तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

तेनालीराम की कहानी

तेनालीराम की कहानी | एक बार राजा के दरबार में एक बहेलिया आया। राजा ने बहेलिया को देखा तो वह बहुत खुश हुए, क्योंकि राजा जानवरों और पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे और बहेलिये ने उनके दरबार में एक रंगीन सुंदर पक्षी लाकर सबको खुश कर दिया था।

जैसे ही बहेलिया दरबार में पहुँचा, बहेलिया ने कहा, “महाराज, मैंने इस सुंदर और विचित्र पक्षी को जंगल से कल ही पकड़ा है। इसकी आवाज बहुत ही सुरीली है और यह तो तोते की तरह बात कर सकता है।

महाराज यह मोर की तरह नृत्य भी कर सकता है। आपके जानवरों और पक्षियों के प्रति प्रेम की बात मैंने सुनी थी, इसलिए मैं इस पक्षी को बिक्री के लिए आपके पास ले आया।‘’

महाराज बहुत खुश हुए और कहा, ‘’यह पक्षी सुंदर दिखता है। मुझे इसे अवश्य खरीदना है और इसके बदले मैं आपको उचित मूल्य भी दूंगा।”

यह कहते हुए राजा ने बहेलिया को 25 सिक्के दिए और यह आदेश हुआ की पक्षी अब शाही बगीचे में ही रहेगा।

यह देखकर तेनालीरामा शांत नहीं रह सका और उसने उठकर कहा, “मुझे लगता है कि इस पक्षी ने कई सालों से स्नान भी नहीं किया है। महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी मोर की तरह नाच सकता है।“

तेनालीराम की कहानी : विचित्र पक्षी

यह सुनकर बहेलिया घबरा गया और उदास मुंह बनाते हुए बोला, ‘’राजन, मैं बहुत गरीब परिवार से आता हूँ। पक्षियों को पकड़कर और उन्हें बेचकर ही मैं अपने परिवार को चलता हूँ।

मैं जितना जानवरों और पक्षियों को जानता हूं उसे किसी भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और न ही उस पर कोई संदेह किया जाना चाहिए।

हाँ मैं गरीब तो हूँ, लेकिन मुझे झूठा बतलाकर तेनालीरामा जी मेरा और मेरी काबिलीयत का अपमान कर रहे हैं।“

बहेलिया की बातें सुन कर महाराज तेनाली पर नाराज हो गए और बोले, “तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है? तुम पहले अपनी बात साबित कर के दिखाओ।“

तब तेनाली ने कहा, “महाराज, मैं इसे साबित कर सकता हूं।” तेनाली एक पात्र में पानी लाया और उसे पक्षी पर डाल दिया जो पिंजरे में बंद था। जैसे ही यह हुआ, दरबार में बैठे सभी लोग स्तंभित हो गए और पक्षी को देखने लगे।

जैसे ही राजा ने भी पक्षी को देखा तो वो भी अचरज में पड़ गए। जैसे ही तेनालीरामा ने पक्षी पर पानी डाला, उस पर से सारा रंग बह गया। वह पक्षी पिंजरे में बंद था और पक्षी हल्के भूरे रंग का हो गया।

Tenaliram ki kahani : तेनालीराम की कहानी

राजा हैरान हो गए। तेनाली ने जल्दी से राजा से कहा कि “महाराज, यह कोई अनोखा पक्षी नहीं बल्कि एक जंगली कबूतर ही है’’।

तेनाली से महाराज ने पूछा, “इस पक्षी पर रंग किया गया है इस बात का ज्ञान तुम्हें कैसे हुआ तेनाली?” तेनाली ने कहा,

“महाराज जब मैंने बहेलिये के नाखूनों को देखा तो उनका रंग इस पक्षी के रंग से मिल रहा था। बहेलिया के नाखून और पक्षी का रंग एक समान है। इससे मुझे पता चला की ये रंग तो बहेलिये ने ही पक्षी पर रंगा हुआ है।”

बहेलिया यह सब देखकर घबरा गया और भागने लगा पर उसे पकड़ लिया गया। राजा ने उसे बंधक बनाने का आदेश दिया।

उस बहेलिया को जो 25 सोने के सिक्के दिये गए थे, अब वही सिक्के महाराज ने खुश हो कर तेनालीरामा को दे दिये।

Thenali Raman Story से हमने क्या सीखा:

इस Thenali Raman Story से हमें यह सीख मिलती है की हमें भावनाओं में आकार कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कोई भी असामान्य बात होने पर उसकी जांच पड़ताल किए बिना उसे सत्य नहीं मानना चाहिए।