कबूतर की कहानी | गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत शांत रहने वाला बच्चा था। उसको दोस्त बनाना बहुत अच्छा लगता था। पर असल जिंदगी में उसका कोई दोस्त नहीं था।
स्कूल में भी कोई उससे बात नहीं किया करता था। जब वह स्कूल जाता तो बच्चे उसका मजाक बनाते थे और कहते थे कि राजू का कोई दोस्त ही नहीं है। राजू घर जाकर अपनी मम्मी को सारी बातें बताता था।
राजू हमेशा उदास ही रहा करता था। उसकी मम्मी ने एक दिन राजू से कहा, “देखो बेटा राजू तुम परेशान मत हुआ करो, तुम्हारे दोस्त पक्का बन जाएंगे। तुम अपना टिफिन अपने क्लास के बच्चों के साथ बांटो तो तुम्हारे दोस्त खुद बन जाएंगे।“
मम्मी की बात सुनकर राजू खुश हो गया की अब वह कल स्कूल जाएगा और अपना टिफ़िन अपने सहपाठियों के साथ बांटकर खाएगा। जिससे उसके भी बहुत सारे दोस्त बन जाएंगे।
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राजू ने अगले दिन सुबह अपनी मम्मी से टिफिन में ज्यादा खाना डालने को कहा। राजू स्कूल गया जैसे ही लंचटाइम हुआ, राजू के पास कोई बैठा ही नहीं। सब बच्चे अपने अपने दोस्तों के साथ चल दिए।
राजू उठा और बाहर चला गया। राजू ने थोड़ा सा ही खाना खाया। राजू बहुत उदास हुआ कि उसका कोई दोस्त नहीं बनेगा।
बच्चो के लिए हिन्दी कहानी -कबूतर की कहानी
अचानक उसे आसमान में कबूतर दिखाई दिया। जो उड़कर स्कूल की दीवार पर बैठ गया। राजू ने अपने टिफिन से रोटी निकाली और उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए। रोटी के टुकड़े राजू ने कबूतर के सामने फेंक दिए।
कबूतर पहले तो डर रहे थे। उन्होने देखा राजू कितने प्यार से रोटी को तोड़कर उनके लिए डाल रहा था। कुछ देर बाद एक कबूतर ने चुपके से एक रोटी का टुकड़ा उठा लिया। उसको देख के फिर सारे कबूतरों ने रोटी खाई।
रोज-रोज राजू यही करता। वह स्कूल जाता और घर से कबूतर के लिए भी खाना लाया करता। राजू और कबूतरों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।
एक बार राजू को आसमान में उड़ती हुई चिड़िया दिखाई दी, जो बहुत तेज उड़ रही थी। राजू उसे देखता रहा। जब वह चिड़िया थक गई तो वह पेड़ पर बैठ गई।
उसने अपने मुंह में अपना बच्चा दबा रखा था। राजू हैरान हो गया और उसने अपने दोस्त कबूतरों को बुलाकर यह सब बात बताई।
उनमें से एक कबूतर उड़ कर चिड़िया से सारा हाल पूछने के लिए चल दिया। जब कबूतर राजू के पास आया तो उसने राजू को बताया कि चिड़िया का बच्चा चिड़िया से बहुत जिद करता है कि उसे भी देखना है कि उड़ते हुए कैसा लगता है।
Kabootar Ki Kahani
बच्चा चिड़िया को बहुत परेशान किया करता है। ना वह चिड़िया का लाया हुआ खाना खाता है ना ही उससे प्यार से बात करता है। सिर्फ अपनी ज़िद पर ही अटके रहता है। जिस कारण बेचारी चिड़िया उसे मुंह में दबाकर ही घूमती है।
राजू ने सोचा चिड़िया का बच्चा तो बड़ा जिद्दी है। राजू ने कबूतर से कहा की जाओ चिड़िया को यहां बुला लाओ। मेरे पास एक युक्ति है।
कबूतर चिड़िया को बुलाने उड़ गया। शाम को चिड़िया और कबूतर राजू से मिले राजू ने युक्ति सभी को बताई। सबको राजू की योजना पसंद आई।
युक्ति के तहत उसी शाम चिड़िया अपने बच्चे को मुंह में दबाए उड़ रही थी। वह उड़ते उड़ते एक नदी के किनारे पहुंचने ही वाली थी कि उसके मुंह में दबा उसका बच्चा मुंह से छूट गया।
और नदी में बैठे मगरमच्छ की पीठ पर जा गिरा। मगरमच्छ सोया हुआ था। उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया क्योंकि वह बच्चा बहुत ही छोटा था।
पर गिरते ही वह जोर जोर से रोने लगा। इस वजह से मगरमच्छ की नींद खुल गई। मगरमच्छ ने सोचा आज कुछ तो खाने को मिलेगा। वह हिलने लगा ताकि बच्चा पानी मे गिर जाय।
कबूतर की कहानी – हिन्दी कहानी
चिड़िया का बच्चा और डर गया। इतने में राजू मगरमच्छ के सामने आकर कुछ दूरी बना कर खड़ा हो गया। मगरमच्छ ने कहा, “वाह! कितना बढ़िया दिन है ।आज तो दिन में ही शिकार मिल गया रात को काम नहीं करना पड़ेगा।“
मगरमच्छ अपने ऊपर गिरे चिड़िया के बच्चे को भूल कर राजू की तरफ तेजी से बढ़ने लगा। जैसे ही मगरमच्छ पानी से बाहर आया, तो ऊपर से चिड़िया ने आकर अपने बच्चे को उसकी पीठ से झटपट उठा लिया।
मगरमच्छ राजू का शिकार करना चाहता था। वह राजू के पास पहुंचने ही वाला था कि कबूतरों का बड़ा झुंड वहां अपने मुंह में पत्थर भरकर पहुंच गया। कबूतरों ने अपने मुंह से पत्थरों को मगरमच्छ पर फेंकना शुरू कर दिया।
इतने में मौका देख कर राजू वहां से भाग निकला। चिड़िया अपने बच्चे को घोसले में ले गई। वह बहुत डरा हुआ था। चिड़िया ने अपने बच्चे को समझाया की बच्चों को हमेसा बड़ों का कहना मानना चाहिए।
बड़ों का कहना न मानने से मुसीबत का सामना करना पड सकता है । अब उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी कि ऐसे उड़ना उसके लिए जोखिम भरा है। चिड़िया के बच्चे ने कहा की आज से वो जिद नहीं करेगा । ओर हमेसा अपनी मम्मी का कहना मानेगा।
चिड़िया राजू के पास आई और बोली तुम्हारी युक्ति काम कर गई मेरा बच्चा अब जब तक खुद उड़ना नहीं सीख जाए तब तक वह घोसले में ही रहेगा। राजू और उसके बहुत सारे कबूतर दोस्तों को बहुत खुशी हुई।
अब राजू को उसके बहुत सारे दोस्त मिल चुके थे। कबूतरों और चिड़िया से राजू की दोस्ती देखकर स्कूल मैं भी उससे सब बच्चे बात करने लगे और बहुत सारे बच्चे राजू के दोस्त बन गए थे। ( 25 फलो के नाम )
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