मुर्गी के अंडे और बिल्ली |एक बार एक मुर्गी ने बारह अंडे दिए थे | वह रोज़ अपने लिए दाना खोजने जाती थी | एक दिन जब वह दाना खोज कर वापस आयी, तो वहां पर केवल दस अंडे ही बचे थे | उसने हर जगह अपने खोये हुए अंडो को ढूँढा, लेकिन उसके अंडे नहीं मिले | वह दोबारा अपने अंडो को गिनने लगी |लेकिन उसने देखा दो अंडे कम ही थे | मुर्गी बहुत उदास हो गई |
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वह मुर्गे को बताने के लिए बाड़े से बाहर गई | मुर्गा सुनकर बहुत उदास हो गया | मुर्गा और मुर्गी दोनों यह नही जानते थे कि उनके अंडे एक बिल्ली ने चुराए थे | उनके बाड़े के कोने में एक बिल्ली रहती थी, जो उनके अंडो के इंतज़ार में छिप कर बैठी रहती थी | अगले दिन जैसे ही मुर्गी दाने की तलाश में बाहर गई, वैसे ही बिल्ली बाहर आयी और एक अंडा चुरा कर फिर से कोने में छिप गई | बिल्ली को मुर्गी से सावधान रहना पड़ता था | वह मुर्गी के जाने पर चुप चाप अंडा चुरा कर खा लेती, और मुर्गी के आने से पहले ही अपनी जगह पर आकर छुप जाती |
मुर्गी ने वापस आ कर देखा, तो फिर से अंडे गिनती में कम निकले | अब मुर्गी को चिंता होने लगी कि उसके अंडे आखिर जा कहाँ रहे हैं? उसने मुर्गे से पूछा, कि हमारे अंडे कहाँ गायब हो रहे हैं? मुर्गा बहुत आलसी था | उसने मुर्गी की बात पर कोई ध्यान नही दिया और बहाना बनाकर वसेहां चला गया | मुर्गी ने खोजबीन करना शुरू किया कि उसके अंडे कौन चुराता है |
मुर्गी के अंडे और बिल्ली
कुछ दिनों बाद उसे पता चला कि उसके बाड़े के भीतर एक बिल्ली है जो रोज़ उसके अंडे चुरा लेती है | अगली सुबह मुर्गी जान बूझकर दाना चुगने बाहर चली गई | मौका पाते ही बिल्ली अंदर आ गई | वह और अंडे खाना चाहती थी | उसने जैसे ही अंडा उठाया और खाने की कोशिश की, वह अंडा उसके गले में फंस गया | दरअसल मुर्गी ने अंडे की जगह संगमरमर का टुकड़ा वहां रख दिया था |
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बिल्ली ने संगमरमर के टुकड़े को अंडा समझ कर निगल लिया था | बिल्ली का गला दुखने लगा उसने फ़ौरन वह टुकड़ा अपने मुँह से बाहर थूक दिया | बिल्ली घबरा गई और वह अपनी जान बचा कर वहां से भाग गई और फिर कभी वापस नहीं आई |अब मुर्गी और उसके बचे हुए अंडे सुरक्षित थे | मुर्गी ने अपनी सूझ बूझ से अपने अंडो को बचा लिया था |