रोज़ा खोलने की दुआ – इफ्तार की दुआ | रमज़ान का महीना वह है जिसमें क़ुरआन नाज़िल हुआ; लोगों के लिए एक हिदायत, और हिदायत की खुली निशानियाँ और (सही और ग़लत की) कसौटी। और तुम में से जो कोई सेहतमंद हो वह इस महीने के रोज़े रखे, और तुम में से जो कोई रोगी हो या सफ़र पर हो, वह बाद में यह रोज़े रख सकता है । अल्लाह तुम्हारे लिए आसानी चाहता है; वह तुम्हारे लिए मुश्किलें नहीं चाहता; और यह कि तुम समय को पूरा करो, और यह कि तुम अल्लाह की तारीफ करो कि उसने तुम्हें रास्ता दिखाया, और कि शायद तुम कृतज्ञ हो। [कुरान 2:185]
कहा जाता है कि लैलात अल-क़द्र की रात साल की सबसे पवित्र रात होती है। [55] [56] आम तौर पर यह माना जाता है कि यह रमजान के आखिरी दस दिनों के दौरान विषम संख्या वाली ( 21, 23, 25 ) रात में होती है | ; दाउदी बोहरा मानते हैं कि लैलात अल-क़द्र रमज़ान की तेईसवीं रात थी।
रोज़ा रखने के फायदे – रमजान
रमजान के रोज़े के कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हैं। रमजान के दौरान रोज़ा स्वस्थ लोगों के लिए जोखिम मुक्त के रूप में देखा जाता है, लेकिन यह उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है जिनके पास पहले से ही किसी प्रकार की कोई बीमारी हैं। अधिकांश इस्लामी विद्वान इस बात से सहमत हैं कि जो लोग बीमार हैं उन्हें उपवास की आवश्यकता से छूट दी गई है। युवावस्था से पहले के बुजुर्गों और छोटे बच्चों को भी रोज़े से छूट दी जाती है। [119] गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी रमजान के दौरान उपवास से छूट दी गई है। [120] रोज़ा रखने वाली गर्भवती महिलाओं में ज्ञात स्वास्थ्य जोखिम शामिल हैं, जिनमें प्रेरित श्रम और गर्भकालीन मधुमेह की संभावना शामिल है।
रमजान के दौरान रोज़ा रखने से विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करना। इसके अतिरिक्त, यह प्रदर्शित किया गया है कि हृदय रोग के इतिहास वाले विषयों में उनके 10 साल के कोरोनरी हृदय रोग जोखिम स्कोर के साथ-साथ उनके लिपिड प्रोफाइल, सिस्टोलिक रक्तचाप, वजन, बीएमआई जैसे अन्य हृदय संबंधी जोखिम कारकों में महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव होता है। , और कमर परिधि। उपवास के चरण के दौरान वजन कम होना आम तौर पर काफी कम होता है, हालांकि बाद में वजन बढ़ना संभव है।
रोज़ा खोलने की दुआ – इफ्तार की दुआ |
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु वा बिका आमंन्तु वा ‘ आलइका तवक्कलतु वा ‘ अला रिज़की का अफ्तरतु |
.اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
O, Allah! I fasted for you and I believe in you and I put my trust in You and I break my fast with your sustenance.
Roza kholne ki Duaa- iftar ki Duaa
” Allahhumma inni laka sumtu wa bika aamantu wa alayka tawakkaltu wa ala rizq- ika aftartu”
Roza rakhne ki Dua – sehri ki duaa
Roza rakhne ki Dua – Bisomi gadin nawaitu min shehre Ramzan.
.وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
.’’اورمیں نے ماہ رمضان کے کل کے روزے کی نیت کی‘‘
I Intend to keep the fast for month of Ramadan.
