गरीब बच्ची और परी की कहानी


गरीब बच्ची और परी की कहानी | एक 10 साल की बच्ची थी |उसका नाम था मारिया |मारिया अपने पिता के साथ रहती थी |मारिया की माँ बचपन में ही गुज़र गयी थी |उसके पिता कि तबियत भी ठीक नहीं रहती थी | मारिया और उसके पिता बहुत गरीब थे |पिता कि तबियत ठीक ना होने की वजह से मारिया को काम करना पड़ता था |वह छोटी बच्ची लांटेन बेचकर घर का गुज़ारा करती थी |

रोज़ कि तरह एक दिन  जब वह लांटेन बेचने निकली तो पूरा दिन बीत गया लेकिन उसकी एक भी लांटेन नहीं बिकी | पूरा दिन गुज़र गया और रात हो गयी |बेचारी मारिया उदास हो गयी |उसे चिंता हो रही थी कि अब वह अपने पिता के लिए क्या लेकर जाएगी क्योंकि आज तो उसका एक भी लांटेन नहीं बिक पाया है | य सोचते सोचते वह एक पेड़ के नीचे आ बैठी और उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे |उसके आंसू जो ही ज़मीन पर जा कर गिरे, अचानक एक परी उसके सामने प्रकट हुई |वह अपने सामने परी को देख कर आश्चर्यचकित हो गयी |

परी ने उसकी और देखा, परी मुस्कुराई और बोली, “क्या बात है ?” तुम उदास क्यों हो? मारिया पहले तो उस परी को देखती रही फिर मायूस होकर बोली, “आज मेरा एक भी लांटेन नहीं बिका है “अब मैं अपने पिता जी के लिए क्या लेकर जाउंगी? यह सुनकर परी बोली, मगर तुम तो इतनी छोटी हो, तुम लांटेन क्यों बेचती हो? तुम्हारे पिता क्या करते हैँ? मारिया की आँखों से आंसू गिर पड़े, वह बोली, मेरे पिता जी बीमार हैँ इसलिए मुझे लांटेन बेचकर पैसे कमाने पड़ते हैँ |

गरीब बच्ची और परी की कहानी

यह सुनकर परी भी उदास हो गयी लेकिन परी ने हँसते हुए मारिया का हौसला बढ़ाया और उसे शाबासी दी की वह इतनी काम उम्र मे अपने पिता के लिए लांटेन बेचकर अपना घर चलाती है |यह सुनकर मारिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी | परी ने मारिया से पूछा, मारिया स्वादिष्ट खाना खाओगी? मारिया ने हामी भरकर सर हिला दिया |परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और देखते ही देखते मारिया के सामने स्वादिष्ट पकवान आ गए |मारिया ने इतना सारा खाना पहले कभी नहीं देखा था |परी ने कहा, मारिया जी भर कर खाना खाओ |मारिया ने भरपेट खाना खाया | खाना खाने के बाद मारिया बोली, मैंने तो खाना कहा लिया लेकिन घर ओर मेरे पिता नर कुछ भी नहीं खाया होगा |

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परी मुस्कुराते हुए बोली, चिंता मत करो मारिया मैं तुम्हे तुम्हारे घर भी छोड़कर आउंगी और तुम्हारे पिता को भी स्वादिष्ट भोजन खिलाऊंगी |ये कहकर परी ने मारिया को अपने जादुई कद्दू मैं बैठाया और वो दोनों मारिया के घर पहुँच गए |परी ने मारिया के पिता को भी अच्छा अच्छा खाना खिलाया और छड़ी घुमाकर उनके पुराने टूटे फूटे घर को एक पक्के घर में बदल दिया | घर को अच्छा होते देख मारिया और उसके पिता बहुत खुश हुए |परी ने अपने जादू से खाने पीने का सामान भी मारिया को दिया ताकि उसको लांटेन ना बेचने पड़े| परी ने अपने जादू से रुपयों से भरा एक बड़ा थैला भी मारिया के पिता को दिया |

