरबार में पहुँचा, बहेलिया ने कहा, “महाराज, मैंने इस सुंदर और विचित्र पक्षी को जंगल से कल ही पकड़ा है। इसकी आवाज बहुत ही सुरीली है और यह तो तोते की तरह बात कर सकता है।

महाराज यह मोर की तरह नृत्य भी कर सकता है। आपके जानवरों और पक्षियों के प्रति प्रेम की बात मैंने सुनी थी, इसलिए मैं इस पक्षी को बिक्री के लिए आपके पास ले आया।‘’

महाराज बहुत खुश हुए और कहा, ‘’यह पक्षी सुंदर दिखता है। मुझे इसे अवश्य खरीदना है और इसके बदले मैं आपको उचित मूल्य भी दूंगा।”

यह कहते हुए राजा ने बहेलिया को 25 सिक्के दिए और यह आदेश हुआ की पक्षी अब शाही बगीचे में ही रहेगा।

यह देखकर तेनालीरामा शांत नहीं रह सका और उसने उठकर कहा, “मुझे लगता है कि इस पक्षी ने कई सालों से स्नान भी नहीं किया है। महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी मोर की तरह नाच सकता है।“

तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

यह सुनकर बहेलिया घबरा गया और उदास मुंह बनाते हुए बोला, ‘’राजन, मैं बहुत गरीब परिवार से आता हूँ। पक्षियों को पकड़कर और उन्हें बेचकर ही मैं अपने परिवार को चलता हूँ।

मैं जितना जानवरों और पक्षियों को जानता हूं उसे किसी भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और न ही उस पर कोई संदेह किया जाना चाहिए।

हाँ मैं गरीब तो हूँ, लेकिन मुझे झूठा बतलाकर तेनालीरामा जी मेरा और मेरी काबिलीयत का अपमान कर रहे हैं।“

बहेलिया की बातें सुन कर महाराज तेनाली पर नाराज हो गए और बोले, “तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है? तुम पहले अपनी बात साबित कर के दिखाओ।“

तब तेनाली ने कहा, “महाराज, मैं इसे साबित कर सकता हूं।” तेनाली एक पात्र में पानी लाया और उसे पक्षी पर डाल दिया जो पिंजरे में बंद था। जैसे ही यह हुआ, दरबार में बैठे सभी लोग स्तंभित हो गए और पक्षी को देखने लगे।

जैसे ही राजा ने भी पक्षी को देखा तो वो भी अचरज में पड़ गए। जैसे ही तेनालीरामा ने पक्षी पर पानी डाला, उस पर से सारा रंग बह गया। वह पक्षी पिंजरे में बंद था और पक्षी हल्के भूरे रंग का हो गया।

Tenaliram ki kahani : तेनालीराम की कहानी

राजा हैरान हो गए। तेनाली ने जल्दी से राजा से कहा कि “महाराज, यह कोई अनोखा पक्षी नहीं बल्कि एक जंगली कबूतर ही है’’।

तेनाली से महाराज ने पूछा, “इस पक्षी पर रंग किया गया है इस बात का ज्ञान तुम्हें कैसे हुआ तेनाली?” तेनाली ने कहा,

“महाराज जब मैंने बहेलिये के नाखूनों को देखा तो उनका रंग इस पक्षी के रंग से मिल रहा था। बहेलिया के नाखून और पक्षी का रंग एक समान है। इससे मुझे पता चला की ये रंग तो बहेलिये ने ही पक्षी पर रंगा हुआ है।”

बहेलिया यह सब देखकर घबरा गया और भागने लगा पर उसे पकड़ लिया गया। राजा ने उसे बंधक बनाने का आदेश दिया।

उस बहेलिया को जो 25 सोने के सिक्के दिये गए थे, अब वही सिक्के महाराज ने खुश हो कर तेनालीरामा को दे दिये।

Thenali Raman Story से हमने क्या सीखा:

इस Thenali Raman Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें भावनाओं में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कोई भी असामान्य बात होने पर उसकी जांच पड़ताल किए बिना उसे सत्य नहीं मानना चाहिए।