रोज़ा रखने की दुआ – सहरी की दुआ
बिसौमि गदिन नवैतु मिन शहरे रमज़ान |
इफ्तार से पहले की दुआ (इफ्तार से पहले की दुआ)
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते है कि रोज़ेदार की दुआ इफ्तार के वक्त रद्द नहीं होती, लेहज़ा इफ्तार के वक्त ये दुआएं पढ़े। औवल व आखिर में डरूद शरीफ जरूर पढ़े।
(1) ऐ अल्लाह हमारी जुबान पर कलमये तैय्यब हमेशा जारी रख।
(2) ऐ अल्लाह हम कामिल ईमान नसीब फरमा और पूरी हिदायत अता फरमा।
(3) ऐ अल्लाह हमें पुरे रमजान की नीमत अनवर व बरकत से मालामाल फरमा।
(4) ऐ अल्लाह हम पर अपनी रहमत नाजिल फरमा, करम की बारिश फरमा और रिज़क ए हलाल अता फरमा।
(5) ऐ अल्लाह हमें दीन इस्लाम के अहकाम पर मुक्कम्मल तोर पर अमल करने वाला बना दे।
(6) ऐ अल्लाह तू हमें अपना मोहताज बना, किसी गेयर का मोहताज न बना।
(7) ऐ अल्लाह हमे नमाज़ और रोज़ो का पाबन्द बना और लैलातुल कदर नसीब फरमा।
(8) ऐ अल्लाह हमे झूठ, गिबत, किना, बुराई, झगड़ा, फसाद से दूर रख।
(9) ऐ अल्लाह हम तंगदस्ती, ख़ौफ़, ग़बराहट, और क़रज़ के बोझ से दूर फरमा।
(10) ऐ अल्लाह हमारे छोटेबड़े (सगीरा वा कबीरा) तम गुनाह को माफ फरमा।
(11)ऐ अल्लाह हमें दज्जाल के फितने, शैतान और नफ्स के शार से महफूज रख।
(12) ऐ अल्लाह औरतों को परदे की पूरी पूरी पबंडी करने की तौफीक अता फरमा।
(13) ऐ अल्लाह हर छोटे बड़ी बीमारी से हमें और क़ुल मोमिनीन व मोमिनात को महफ़ुज़ रख।
(14) ऐ अल्लाह हमें हुजूर अकदास सल्लल्लाहु -अलये-व-सल्लम के प्यारे तारिके पर कयाम रख।
(15) ऐ अल्लाह हमें हुजूर अकदास सल्लल्लाहु-अलये-व-सल्लम की सुन्नत पर चलने की तौफीक अता फरमा।
(16)ऐ अल्लाह हमें हुजूर अकदास सल्लल्लाहु-अलये-वा-सल्लम के हाथों से जाम ए कौसर पीना नसीब फरमा।
(17)ऐ अल्लाह हम हुजूर अकदास सल्लल्लाहु-अलये-व-सल्लम की शफात नसीब फरमा।
(18) ऐ अल्लाह तू अपनी और हमारे उर्फ सल्लल्लाहु-अलये-वा-सल्लम की मोहब्बत हमारे दिलों में डालदे।
(19) ऐ अल्लाह हमें मौत की सख्ती और कबर के अजब से बच्चा।
(20)ऐ अल्लाह मुनकिर नकीर के सवालत हम पर आसन फरमा।
(21) ऐ अल्लाह हमें कयामत के दिन अपना दीदार नसीब फरमा।
(22) ऐ अल्लाह हमी जन्नतुल फिरदौस में जगा अता फरमा।
(23) ऐ अल्लाह हमें कयामत के दिन कयामत की गर्मी और जहन्नम के आग से महेफुज रख।
(24) ऐ अल्लाह हम और तमाम मोमिनीन व मोमिनात को हश्र की रुस्वैय्यो से बचा।
(25)ऐ अल्लाह नाम-ए-अमल हमरे दाहिने हाथ में नसीब फरमा।
(26) ऐ अल्लाह हम अपने अर्श के साए में जगह नसीब फरमा।
(27)ऐ अल्लाह पुल सिरात पर बिजली की तरह गुज़रने की तौफिक अता फरमा।
(28) ऐ अल्लाह हमें दोनो जहांओ माई रसूल ए पाक सल्लल्लाहु अलैय व सल्लम का गुलाम बनाकर रख। ….29 ) या अल्लाह रहम फरमा रहम फरमा रहम फरमा [अमीन-अमीन-अमीन]