परी ने मारिया के सर पर प्यार से हाथ फेरा और मारिया की आँखों से ओझल हो गयी |मारिया अब बहुत खुश थी | अब उसे लांटेन बेचने के लिए और अपने पिता के इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ता था |

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

एक भेड़िये ने गाँव में कबूतरों के बाड़े के पास नीचे खुदाई करके अपने लिए रास्ता बना रखा था | वह रोज़ रात को चोरी से कबूतरों के बाड़े में जाता और कबूतर खाकर अपना पेट भरकर वापस आ जाता |उसकी इस हरकत के बारे में किसी को पता नहीं चलता था | बाड़े में बहुत सारे कबूतर थे इसलिए किसान को उसकी हरकत के बारे में पता ही नहीं चला|
एक दिन भेड़िया कबूतर खा कर बाहर आ रहा था कि उसे बिल्ली ने देख लिया | बिल्ली ने पूछा तुम कहाँ से आ रहे हो ? भेड़िया बोला – “मैं तो दावत उड़ा कर आ रहा हूँ | तुम भी दावत उड़ाना चाहती हो तो मेरे साथ आ सकती हो | अन्दर बहुत ही स्वादिष्ट कबूतर हैं |”

बिल्ली घर में क्योँ रहती हैं – बिल्ली की कहानी बच्चो के लिए

बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |
बिल्ली की समझदारी | Hindi Story for kids |

भेड़िये की बात बिल्ली को अच्छी लगी | उसके मुंह में पानी आ गया | अलगे दिन वह भी भेड़िये के साथ चल पड़ी | बिल्ली थोड़ी समझदार थी वह भेड़िये से बोली -“इंसान बहुत चालाक होते हैं , इसलिए इनसे सावधान रहना |”
भेड़िया शेखी भंगारते हुए बोला -” अरे ! मैं तो बहुत दिनों से यहाँ कबूतर खाने आता हूँ | किसी को खबर तक नहीं हुई , तुम चिंता मत करो |”

फँस गये बिल्ली और भेड़िया ( Hindi cat story for kids )

भेड़िये और बिल्ली ने कुछ दिन तो मज़े उड़ा लिए , लेकिन एक दिन किसान को उनके बारे में पता चल ही गया |
किसान ने अपने नौकरों से कह कर एक गहरा गड्ढा खुदवाया और उसे पत्तो से ढक दिया | अगले दिन जब भेड़िया और बिल्ली आए ,तो वो दोनों उस गड्ढे में धडाम से जा गिरे |

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भेड़िया बोला , “तुम सही कह रही थी , हमे सावधान रहना चाहिए था | तुम समझदार हो | अब तुम ही यहाँ से बाहर निकलने का तरीका बताओ |”
बिल्ली बोली – “हमे मरने का झूठा नाटक करना पड़ेगा |

तभी हम इस गड्ढे से बाहर निकल सकते हैं | किसान और उसके नौकर हम पर लाठियां बरसा सकते हैं , लेकिन हमें दर्द सहना पड़ेगा और हमें बिल्कुल भी हिलना नहीं हैं |जब उन्हें यकीन हो जायगा कि हम मर गए हैं तो वो हमे खुद ही बाहर फेंक देंगे |”

बिल्ली की कहानी


भेड़िये को बिल्ली की बात सही लगी | जब किसान और उसके नौकर भेड़िये और बिल्ली को देखने आये तो वो दोनों मरने का नाटक कर के लेट गए | किसान उन दोनों को हिला-डुलाकर देखने लगा ,लेकिन वो दोनों बिलकुल नहीं हिले | तब किसान को यकीन हो गया कि वो दोनों मर गए हैं |

उसने अपने नौकरों से कहा कि इन् दोनों को गड्ढे से निकालकर बहार फेंक दो |
उन्होंने दोनों को गड्ढे से निकाला और बाहर फेंक दिया | इस तरह दोनों की जान बच गयी | उस दिन के बाद से भेड़िया और बिल्ली कबूतरों के बाड़े के आस-पास भी नहीं दिखे|

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