Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी | एक देश में एक राजा रहा करता था। उसकी बहुत सारी रानियां थी उस में से सबसे छोटी रानी उसकी सबसे खास रानी थी। वह बाकी की सारी रानियों में से कम उम्र की रानी थी।
रानी की मासूमियत अक्सर राजा को बहुत पसंद आती थी। रानी का जानवरों के प्रति प्रेम राजा को भा जाता। सबसे छोटी रानी के जानवरों के प्रति प्रेम होने के कारण रानी ने बहुत सारे जानवर और पशु पक्षी पाल रखे थे।
रानी एक बार शहर मे घूम रही थी। तो उसकी नजर एक बंदर के बच्चे पर पड़ी। जो अकेला था। सायद वह अपने परिवार से बिछड़ गया था। रानी को उस पर दया आ गई। और वह उसे अपने साथ राजमहल ले आई।
अब रानी ही उसकी देखभाल करती थी। वह बंदर रानी को इतना प्यारा की रानी उसे अपने साथ ही सुलाती और उसका सारा काम भी अपने आप किया करती थी। रानी ने बंदर को सुबह सैर करना और खाना नीचे बैठ कर खाना सिखाया था।
रानी का बंदर उसे नाच करके भी दिखाता था। रानी को उस बंदर का नाच ही सबसे प्यारा लगता था।रानी उसका नाच देखे बिना अपना दिन शुरू नहीं करती थी।
Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी
एक बार महल में एक चोर घुस आया जिसने रानी के उस प्रिय बंदर को चुरा लिया। चोर जानता था कि राजा की प्रिय रानी को बंदर सबसे प्यारा था। जिसके बदले उसे बहुत सारे पैसे मिलने की पूरी उम्मीद थी।
राजा ने अपने सेनापति को बुलाकर बंदर की खोज करवाने के लिए सैनिकों को भेज दिया। पर बहुत दिन बीत जाने के बाद भी वह चोर पकड़ा नहीं गया।
एक दिन बंदर चोर के चंगुल से भाग कर रानी के पास राजमहल पहुच गया। जैसे ही छोटी रानी ने इस बंदर को देखा तो बंदर रानी के पास दौड़ता हुआ चला गया। रानी अपने बंदर को पाकर बहुत खुश।
परंतु अगले दिन रानी उठी तो उसने पाया कि उस बंदर की आदतें तो वैसी ही थी पर वह बंदर अब नाच करके दिखलाता ही नही था। रानी बहुत दुखी रहने लगी। रानी ने राजा को बंदर के बारे में बताया कि बंदर अब तो नाच करके भी नहीं दिखलाता।
राजा रानी की बातों को सुनकर रानी को समझाने लगा। परंतु रानी नहीं मानी अब रानी बहुत दुखी रहने लगी। उसे बंदर का नाच देखने को नहीं मिलता था। अब रानी ना कुछ खाती और ना कुछ बोलती वह हमेशा उदास ही रहने लगी।
Kids Stories In Hindi – बंदर की कहानी
रानी की इस दशा को देखकर राजा ने दरबार बुलाया और एलान किया की रानी के प्रिय बंदर को जो भी पहले जैसा नाँच करना सीखा देगा उसे राजा इनाम में 100 सोने के सिक्के देंगे।
अब बहुत सारे लोग राजदरबार में आते और राजा के बंदर को नचाने की कोसिस करते। लेकिन कोई भी आदमी बंदर को नचा नहीं पता था। इससे रानी ओर ज्यादा उदास रहने लगी।
कुछ दिनों बात राजदरबार मे एक मदारी आया और बोला, “महाराज मैं इस बन्दर को नाँच करना सीखा सकता हूं, लेकिन मुझे 10 दिन का समय दीजिए। आपको ये बंदर मुझे दस दिन के लिए देना होगा। राजा मान गए। और उन्होने मदारी को बंदर दस दिन के लिए दे दिया।
वह आदमी बंदर को अपने साथ ले गया। दूसरे दिन सुबह होते ही उसने एक बड़ा सा तवा गर्म किया। और उसने बंदर को पकड़कर उस तवे पर रख दिया। जैसे ही गर्म तवे पर बंदर के पैर पड़े तो बंदर उछलने लगा।
उस आदमी ने बंदर के साथ लगातार कुछ दिनों तक ऐसा ही किया। अब जैसे ही बंदर उस गरम तवे को देखता तो वह खुद उछलने लगता और नाच करने लगता। कुछ दिनों में ही बंदर पहले जैसा नाचने लगा।
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अब वही आदमी बंदर को लेकर राज दरबार पहुंचा और उसने राजा को बंदर वापस कर दिया और बोला, “महाराज यह अब पहले जैसा नाँच दिखायेगा ।बस आपसे एक विनती है जैसे ही आपको बंदर को नाच करवाना हो तो आप एक तवा बंदर के सामने रख दीजिए बंदर उसे देखकर नाचने लगेगा।“
अब रानी रोज बंदर के सामने एक तवा रख देती थी। जैसे ही बंदर उस तवे को देखता, वह उछलने लगता और नाचने लगता। रानी उसकी हरकतों को देखकर खुश हो जाती।
राजा ने देखा कि बंदर पूरी तरह ठीक हो चुका है तो राजा ने उस आदमी को बहुत सारा धन दिया। इस प्रकार उस बुद्धिमान मदारी ने अपनी बुद्धि से बहुत सारा धन प्राप्त कर लिया।
bandar ki kahani से हमने क्या सीखा:
bandar ki kahani से यह सीख मिलती है कि जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेड़ी करनी पड़ती है। मतलब जब सही तरीके से काम ना बने तो हमें चालाकी से काम लेना चाहिए।
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