Kids Stories In Hindi – कौवे की कहानी

कौवे की कहानी | मोनु के घर के सामने एक बड़ा सा आम का पेड़ था। जिसमें एक कौवे का जोड़ा रहता था। जिनका नाम चिंटू-मिन्टू था।

एक दिन बड़ी तेज आंधी आयी और उनका हौसला गिर गया। दोनों ही बहुत उदास हो गए। चिंटू ने मिन्टू से कहा, “अब क्या करें जब तक घोसला बन नहीं जाता तब तक हम क्या करेंगे?”

मिन्टू ने कहा देखो इस घर की मालकिन ने झाड़ू बाहर ही रखा हुआ है। तुम इससे तिनका निकालकर घोंसला बनाओ मैं कहीं पास से सूखी घास ही ले आती हूं। अगर हम मिलकर घोंसला बनाएंगे तो घोंसला आज ही बन जाएगा।

चिंटू ने कहा, “ठीक है।“ और दोनों काम पर लग गए। दोनों ने मिलकर के घोंसला बनाया। अगले दिन मोनु की मम्मी ने आम के पेड़ के नीचे लौकी की बेल लगा दी।

कोव्वे की कहानी

2 महीने बाद लौकी की यह बेल आम के पेड़ के ऊपर पहुँच गयी। वो बेल लगातार बढ़ती रहती थी। बेल में लौकी भी लगने लग गई थी।

एक दिन मोनु की मम्मी आम के पेड़ पर लगी हुई बेल से लौकी तोड़ रही थी। चिंटू ने सोचा यह महिला मेरे हौसले को नुकसान पहुंचाना चाहती है। तो चिंटू कांव-कांव करने लगा । चिंटू की कांव-कांव सुनकर मिन्टू भी आ गयी।

मिन्टू ने चिंटू से पूछा की क्या हुआ तुम इतने घबराये हुये क्यों दिखाई दे रहे हो। चिंटू ने बताया की ये महिला सायद हमारे घोंसले को नुकसान पहुचाना चाहती है। मिन्टू ने कहा, “तब तो हमे अब सतर्क रहना पड़ेगा।“

चिंटू बोला, “लेकिन मैं अब इस महिला को नहीं छोड़ूँगा। हमने इसके झाड़ू से अपना घोंसला बनाया है। सायद तब ये पेड़ पर चड रही थी।“  

उस दिन से जब भी वह महिला घर से बाहर आती तो चिंटू उड़कर आता ओर उसके सिर में अपनी चोंच से मारता था। महिला को समझ नहीं आता था कि कव्वा ऐसा क्यों कर रहा है। 

अगले दिन मिन्टू ने अपने घोंसले में अंडे दिए। मिन्टू ने सोचा की जब चिंटू घर आएगा तो वो अंडे देखकर बहुत खुस होगा। लेकिन चिंटू जब घर आया तो वह खुश होने के बजाय उदाश हो गया। मिन्टू ने चिंटू से उसकी उदासी का कारण पूछा। तो चिंटू ने कहा की मुझे इस बात का डर है कहीं वह महिला हमारे बच्चों को नुकसान ना पहुचाये।

Hindi story for kids

शाम को मोनु की मम्मी लौकी तोड़ने को पेड़ पर चड़ी और जो लौकी सबसे ऊपर लटक रही थी उसे तोड़ लाई।  चिंटू ने देख लिया कि महिला लौकी तोड़ रही है पर उसे लगा कि कहीं महिला उनका घोंसला ना तोड़ दे। तो उसने महिला के सर में मानना शुरू कर दिया। मोनु की मम्मी को कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहा है।  

एक दिन मोनु आम के पेड़ के नीचे ही बैठा था। एक सांप पेड़ पर चढ़ रहा था। मोनु पेड़ के ओर पीठ करके बैठा था। तो उसे पता नहीं चला की साँप पेड़ मे चढ़ने की कोसिस कर रहा है। लेकिन चिंटू कौवे ने साँप को पेड़ मे चढ़ते देख लिया था।

