Imandari Ka Inaam- इमंदारी का इनामI

Imandari Ka Inaam- इमंदारी का इनामI

एक लकड़हारा था जो अपना और अपनी पत्नी और बच्चों का पेट पालने के लिए लकड़ी काटता और शहर में बेचता था। एक दिन जंगल में लकड़ी काटते समय उसकी कुल्हाड़ी खो गई। उसके पास इतना पैसा नहीं था कि वह दूसरी कुल्हाड़ी खरीद सके। वह पूरे जंगल में कुल्हाड़ी की तलाश की लेकिन कुल्हाड़ी कहीं नहीं मिली, वह थक कर रोने लगी।


अचानक पेड़ों के पीछे से एक परी निकली , उसने कहा, “क्या बात है, लकड़हारे? तुम क्यों रो रहे हो?”


लकड़हारे ने रोते हुए कहा, “मेरी कुल्हाड़ी खो गई है, मैंने हर जगह ढूंढा लेकिन कहीं नहीं मिली। भगवान के लिए, इसे ढूंढो और ले आओ।”

यह सुनकर परी लकड़हारे की नज़रों से ओझल हो गया और थोड़ी देर बाद हाथ में सोने की कुल्हाड़ी लेकर उसके पास वापस आयी।

Imandari Ka Inaam

उसने लकड़हारे से कहा, “देख, मुझे तेरी कुल्हाड़ी मिल गई है।” लकड़हारे ने कुल्हाड़ी देखकर कहा, “यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”वह लोहे की बनी था।


परी फिर गायब हो गयी और अब वह चांदी की कुल्हाड़ी लेकर आयी । उसने कहा, “लो, यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है।”

“नहीं, यह तो चांदी की कुल्हाड़ी है, मेरी कुल्हाड़ी नहीं,” लकड़हारे ने कहा। यह सुनकर परी फिर से गायब हो गयी ,

जब वह हाथ में लोहे की कुल्हाड़ी लेकर लकड़हारे के पास लौटी । इस कुल्हाड़ी को देखकर लकड़हारा खुशी से चिल्लाया, “हां, हां, यह मेरी कुल्हाड़ी है। भगवान का शुक्र है।”


परी ने कहा, “आप बहुत ईमानदार व्यक्ति हैं। मैं आपको ये तीन कुल्हाड़ियाँ दे रही हूँ। यह आपका इनाम है।” लकड़हारे ने परी से तीनो कुल्हाड़ियाँ ले लीं और खुशी-खुशी अपने घर चला गया।

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गरीब बच्ची और परी की कहानी


गरीब बच्ची और परी की कहानी | एक 10 साल की बच्ची थी |उसका नाम था मारिया |मारिया अपने पिता के साथ रहती थी |मारिया की माँ बचपन में ही गुज़र गयी थी |उसके पिता कि तबियत भी ठीक नहीं रहती थी | मारिया और उसके पिता बहुत गरीब थे |पिता कि तबियत ठीक ना होने की वजह से मारिया को काम करना पड़ता था |वह छोटी बच्ची लांटेन बेचकर घर का गुज़ारा करती थी |

रोज़ कि तरह एक दिन  जब वह लांटेन बेचने निकली तो पूरा दिन बीत गया लेकिन उसकी एक भी लांटेन नहीं बिकी | पूरा दिन गुज़र गया और रात हो गयी |बेचारी मारिया उदास हो गयी |उसे चिंता हो रही थी कि अब वह अपने पिता के लिए क्या लेकर जाएगी क्योंकि आज तो उसका एक भी लांटेन नहीं बिक पाया है | य सोचते सोचते वह एक पेड़ के नीचे आ बैठी और उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे |उसके आंसू जो ही ज़मीन पर जा कर गिरे, अचानक एक परी उसके सामने प्रकट हुई |वह अपने सामने परी को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी |

परी ने उसकी और देखा, परी मुस्कुराई और बोली, “क्या बात है ?” तुम उदास क्यों हो? मारिया पहले तो उस परी को देखती रही फिर मायूस होकर बोली, “आज मेरा एक भी लांटेन नहीं बिका है “अब मैं अपने पिता जी के लिए क्या लेकर जाउंगी? यह सुनकर परी बोली, मगर तुम तो इतनी छोटी हो, तुम लांटेन क्यों बेचती हो? तुम्हारे पिता क्या करते हैँ? मारिया की आँखों से आंसू गिर पड़े, वह बोली, मेरे पिता जी बीमार हैँ इसलिए मुझे लांटेन बेचकर पैसे कमाने पड़ते हैँ |

गरीब बच्ची और परी की कहानी

यह सुनकर परी भी उदास हो गयी लेकिन परी ने हँसते हुए मारिया का हौसला बढ़ाया और उसे शाबासी दी की वह इतनी काम उम्र मे अपने पिता के लिए लांटेन बेचकर अपना घर चलाती है |यह सुनकर मारिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी | परी ने मारिया से पूछा, मारिया स्वादिष्ट खाना खाओगी? मारिया ने हामी भरकर सर हिला दिया |परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और देखते ही देखते मारिया के सामने स्वादिष्ट पकवान आ गए |मारिया ने इतना सारा खाना पहले कभी नहीं देखा था |परी ने कहा, मारिया जी भर कर खाना खाओ |मारिया ने भरपेट खाना खाया | खाना खाने के बाद मारिया बोली, मैंने तो खाना कहा लिया लेकिन घर ओर मेरे पिता नर कुछ भी नहीं खाया होगा |

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परी मुस्कुराते हुए बोली, चिंता मत करो मारिया मैं तुम्हे तुम्हारे घर भी छोड़कर आउंगी और तुम्हारे पिता को भी स्वादिष्ट भोजन खिलाऊंगी |ये कहकर परी ने मारिया को अपने जादुई कद्दू मैं बैठाया और वो दोनों मारिया के घर पहुँच गए |परी ने मारिया के पिता को भी अच्छा अच्छा खाना खिलाया और छड़ी घुमाकर उनके पुराने टूटे फूटे घर को एक पक्के घर में बदल दिया | घर को अच्छा होते देख मारिया और उसके पिता बहुत खुश हुए |परी ने अपने जादू से खाने पीने का सामान भी मारिया को दिया ताकि उसको लांटेन ना बेचने पड़े| परी ने अपने जादू से रुपयों से भरा एक बड़ा थैला भी मारिया के पिता को दिया |

परी ने मारिया के सर पर प्यार से हाथ फेरा और मारिया की आँखों से ओझल हो गयी |मारिया अब बहुत खुश थी | अब उसे लांटेन बेचने के लिए और अपने पिता के इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था |