शेर और खरगोश की कहानी |एक जंगल में एक बड़ा ही खतरनाक शेर रहता था। जब भी वह भूखा होता तो एक कमजोर जानवर को दबोच कर उससे कहता, “जाओ अपने परिवार के सबसे हष्ट-पुष्ट जानवर को मेरे पास लेकर आओ वरना, मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा। सभी जंगली जानवरों को उस शेर का बड़ा ही खोफ था।
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एक बार उस शेर ने एक खरगोश को पकड़ लिया और उससे कहा, “जाओ और अपने परिवार के सबसे तगड़े खरगोश को लेकर आओ नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खा जाऊंगा । ” खरगोश ने शेर से कहा, “शेर महाराज आप तो बड़े ताकतवर हैं। मैं तो बहुत छोटा सा जानवर हूँ। मुझे खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। आप तो बड़े दयावान लगते हैं कमजोर जनवारों का शिकार करना आपको शोभा नहीं देता है। आप मुझे छोड़ दीजिये और किसी तगड़े शिकार की तलाश कीजिये, जिस से आपका पेट भर सके ।”
शेर अपने तारीफ सुनके गदगद हो गया और गर्व से अपना सीना चौड़ा कर के बोला, “हाँ तो मैं किसी कमजोर शिकार को क्यों खाऊ भला, तुम जानवरों ने मुझे समझा क्या है ? इस जंगल में कोई भी जानवर मुझ से ज्यादा बलशाली नहीं है इस लिए मैं भूख मिटाने के लिए तुम जैसे छोटे जानवरों का शिकार कर लेता हूँ ।”
खरगोश बहुत चतुर था । उसने कहा, “महाराज शेर मुझे आपके ही जैसे बलशाली और ताकतवर शेर की एक कहानी याद आ रही है, आप कहो तो मैं आपको सुना सकता हूँ।” खुद की तुलना एक बलशाली शेर से होता देख शेर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था ।
शेर और खरगोश की कहानी
शेर ने खरगोश को कहानी सुनाने की अनुमति दे दी । खरगोश को एक कहानी याद थी जो उसके दोस्त चूहे ने उसे कुछ दिन पहले ही सुनाई थी । खरगोश ने वही कहानी शेर को सुनाई :-
“महाराज एक जंगल में एक बहुत ही ताकतवर शेर रहता था । उसकी भुजाओं में इतना बल था की वो अपने एक पंजे से हाथी को गिरा दे। जंगल के सभी जानवर उस से डरते थे लेकिन वो कभी भी किसी कमजोर जानवर का शिकार नहीं करता था ।”
शेर को खरगोश की सुनाई कहानी बहुत ही पसंद आई , क्योंकि शेर कहानी के शेर की तुलना खुद से कर रहा था । उसे एसा लग रहा था मानो वो ही इस कहानी का बलशाली शेर है। शेर के सबसे छोटे बेटे को भी उसकी कहानी पसंद आई ।
शेर ने खरगोश को कहा, “आज से रोज शाम को तुम मुझे और मेरे बेटे को यहाँ आ कर कहानियाँ सुनाया करोगे। और जिस दिन भी तुम नहीं आओगे, तो तुम्हारे परिवार का एक सदस्य कम हो जाएगा , मैं उसे खा जाऊंगा।
खरगोश परेशान हो गया ,उसने अभी तो अपनी जान बचा ली थी लेकिन उसे इस बात की चिंता हो रही थी की वो रोज शेर को कहानियाँ कहाँ से सुनाएगा ।
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खरगोश परेशान सा मुह लेकर अपने दोस्त चूहे के पास गया और उसे पूरी बात बताई । चूहे ने खरगोश की परेशानी देख उसे एक और कहानी सुनाई । अब हर दिन खरगोश चूहे से कहानी सुनता था और हर शाम को जा कर के शेर और उसके बेटे को कहानी सुना देता था। इस प्रकार से खरगोश और शेर दोनों खुश थे ।
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एक दिन, शेर के बच्चे ने खरगोश से कहा, “खरगोश भाई तुम्हें रोज रोज नई नई कहानियाँ कहाँ से आ जाती हैं?” खरगोश ने कहा, “महाराज ये कहानियाँ मुझे सपने मैं दिखाई देती हैं । वही कहानी मैं आप लोगो को शाम को सुना देता हूँ।” शेर के बच्चे को खरगोश की बातों पर भरोशा नहीं हुआ । शेर के बच्चे ने सोचा की क्यों न आज इस खरगोश का पीछा किया जाए। और शेर का बच्चा चुपके-चुपके खरगोश के पीछे चल दिया ।
