Diwali Poem – दिपावली कविता | दोस्तों यह कविता दिवाली के लिए बनाई गयी है | इस कविता का असली credit श्री को जाता है यह उनकी कविता है | बहुत ही प्यारी दिवाली कविता आप सभी के लिए साथ ही आपको दिवाली की बहुत शुभकामनाये | Happy Diwali | Education
दिवाली कवीता
जला कर दिए रोशन करो जहाँ ,
अंधेरो ने फिर गुमान पाली है
एलान-ए-जंग अब कर दो
लोट आई अब फिर दिवाली है
रौशनी से मरहूम कब तक रहे जहाँ
पर्व नही ये , उम्मीद-ए- खुशाली है
दिवाली कविता | Diwali पोएम |
कोशिश करो कुछ सवारने का तुम
असल में देखो तो यही दिवाली है |
नीरस होते जीवन में फिर यहाँ
ये कुछ हलचल कर डाली है ,
जगमगा दो रौशनी से ख्वाब
लोट आई अब फिर दिवाली है |
चाँद के जाने से जब रो रहा था आसमान
Diwali Poem
तब जुगनुओ ने फिर रौशनी की ज़िम्मा उठाली है
उम्मीदों को फिर रोशन करने
लोट आई अब फिर दिवाली है
गमो से जूझते हैं लोग यहाँ
ये कुछ मरहम कर डाली है
भुला दो गमो को तुम अब श्री
देखो लोट आई अब फिर दिवाली है |
सजा दो रास्तो को फिर तुम
ये गलियाँ अयोध्या वाली हैं
हवाएं दे रही है सन्देश प्रभु के आने की
उन्हें के साथ फिर देखो लोट आई दिवाली है |
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