तेनालीरामा की कहानी | एक बार किसी कारणवश महाराज तेनालीरामा से नाराज हो गए। वह उनसे इतना नाराज़ थे कि उन्होने कहा, “पंडित तेनालीरामा, अब तुम हमें अपना चेहरा नहीं दिखाओगे और अगर तुमने हमारी आज्ञा नहीं मानी, तो हम तुम्हें दंड देंगे।”
यह सुनकर तेनाली राम वहां से चुपचाप चले गए ।
अगले दिन राजदरबार लगा तो कुछ जलन भावना रखने वाले मंत्रियों ने दरबार में आने से पहले ही राजा के कान भरना शुरू कर दिया।
उन लोगो ने कहा, “महाराज तेनालीरामा ने आपकी आज्ञा न मान कर आपके आदेशों का उलंघन किया है और ऊपर से वो दरबार मे सबके साथ हंसी मज़ाक भी कर रहा है।
तेनाली को इसके लिए दंड मिलना चाहिए।” फिर क्या था महाराजा गुस्से मे तेज गति से दरबार की ओर चल पड़े।
तेनालीराम की कहानी
जैसे ही वे महल में घुसे राजदरबार में उन्होंने तेनालीरामा को मुँह में मटका डाले हुए वहाँ खड़े देखा। उस मटके के सामने दो छेद थे।
राजा ने उनकी इस हरकत को देखकर उनसे गुस्से में कहा, “पंडित तेनालीरामा , हमने तुमसे कहा था कि तुम हमें अपना चेहरा नहीं दिखाओगे। फिर ऐसा क्या हुआ कि आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया? “
महाराज की बात पर तेनालीरामा ने कहा, “महाराज, पर मैंने अपना चेहरा दिखाया ही कहाँ है? देखिये मेरा चेहरा इस मटके से अच्छी तरह से ढाका है। बस इन दो छेदों से मै आपको देख सकता हूँ, लेकिन आपने मुझे आपका चेहरा देखने से मना नहीं किया था? “
तेनालीरामा की यह बात सुनते ही महाराजा ने जोर से हँसना शुरू कर दिया। ( 25 फलो के नाम )
महाराज बोले, “पंडित तेनाली, तुम्हारी बुद्धि के सामने हमारा गुस्सा करना संभव ही नहीं है। अब इस बर्तन को उतार दो और अपनी जगह पर बैठ जाओ।”
Tenali Raman Story In Hindi से हमने क्या सीखा:
इस कहानी से यह पता चलता है कि स्थिति कैसी भी हो, हमें बस अपनी बुद्धि से काम करने की जरूरत है।
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