खरगोश सीधा चूहे के पास गया और उससे पूछा, “दोस्त तुम्हें ये कहानियाँ कहाँ से आती हैं?” चूहा ने उसे बताया , “एक जादुई पेड़ है। जिसके पत्तों में कहानियाँ लिखी होती हैं। इसी पेड़ के कारण मैं तुम्हें रोज नई कहानी सुना पता हूँ।
शेर का बच्चा ये सारी बात सुन रहा था। फिर खरगोश ने चूहे से कहा, “तुम मुझे भी उस जादुई पेड़ के पास ले चलो, मैं भी उसे देखना चाहता हूँ।” चूहे ने कहा, “चलो चलते हैं।” वो दोनों जादुई पेड़ के पास पहुचे। जैसे ही खरगोश ने उस पेड़ को देखा उसे देख के वो खुस हो गया ।
जादुई पेड़ ने कहा आ गए तुम तीनों। चूहा ,खरगोश और शेर तीनों हैरान हो गए । शेर ने सोचा इसे कैसे पता मैं भी यहा हूँ, और खरगोश और चूहे ने सोचा हम तो दो ही हैं तीसरा यहाँ कौन है।
खरगोश ने जैसे ही पीछे देखा तो शेर का बच्चा वही पीछे खड़ा था। उसने खरगोश से बोला, “तुमने पापा को झूठ बोला की कहानी तुमको सपने में दिखाई देती है। खरगोश डर गया और रोने लग गया की शेर अब उसे खा जाएगा। शेर का बच्चा गुस्से से वहाँ से चला गया।
शेर और खरगोश की कहानी
चूहे को पता था की जादुई पेड़ खरगोश की कोई मदद जरूर कर सकता है। तो उसने जादुई पेड़ से बोला, “जादुई पेड़ ये मेरा दोस्त है। शेर के बच्चे को सब सच पता चल गया है अब खरगोश के परिवार का क्या होगा। पेड़ ने अपने एक बेल को इतना लंबा किया की शेर के बच्चे का पाँव उस बेल मे फस गया । एक दिन बीत गया। अगली शाम खरगोश शेर को कहानी सुनने गया । शेर अपने बच्चे के खो जाने के कारण परेशान हो गया था । तो शेर को देख के खरगोश को दया आ गयी ।
खरगोश उसी जादुई पेड़ के पास गया और उसने पेड़ को बताया की शेर का बच्चा न जाने कहाँ गुम हो गया है । पेड़ ने खरगोस की बताया की वो तो कल से उसकी जादुई बेल में फसा पड़ा है। खरगोस ने पेड़ से कहा की वो शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दे । पेड़ ने कहा,
“अगर मैं उसको निकाल दूंगा तो शेर तुमको खा जाएगा।”
खरगोश ने कहा ,”कोई बात नहीं , मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से किसी मासूम बच्चे की जान जाए ।” खरगोश शेर के बच्चे के पास गया । और कहा ,” तुम चिंता मत करो मैं तुमको बाहर निकालूँगा।
शेर और खरगोश हिन्दी कहानी
पेड़ ने खरगोश से कहा, “तुमको अपनी जान की परवाह नहीं है? तुम अपने बदले शेर की जान बचना चाहते हो तो ठीक है मैं इस बच्चे को निकाल देता हूँ।”
पेड़ ने शेर के बच्चे को बेल से आजाद कर दिया है। शेर के बच्चे ने पेड़ ओर खरगोश की पूरी बात सुन ली थी। खरगोश और शेर का बच्चा घर को चल दिये। बिल्ली की कहानी – पढ़ें
शेर ने जेसे ही अपने बच्चे को देखा वो खुश हो गया ओर उस से पूछा की तुम अभी तक कहाँ थे। बच्चे ने शेर को सब बात बता दी। खरगोश की उदारता देख शेर ये निर्णय लिया की वो अब किसी भी कमजोर जानवर का शिकार नही करेगा । इस प्रकार उस जंगल में सब जानवर शेर की इज्जत करने लगे । अब खरगोश और शेर अच्छे दोस्त बन गए । इस जंगल में अब खरगोश और शेर की दोस्ती के किस्से हर किसी की जुबान पर रहने लगे ।
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