चिंटू के अंडों से अभी बच्चे बाहर भी नहीं निकले थे । चिंटू समझ गया था की साँप उसके अंडों को खाने के लिए ही पेड़ में चढ़ रहा है। उसने शोर करना शुरू कर दिया। शोर सुनकर पास मे दाना चुगने गयी मिन्टू फटाफट चिंटू के पास आ गयी।

kavve ki kahani

साँप को देख कर मिन्टू भी बहुत डर गयी। दोनों ने शोर करना सुरू कर दिया। दोनों की कांव-कांव सुनकर आसपास के सभी कौवे अपने झुंड के साथ आ गए । लेकिन साँप को देखकर किसी की हिम्मत पेड़ के पास जाने की नहीं हो पायी।

अब सभी कौवे शोर करने लगे। इतना ज्यादा शोर सुनकर मोनु का ध्यान कौवों के ऊपर गया । उसने सोचा की ये कौवे क्यों इतना कांव-कांव कर रहे हैं । जैसे ही मोनु ने पीछे देखा तो उसने साँप को पेड़ मे चढ़ते देखा। मोनु ने अपनी मम्मी के साथ मिलकर उस साँप को भागा दिया।

साँप के भाग जाने पर मिन्टू चिंटू को सांस मे सांस आई। उन्होने सभी कौवों का धन्यवाद किया। अब मोनु को पता चल गया था की इस पेड़ मे कौवे रहते हैं। मोनु कुछ भी खाता तो वह मिन्टू और चिंटू के लिए रोज घर के बाहर कुछ ना कुछ रख देता था।

Baccho ke liye hindi kahani-कौवे की कहानी

एक दिन मिन्टू ने देखा एक नेवला उनके घोंसले की तरफ बढ़ रहा था। उसके बच्चे अभी अभी अंडों से बाहर आए थे। वह जोर-जोर से कांव-कांव करने लगी ताकि कोई उसकी आवाज सुन ले।

दिन का समय था कोई भी बाहर नहीं था। मिन्टू उड़ के मोनु के कमरे के बाहर पहुंची और कांव-कांव करने लगी।

मोनु अपने कमरे में पढ़ रहा था। मोनु का सारा ध्यान अपनी पड़ाई में था। इसलिए उसने मिन्टू को नहीं देखा।  तभी मिन्टू उसकी खिड़की में अपनी चौक से टकटक मारने लगी।

मिन्टू को मोनु ने देख लिया और उसको लगा कि आज दोपहर में मिन्टू को क्या हो गया है जो यहां खिड़की में मार रही है। मोनु मिन्टू के पीछे गया तो उसने देखा एक नेवला पेड़ में चढ़ रहा है।

मोनु ने फटाफट से लकड़ी उठाई और नेवले को पेड़ से नीचे गिरा दिया। फिर नेवला भागने लगा तो मोनु ने उसे बहुत दूर तक भगाने के लिए उसका पीछा किया और नेवले को दूर तक भगा दिया। अब चिंटू- मिन्टू को समझ आ गया की मोनु ओर उसकी मम्मी से उन्हें कोई नुकसान नहीं है। अब चिंटू ने भी मोनु की मम्मी को परेशान करना बंद कर दिया। फिर सब खुशी-खुशी रहने लगे।

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तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी : हाथियों का उपहार | तेनालीरामा अपनी बुध्द्धिमनी के कारण राजा को बहुत प्रिय था। महाराज पर आने वाली किसी भी समस्या का हल तेनाली के पास होता था। इसी वजह से महाराज तेनाली को भेट स्वरूप कुछ न कुछ देते रहते थे।

एक बार महाराज ने तेनाली से प्रसन्न होकर उसे 4 हाथी उपहार में दिये। तेनाली महाराज के दिये उपहार को वापस भी नहीं कर सकता था। इसलिए तेनालीराम दुविधा में पड़ गया की वह अब क्या करे।

क्योंकि उसके लिए हाथी को पालना आसान काम नहीं था। तेनाली एक गरीब ब्राह्मण था, ये बात अलग है की महाराज उसे समय-समय पर कुछ न कुछ भेंट स्वरूप दे दिया करते थे।

लेकिन वह चार हाथियों को नहीं पाल सकता था। उसे ज्ञात था की हाथियों को खिलाने के लिए बहुत अनाज की आवश्यकता होती है। उसके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना ही बड़ी समस्या थी।

