तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

तेनालीराम की कहानी

परियों का नृत्य | एक बार गोविन्द नाम का एक व्यक्ति राजा के राजदरबार में आया। वह काफी दुबला-पतला सा था। वह दरबार में पहुंचा और राजा से बताया कि वह रूपदेश से आया है और वह दुनिया घुमने के लिए निकला है।

गोविन्द ने राजा से कहा की कई जगह घूमने के बाद वह राजा के दरबार में पहुंचा है।गोविन्द के मुह से यह सुनकर राजा बहुत खुश हुए। तब राजा ने एक विशेष मेहमान के रूप में उसका आदर सत्कार किया।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

गोविन्द को राजा द्वारा सम्मान और इतना सम्मान देते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। उसने राजा से कहा, “महाराज मैं आपको एक एसी जगह के बारे में बताता हूँ जहां बहुत सारी परियाँ रहा करती हैं यहाँ तक की मेरे बुलाने पर वो परियाँ यहाँ भी आ सकती हैं।‘’

जैसे ही महाराज ने यह सुना तो वह बड़े ही उत्साहित हो गए और बोले, “ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है परंतु इसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?

जैसे ही गोविन्द ने यह सुना तो उसने तुरंत महाराज से कहा की महाराज आप आज रात को तालाब के पास आ जाइएगा। मैं वहाँ पर परियों को नृत्य के लिए बुलवाऊंगा। राजा गोविन्द की बात मान गए।

फिर रात होते ही राजा अपने घोड़े पर बैठे और तालाब की ओर चल दिये। वहाँ पास ही एक क़िला था जैसे ही राजा तालाब पर पहुंचे, उन्होंने देखा सामने के किले पर गोविन्द उनका इंतजार कर रहा है।

तेनालीरामा की कहानी : परियों का नृत्य

राजा उसके पास गए तो गोविन्द ने उनका स्वागत किया और बोला, “महाराज मैंने सारा इंतेज़ाम कर दिया है और सभी परियां किले के अंदर मौजूद हैं।”

जैसे ही राजा और गोविन्द किले के अंदर जाने लगे, तब गोविन्द को वहाँ पर उपस्थित सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ। राजा ने पूछा, “क्या चल रहा है? तुम सब गोविन्द को गिरफ्तार क्यों कर रहे हो?”

तब तेनालीरामा जो किले के भीतर था और बोला, “महाराज मैं जनता हूँ की यहाँ क्या चल रहा है मैं आपको बताता हूँ।“

तेनाली ने कहा, “महाराज, यह गोविन्द कोई यात्री नहीं है, यह एक देश जिसका नाम रूपदेश है उसका रक्षा मंत्री है। यह यहाँ आपको धोखे से मारने आया हुआ है। इस किले में कोई पारियाँ नहीं हैं यह तो इसकी एक चाल थी।“

तेनालीरामा की बातें सुनकर राजा ने उसे अपनी जान बचाने हेतु धन्यवाद दिया और पूछा, ‘’तुम्हें यह कैसे पता चला, तेनाली राम ?’’

तब तेनाली राम बोला कि पहले दिन ही मुझे गोविन्द पर शक हो गया था महाराज। उसके तुरंत बाद मैंने कुछ जासूसों को इसके पीछे लगा दिया था। तभी मुझे इसकी इस घिनौनी योजना का ज्ञान हुआ।

राजा तेनालीराम  से बड़े ही खुश हुए और राजा ने कहा की हम इसके लिए आपके सदा ही आभारी रहेंगे।

Tenali Rama Short Story से हमने क्या सीखा:

इस Tenali Rama Short Story से यह पता चलता है कि बिना जांच पड़ताल के कभी भी किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।  ( बच्चो के लिए एजुकेशनल websiteक्लिक करें )

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