भेडिये की चालाकी | हिन्दी कहानी

भेडिये की चालाकी | हिन्दी कहानी | एक बार की बात है | एक भेड़िये ने अपने बच्चों से कहा कि वह उनके लिए खाने के लिए लेने जा रहा है |वह खाने कि तलाश में जंगल में चलता रहा, फिर एक ऐसी जगह पहुंचा, जहाँ ऊँचाई पर एक पेड़ पर एक बाज़ बैठा था |बाज़ अपने अंडो की देखभाल कर रहा था |भेड़िये ने सोचा इस बाज़ के अंडे में अपने बच्चों के लिए ले जाऊंगा |बाज़ का घोंसला बहुत ऊंचाई पर था ओर घोंसले तक जाने का कोई रास्ता नहीं था |

तब उसे एक तरकीब सूजी |उसने थोड़ी सी घास तोड़ी ओर उसे अपने कानो पर लगा लिया |ऐसा करके वह भेड़िये की जगह एक अजीब सा जानवर लग रहा था |फिर उसने पेड़ को ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू किया ओर बोला, “ओ बाज़! मुझे अपने कुछ अंडे दे दो, नहीं तो में तुम्हे पेड़ से नीचे गिरा दूंगा |”यह सुनकर बाज़ बहुत डर गया |उसने सोचा कि कहीं मेरे सारे अंडे भेड़िये के पेड़ हिलाने की वजह से नीचे ना गिर जाएं |उसने सोचा सारे अंडे नीचे गिर जाएं, इससे अच्छा है कि मैं एक अंडा इस भेड़िये को दे दू |उसने तुरंत एक अंडा भेड़िये की ओर फेंक दिया |

भेडिये की चालाकी | हिन्दी कहानी

एक अंडा मिलने के बाद भेड़िया ने कहा एक ओर अंडा दो, तो बाज़ को गुस्सा आ गया, वह बोला,” नहीं, मैं और अंडे नहीं दूंगा |”भेड़िये ने बाज़ को धमकाया,” ठीक है,अगर तुमने दूसरा अंडा नहीं दिया तो मैं मेरे सिर पर लगे इन गुच्छो से इस पेड़ को गिरा देता हूँ |अब तुम्हारे सारे अंडे टूट जायेंगे |बेचारे बाज़ ने घबराकर एक और अंडा नीचे फेंक दिया |भेड़िया हंस कर बोला, “बेवक़ूफ़ बाज़! तुम्हे सचमुच ऐसा लगा कि मैं अपने सिर पर लगी इस घास से इतने बड़े पेड़ को गिरा सकता हूँ?” यह सुनकर बाज़ को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि भेड़िये ने उसे अपनी बातो में उलझा कर दो अंडे ले लिए थे |

वह गुस्से में पेड़ से उतरा और भेड़िये को अपने मज़बूत पंजो से उठा लिया |फिर वह उसे समुन्दर की ओर ले गया ओर एक किनारे पर भेड़िये को पटक दिया और खुद वापस अपने पेड़ पर आकर बैठ गया |भेड़िये ने अपने आस पास देखा |चारो ओर देखने के बाद उसे पता चला कि उसके आस पास कोई भी नहीं है |चारो ओर सन्नाटा है |भेड़िये ने सोचा,’अगर मैने जल्दी ही कुछ नही किया, तो मैं यहीं पर भूखा प्यासा मर जाऊंगा |’ उसने जल्दी ही एक उपाय निकाला |

भेडिये की चालाकी | हिन्दी कहानी

वह ज़ोर ज़ोर से गाने गाने लगा जो उसने जंगल में जानवरो से सुने थे |उसका गीत सुनकर समुन्दर के सभी जीव जंतु बाहर आ गए | वे सभी बोले, “तुम क्या गा रहे हो?”भेड़िया बोला,”मैं इस गाने का मतलब भी समझा दूंगा, पर पहले यह बताओ कि क्या समुन्दर में और भी जीव जंतु हैं?” वे सब बोले, “अरे, समुन्दर में तो बहुत सारे जीव जंतु हैं |” भेड़िया बोला, मैं गलती से यहाँ आ गया हूँ | जंगल में मेरे बच्चे अकेले हैं |उनको भूख प्यास भी लग रही होगी |क्या तुम सब मझे जंगल पहुँचा सकते हो? तुम सभी एक कतार में खड़े हो जाना, और एक बेडा सा बना देना,मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर जंगल तक चला जाऊंगा |

वे जीव जंतु बड़े दयालु थे |उन्होंने पूछा, “क्या तुमने कुछ खाया है?” भेड़िया बोला, “नहीं, मुझे बहुत भूख लगी है |”भूख के मारेे मेरी जान निकल रही है | लेकिन भूख सहन करनी पड़ेगी, क्योंकि मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है | ” भेड़िये ने बात बनाई | समुन्दर के जानवर बड़े दयालु थे उन्होंने पहले भेड़िये के गाने सुने,फिर वे उसके लिए कुछ मछलियां एक कपडे में बाँध कर ले आये और भेड़िये को दे दिया |उन्होंने उसके बच्चों के लिए भी मछलियां बाँध दी |

फिर वे सब एक साथ एक कतार में लेट गए और एक पुल सा बना दिया |भेड़िया उन सब पर एक एक करके पैर रखता गया और समुन्दर के दूसरे किनारे तक पहुँच गया |किनारे पर पहुँच कर उसने सभी को शुक्रिया कहा और ालने बच्चों के लिए खाना ले कर जंगल में चला  गया |जंगल पहुंच कर उसने और उसके बच्चों ने मज़े से वो मछलियां खायी जो समुन्दर के जीवो ने उसे दी थीं |