तेनालीराम की कहानी

लेकिन बिना किसी विरोध के तेनालीरामा हाथियों को राजा का उपहार होने के कारण अपने घर ले आया। तेनालीरामा की पत्नी ने जैसे ही तेनाली को चार हथियों के साथ देखा तो वह चोंक गयी,

और जब उसे पता चला की ये हाथी अब उन्हीं को पालने हैं तो वह बोली की हमारे रहने के लिए तो जगह है नहीं, तुम इन चार हथियों को कहाँ रखोगे।

हमारे पास अपने लिए खाने को तो अनाज होता है नहीं हम इनको क्या खिलाएंगे। यदि महाराज इन चार हाथियों की जगह पर हमें चार गाय देते तो कम से कम हम उनका दूध पीकर अपना गुजारा तो करते।

पत्नी की खरी-खोटी सुनने के बाद तेनाली ने इन हाथियों से छुटकारा पाने की एक योजना बनाई। वह उठा ओर अपनी पत्नी से बोला, “में इन हाथियों का कुछ इंतजाम करता हूँ तुम चिंता मत करो।“

तेनाली हाथियों को अपने साथ काली मंदिर में ले गया। वहाँ जाकर उसने पहले तो सभी हाथियों को तिलक लगाया, फिर सभी हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। और उन्हें वहीं छोड़ आया।

तेनालीराम की कहानी – हाथियों का उपहार

चारों हाथी नगर में घूमने लगे। कुछ भले लोग उन हाथियों को कभी कुछ खाने को दे देते तो कभी वह बेचारे हाथी भूखे ही पड़े रहते ओर लोगों की फसलों को नुकसान पहुँचते।

जल्दी ही हाथी कमजोर हो गए ओर नगरवासी भी अब उन हाथियों से परेशान रहने लगे। हाथियों की ये अवस्था देख कुछ लोग राजा के पास गए ओर उन्होंने तेनाली के हाथियों के बारे में राजा को बताया।

तेनाली द्वारा हाथियों के साथ ऐसा व्यवहार सुन राजा बहुत नाराज हुये उन्होंने तेनाली को राजदरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। जब तेनाली दरबार में आया तो राजा ने तेनाली से पूछा,

“ तुमने हाथियों को नगर में क्यों छोड़ दिया मैंने वो हाथी तुम्हें उपहार स्वरूप दिये थे?”

तेनाली ने महाराज को बताया की उन्होंने हाथी उसे उपहार में दिये थे। वह अगर उन्हें लेने से माना कर देता तो महाराज उस से नाराज भी हो सकते थे।

यह सोचकर उसने उन हाथियों को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन वह उन्हें पाल नहीं सकता, क्योंकि वह एक गरीब ब्रह्मांड है। वह उन चार हाथियों का अतिरिक्त बोझ कैसे उठता।

इसलिए उसने इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर दिया। महाराज तेनाली की बात अच्छे से सुन रहे थे की तेनाली बोला,

तेनालीराम की कहानी

“महाराज अब आप ही बताइये अगर आप इन चार हाथियों की जगह मुझे कुछ गाय ही दान में दे देते तो कम से कम उनका दूध पीकर मेरे परिवार का भरण पोषण तो होता।’’

राजा को तेनाली की कही बातें सही लगी और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, की एक गरीब व्यक्ति हाथियों का क्या करेगा? महाराज ने कहा,

“अगर मैं तुम्हें गाय दूंगा तो तूम क्या उनके साथ भी ऐसा ही करोगे।“ तेनाली बोला,

“नहीं महाराज गाय तो एक पवित्र जानवर है उस से मुझे दूध भी मिलेगा, जिसे मेरे बच्चे पीएंगे और में गायों का भरण पोषण भी कर सकता हूँ, गायों को छोड़ने की जगह में तो आपको धन्यवाद दूंगा।“

महाराज ने तुरंत आदेश किया की तेनाली को चार गाय उपहार स्वरूप दी जाए और उन चारों हाथियों को नगर से वापस राज महल लाया जाए।

Tenali Rama Elephant Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Elephant Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए। सुई की जगह कभी तलवार काम नहीं आ सकती और न तलवार की जगह पर सुई से काम बन सकता है|

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